लॉकडाउन में मंद पड़ी घोटालेबाजों पर कार्रवाई
लॉकडाउन के चलते सृजन घोटाले के आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई धीमी पड़ गई है।
भागलपुर। लॉकडाउन के चलते सृजन घोटाले के आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई धीमी पड़ गई है। इस मामल में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) को फरार चल रहे मुख्य आरोपित अमित कुमार व रजनी प्रिया कुमार की संपत्ति जब्त करनी थी। इसके लिए पिछले साल अक्टूबर में सीबीआइ ने तिलकामांझी स्थित न्यू विक्रमशिला कॉलोनी में इनके घर इश्तेहार चिपकाया था। मार्च में लॉकडाउन के कारण यह कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी। सीबीआइ अधिकारियों का कहना था कि दो-तीन माह के भीतर आत्मसमर्पण नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी।
इश्तेहार के बाद भी घर में रह रहे लोग
सृजन घोटाला मामले में मुख्य आरोपित अमित कुमार की मां मनोरमा देवी थीं। उनकी मौत के बाद जब घोटाले का पर्दाफाश हुआ तो अमित-प्रिया कुमार फरार हो गए। न्यू विक्रमशिला कॉलोनी में उन लोगों के चार घर हैं। तीन किराए पर थे, जबकि एक में वे लोग खुद रहते थे। इश्तेहार चिपकाने के बाद सभी किराएदारों ने घर खाली कर दिया, लेकिन एक घर में अब भी किराएदार रह रहे हैं। गैरेज में कई बाइक भी रखी हुई है। बड़ा सवाल है कि जिस संपत्ति को सीबीआइ ने अपने कब्जे में रखा है, वहां लोग कैसे रह रहे हैं। कई आरोपित कर चुके हैं आत्मसमर्पण
प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को बिहार समेत विभिन्न राज्यों में सृजन संस्था के नाम से खरीदे गए फ्लैट, भूखंड, बैंक में जमा नकदी आदि संपत्ति अटैच कर ली है। तीन साल में यह विभाग की बड़ी कार्रवाई है। सीबीआइ भी मुख्य आरोपितों के फरार रहने की स्थिति में संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई करेगी। ताकि आरोपितों पर आत्मसमर्पण का दबाव बन सके। इस मामले में दर्जनों लोगों ने सीबीआइ के दबाव में आकर कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। इनमें से कई अब भी जेल में हैं।
क्या है मामला
सृजन घोटाले का पता आठ अगस्त 2017 को चला था। तब जिला नजारत शाखा के तत्कालीन नाजिर अमरेंद्र कुमार यादव के बयान पर तिलकामाझी चौकी में 10.26 करोड़ सरकारी राशि की अवैध निकासी का केस दर्ज हुआ था। यह केस तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे के निर्देश पर हुआ था। इसमें आरोप था कि जिलाधिकारी का फर्जी हस्ताक्षर किया चेक इंडियन बैंक की पटल बाबू रोड स्थित शाखा को दिया गया। यह चेक सरकारी खाते में जमा नहीं होकर सृजन संस्था के खाते में जमा किया गया। डीएम ने तीन सदस्यीय कमेटी से इसकी जाच कराई थी। इसके बाद घोटाले की परत दर परत उतरती चली गई। अब तक 2200 करोड़ रुपये से अधिक घोटाला सामने आ चुका है।