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बच्चा चोरी की अफवाह पर अब तक 126 बेगुनाहों की हो चुकी है पिटाई Bhagalpur News

अफवाह फैलाने वाले लोगों ने बच्चा चोरी का एक फर्जी वीडियो व्हाट्सएप पर डाल दिया था। लोग इस मैसेज पर यकीन कर बेगुनाहों को पिटना शुरू कर दिए।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 12:57 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 12:57 PM (IST)
बच्चा चोरी की अफवाह पर अब तक 126 बेगुनाहों की हो चुकी है पिटाई Bhagalpur News

भागलपुर [संजय सिंह]। बच्चा चोरी की अफवाह पर भीड़ द्वारा पिटाई के रोज नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। पूर्व बिहार और कोसी इलाके में अब तक 126 बेगुनाहों की पिटाई हो चुकी है। पिटे गए अधिकांश बुजुर्ग महिलाएं थीं या फिर पुरुष। मानसिक रूप से कमजोर लोग इसके शिकार हुए। पुलिस की लचर कार्रवाई ने भी अफवाह फैलाने वालों का मनोबल बढ़ाया। अब यह समस्या पुलिस के लिए गले का फंदा बन गया है। पुलिस अफवाह को रोक पाने में विफल है।

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सबसे अधिक घटनाएं किशनगंज में

बच्चा चोरी की अफवाह का सबसे ज्यादा असर आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े किशनगंज जिले पर पड़ा है। यहां अफवाह के कारण पिटाई की 24 घटनाएं घटी। दूसरे नंबर पर अररिया और बांका है। इन दोनों जिले में पिटाई की 18-18 घटनाएं हुईं। सुपौल ही एक ऐसा जिला है जहां इस अफवाह का कोई असर नहीं पड़ा।

2017 में 33 लोगों की पिटाई से हो गई थी मौत

पुलिस पदाधिकारियों का भी मानना है कि व्हाट्सएप के जरिये अफवाह फैलाने वालों को मदद मिली। दरअसल, अफवाह फैलाने वाले लोगों ने बच्चा चोरी का एक फर्जी वीडियो व्हाट्सएप पर डाल दिया था। लोग इस मैसेज पर यकीन कर बेगुनाहों को पिटना शुरू कर दिए। बेगुनाहों की पिटाई का कई वीडियो व्हाट्सएप पर जारी किया गया। परिणाम स्वरूप, इस वर्ष बेगुनाहों की पिटाई की ज्यादा घटनाएं घटी। यह तो महज संयोग था कि पिटाई से किसी बेगुनाह की मौत नहीं हुई। वर्ष 2017 में भी पूरे देश में इस तरह की अफवाह फैली थी। उस समय बेगुनाहों के पिटाई की 69 घटनाएं घटी थीं। 33 लोगों की मौत हो गई थी।

पुलिस की उदासीनता से मिला अफवाह को बल

बच्चा चोरी की अफवाह को बढ़ाने में पुलिस की निष्क्रियता भी प्रमुख कारण बनकर सामने आया है। पूर्व बिहार और कोसी में इस वर्ष के आठ महीने के दौरान 75 बच्चे गुमशुदा हैं। इनमें से कुछ बच्चे घर लौट आए हैं। लेकिन 42 बच्चों का अब तक कोई अता-पता नहीं चला है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट थाने में लिखी जाने लगी। इसके लिए हर जिले में एक सेल का भी गठन किया गया। लेकिन चाइल्ड मिसिंग सेल बच्चों को ढूंढ निकाल पाने में कारगर साबित नहीं हो रहा है। हर जिले में सिर्फ कागजी खानापूरी की जा रही है। परिणाम स्वरूप, जिन मां-बाप के बच्चे खोते हैं उनका भरोसा पुलिसिया कार्रवाई से उठ जाता है। ऐसे लोगों का आक्रोशित मन अफवाह फैलाने वालों की मदद करने में लग जाता है।

असुरक्षा, रुढि़वादिता और अज्ञानता की वजह से ऐसी घटनाएं घट रही हैं। बिना सोचे समझे लोग अफवाह के कारण हिंसक हो जाते हैं। - डॉ. राजेश तिवारी, विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, टीएनबी कॉलेज

वाट्सएप के कारण अफवाह फैलाने वालों को मौका मिलता है। लोगों को सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए। - शिल्पी सिंह, निदेशक, भूमिका विहार

अफवाह फैलाने वालों पर पुलिस की कड़ी नजर है। ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी की जा रही है। - आशीष भारती, एसएसपी


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