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जब कृष्ण ने रूक्मिणी के गले में डाला वरमाला... और झूम उठे दर्शक Bhagalpur news

भागलपुर के सजौर थाना अंतर्गत गोवरॉय गांव में श्री श्री 1008 विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया गया। यह आयोजन 04 नवंबर 2019 से शुरू हुआ। नौ दिवसीय आयोजन 12 नवंबर 2019 को समाप्त हो जाएगा।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 04:58 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 05:36 PM (IST)
जब कृष्ण ने रूक्मिणी के गले में डाला वरमाला... और झूम उठे दर्शक Bhagalpur news
जब कृष्ण ने रूक्मिणी के गले में डाला वरमाला... और झूम उठे दर्शक Bhagalpur news

भागलपुर [जेएनएन]। शाहकुंड प्रखंड के गोवरॉय गांव के चौधरी तालाब के पास श्री श्री 1008 विष्णु महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत रस महामहोत्सव सह मां पार्वती प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ के सांतवें और आठवें दिन रविवार और सोमवार को भागवत किंकरी किशोरी जी ने भागवत कथा के दौरान श्री कृष्ण की बाल लीला की चर्चा की। इस दौरान गोपियों के जलक्रीडा के दौरान कृष्ण द्वारा कपड़े चुराने और गोवर्द्धन पर्वत उठाने का प्रसंग सुनाया।

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किशोरी जी से महारास, कृष्ण का मथुरा गमन, उद्धव—गोपी संवाद, कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह प्रसंगों को सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए। इस अवसर पर कृष्ण, ग्वाल—बाल और गोपियों के रूप में बच्चे नृत्य कर मटका फोड़ रहे थे। कृष्ण और रुक्मिणी की शादी की झांकी भी निकाली गई।

भागवत किंकरी किशोरी जी ने कहा कि पत्नी के त्याग के बाद जब भगवान राम अश्वमेघ यज्ञ कर रहे थे (चूंकि यज्ञ पत्नी के बिना संभव नहीं था) इसलिए राम के बगल में सीता की सोने की मूर्तियां बनाकर रखी गई। यज्ञ संपन्न होने के बाद सीता की मूर्तियों को नदी में विसर्जित किया जाने लगा तो सभी मूर्तियों में प्राण थे। मूर्तियां बोल उठीं-हे राम, हमें मत त्यागो। इस पर श्री राम ने सीता स्वरूप उन मूर्तियों से कहा कि द्वापर में जब हम कृष्ण के रूप में आएंगे, त‍ब आप वहां मेरी पटरानी और गोपियों के रूप में रहेंगी।

इस बीच, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो जाने की खुशी यज्ञ के दौरान भी देखी गई। भागवत किंकरी किशोरी जी ने कहा कि वैदिक शास्त्र ही नहीं, बल्कि हिंदी सहित अन्य भाषाओं के साहित्य में अयोध्या में भगवान राम का जन्म होने का प्रमाण हैं। ऋषि, मुनि, साधु, संत और मनीषी भी इस बारे में प्रमाण दे चुके हैं। उच्चतम न्यायालय ने सभी साक्ष्यों को देखकर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। अदालत का निर्णय भारतीय संस्कृति और भारत की गौरवशाली अतीत की विजय है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म ही सभी को जोड़ने का काम करती है। यज्ञाचार्य सह संरक्षक आनंदमूर्ति आलोक जी महाराज के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच यज्ञ मंडप पर हवन आदि के कार्यक्रम हुए। वैकुष्ठ चतुदर्शी को लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की।

यज्ञ आयोजन समिति के अध्यक्ष ​बिपिन बिहारी ​तिवारी ने कहा कि नौ दिवसीय समारोह के अंतिम दिन मंगलवार को कई कार्यक्रम होंगे। यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने, मेले का आनंद लेने और भागवत कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। आयोजन समिति ने इसके लिए व्यापक तैयारी की है। अ‍ंतिम दिन की तैयारी के लिए बैठक की गई। भंडारा भी होगा। अंतिम दिन भागवत कथा के दौरान कई झांकियां निकालीं जाएंगी। 


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