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Social Issue Of Banka: सफाई में तो मिल गया अवार्ड, लेकिन इलाज की स्थिति बेहद खराब

Social Issue Of Banka हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बांका को सफाई व्यवस्था के लिए अवार्ड दिया है। लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था लचर है। 1.81 लाख की आबादी के इलाज के लायक चिकित्सक नहीं हैं। 01 सौ से अधिक मरीजों का प्रतिदिन होता है इलाज।

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 05:01 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 05:01 PM (IST)
Social Issue Of Banka: सफाई में तो मिल गया अवार्ड, लेकिन इलाज की स्थिति बेहद खराब
Social Issue Of Banka- डाक्टरों की कमी से मरीज परेशान।

संवाद सूत्र, बेलहर (बांका)। Social Issue Of Banka- सफाई के लिए अवार्ड पाने वाले सीएससी में इलाज की व्यवस्था किसी कबाड़ से कम नहीं है। हालत यह है कि पौने दो लाख की आबादी की इलाज जैसे-तैसे हो रही है। नक्सल प्रभावित यह क्षेत्र होने के बाद भी मूलभूत सुविधाएं से उक्त अस्पताल वंचित है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील हुए करीब ढाई वर्ष बीतने के बाद भी पीएचसी भवन में आयुष चिकित्सा केंद्र खोलने का दावा हवा हवाई साबित हो रहा है। रखरखाव के अभाव में भवन खंडहर में तब्दील होने लगा है। कई केंद्रों पर भवन झाड़ियों के आगोश में समा गया है। कुछ स्थानों पर लाखों रुपये की लागत से खरीदी गई फर्नीचर, अलमीरा, गोदरेज, कुर्सी, टेबल आदि को जंग और दीमक खा रहा है।

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पिछले सप्ताह ही मिला है अवार्ड

ज्ञात हो कि साफ सफाई एवं कायाकल्प में अस्पताल की स्थिति बेहतर होने के कारण पिछले सप्ताह ही स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय द्वारा अवार्ड दिया गया है। तीन एपीएचसी और 21 स्वाथ्य केंद्र हैं। अस्पताल में 18 डाक्टरों का पद है। जिसमें आयुष सहित 14 डाक्टर हैं। एनएम के लिए 52 पद हैं, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण महज 24 एनएम ही कार्यरत हैं। इसी 24 एनएम से प्रसव कार्य, आपरेशन थियेटर, कोविड वैक्सीनेशन, पल्स पोलियो आदि कार्य लिया जाता है।

120 की जगह मात्र 83 दवाईयां उपलब्ध

चर्चा है कि विभागीय मिलीभगत से एनएम की मनचाही पोङ्क्षस्टग होने से जैसे-तैसे कार्य हो रहा है। ड्रेसर, कंपाउंडर नदारद हैं। ओपीडी में एक सौ की जगह 44 और आईपीडी में 120 की जगह 83 दवाएं उपलब्ध हैं। इस कारण कुछ दवाईयां खरीद कर लाना मजबूरी है।

देवघर, भागलपुर से आते-जाते हैं चिकित्सक

सीएससी में महज एक खटारा एंबुलेंस है। इसके कारण मरीजों को परेशानी होती है। एक्सरे मशीन नहीं है। प्रसव कक्ष और आपरेशन थियेटर की व्यवस्था ठीक है। ज्ञात हो कि प्रतिदिन एक सौ से अधिक मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। सीएससी में रैंप, प्रशासनिक भवन, माडर्न पैथोलाजी, डिजिटल एक्सरे, ब्लड सोटेरेज यूनिट आदि सुविधा नदारद है। डाक्टर व एनएम के लिए चंद आवास उपलब्ध हैं, जिस कारण किराए के मकान में रहना पड़ता है। डाक्टरों को भागलपुर, मुंगेर एवं देवघर से आवागमन करना पड़ता है। अधिकतर एनएम ने मुंगेर जिले के संग्रामपुर में डेरा ले लिया है।

अस्पताल की व्यवस्था एक नजर में

  • अस्पताल में बेड की संख्या-30
  • चिकित्सक के पद 18, रिक्त- 4
  • एनएम के पद 52, रिक्त 28

'एनएम की घोर कमी है। दवाओं की भी कमी है। कफ सीरप, मल्टी विटामिन दवा नहीं है। रैंप, प्रशासनिक भवन, माडर्न पैथोलाजी, डिजिटल एक्सरे, ब्लड स्टोरेज यूनिट की सुविधा जरूरी है। कंपाउंडर, ड्रेसर का भी पद रिक्त हैं। जिस कारण घायलों तक का महरम पट्टी एनएम से कराना पड़ता है।'- डा अनिल कुमार, प्रभारी बेलहर, सीएससी


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