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मिट्टी हो रही क्षारीय, बढ़ रहा पीएच मान

डंठल को जलाने से सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट होता है और इसका सीधा प्रभाव उपज पर पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 02:10 PM (IST)Updated: Tue, 25 Sep 2018 02:10 PM (IST)
मिट्टी हो रही क्षारीय, बढ़ रहा पीएच मान
मिट्टी हो रही क्षारीय, बढ़ रहा पीएच मान

सुपौल (सुनील कुमार): बेहिसाब रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी की सेहत पर असर पड़ रहा है। जिले की मिट्टी क्षारीय हो रही है और इसका पीएच मान बढ़ रहा है। मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्व, ¨जक, बोरन, आयरन व कॉपर की मात्रा शून्य या नगण्य हो गई है। मिट्टी के नमूने की जांच में यह जानकारी सामने आई है। मिट्टी के बिगड़ रहे सेहत का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। कृषि वैज्ञानिक इस स्थिति से निपटने के लिए जैविक उर्वरक उपयोग करने की सलाह देते हैं। वैज्ञानिकों की ¨चता इस बात को लेकर है कि यही हाल रहा तो धरती बंजर ना हो जाए।

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उपज की गुणवत्ता भी हो रही प्रभावित

कोसी के पेट और कछार पर बसे जिले की मिट्टी से सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा दिन व दिन घटती जा रही है। अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के धड़ल्ले प्रयोग से यहां मिट्टी की सेहत खराब होती जा रही है। बेहिसाब खेतों में डाले जा रहे रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से न सिर्फ इसका असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता दिख रहा है बल्कि उपज की मात्रा और गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है। मिट्टी जांच प्रयोगशाला से मिट्टी जांच उपरांत जो रिपोर्ट सामने आई है उससे इस बात का पता चला है कि इस इलाके की उपजाऊ मिट्टी क्षारीय होती जा रही है। दरअसल सरकारी आदेश पर जब खरीफ फसल की शुरुआत में जुटाए गए मिट्टी के नमूने के प्रयोगशाला में जांच की गई तो पाया गया कि अधिकांश नमूने का पीएच मान आठ से ऊपर है। कहीं-कहीं यह नौ के करीब भी पहुंच गया है जबकि स्वस्थ व बेहतर उपज देने वाली मिट्टी का पीएच मान साढ़े छह से साढ़े सात के बीच होना चाहिए। जांच में यह बात भी सामने आई है कि ज्यादातर नमूने से सूक्ष्म पोषक तत्व ¨जक, बोरन, आयरन व कोपर की मात्रा शून्य या नगण्य है।

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कई हैं कारण

वैज्ञानिकों की राय में खेतों से गायब हो रहे इन तत्वों के पीछे परंपरागत कृषि प्रणाली भी है। फसल चक्र को नहीं अपनाया जाना, बेतहाशा अनावश्यक रासायनिक उर्वरक का प्रयोग, खेतों में पौधे के डंठल को जलाना आदि ऐसे कारण हैं जो मिट्टी को क्षारीय बनाते हैं। डंठल को जलाने से सूक्ष्म पोषक तत्व नष्ट होता है और इसका सीधा प्रभाव उपज पर पड़ता है।

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कोट:-

मिट्टी का पीएच मान बढ़ना और क्षारीय होना शुभ संकेत नहीं है। फसल चक्र को नहीं अपनाया जाना, बेतहाशा अनावश्यक रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करना, खेतों में कृषि अवशेषों को जलाया जाना आदि ऐसे कारण हैं जो इसके मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। इससे तेजी से धरती के ऊपरी सतह पर रासायनिक परिवर्तन होता है। जिससे धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो जा रही है, धरती बंजर भी हो सकती है। इससे बचने के लिए किसानों को जैविक उर्वरक का उपयोग करना चाहिए।

मनोज कुमार, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र राघोपुर


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