तस्करी : बिहार से नेपाल पहुंचाई जा रही यूरिया, साइकिल से सीमा पार कराया जा रहा उर्वरक
नेपाल में धान की खेती के अलावा चाय बगान में भी यूरिया की काफी मांग है। तस्करों को इसमें तिगुना से अधिक मुनाफा मिल रहा है।
किशनगंज, जेएनएन। नेपाल की खुली सीमा हमेशा से तस्करों के लिए मुफीद रही है। खेती-बारी का मौसम आते ही तस्करों का गिरोह यूरिया की तस्करी में जुट गया है। बड़े पैमाने पर बिहार से यूरिया की खेप नेपाल पहुंचाई जा रही है। नेपाल में धान की खेती के अलावा चाय बगान में भी यूरिया की काफी मांग है।
तस्करों को इसमें तिगुना से अधिक मुनाफा मिल रहा है। हाल के दिनों में इंडो-नेपाल बॉर्डर पर खाद की तस्करी के एक दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं।
दो अगस्त की रात को मोहामारी कंपनी मुख्यालय के एसएसबी जवानों ने बॉर्डर पिलर संख्या 133 के समीप भारतीय सीमा क्षेत्र में 56 बैग यूरिया के साथ दो तस्करों लुखी राम किस्कु व एनुष किस्कु को गिरफ्तार किया था। आठ अगस्त को बंगाल से लाई गई यूरिया की एक बड़ी खेप दिघलबैंक थाना क्षेत्र में पुलिस ने बरामद की थी। एक मिनी ट्रक व पिकअप वैन समेत 240 बोरी नीम कोटेड यूरिया जब्त की गई थी। बताया जाता है कि सीमावर्ती इलाके में जब्त की गई इस खेप को भी नेपाल भेजे जाने की योजना थी। इन दो बड़ी कार्रवाई के अलावा बॉर्डर पर एक दर्जन मामलों में यूरिया की खेप बरामद की जा चुकी है। इस दौरान एक दर्जन गिरफ्तारियां भी की जा चुकी हैं।
दरअसल, बढ़ती मांग और अधिक कीमत मिलने से बिहार और बंगाल के तस्कर गिरोह सक्रिय हैं। खासकर बंगाल व सीमांचल के इलाके से यूरिया की खेप नेपाल बॉर्डर के आसपास स्टॉक की जा रही है। इसके बाद खुली सीमा का लाभ लेकर रात के अंधेरे में कोरियर के माध्यम से खाद की बोरी सीमा पार कराई जा रही है। साइकिल से सीमा पार कराने के लिए कोरियर को प्रति बोरी 100 रुपये दिए जा रहे हैं। बाजार में औसतन 400 रुपये प्रति बोरी मिलने वाली यूरिया नेपाल में एक हजार से 1500 रुपये प्रति बोरी बेची जा रही है। एसएसबी अधिकारियों का कहना है कि जवानों की सतर्कता से लगातार यूरिया की बरामदगी की जा रही है। कुछेक मामलों में तस्कर भी दबोचे गए हैं। सीमावर्ती ग्रामीणों से संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देने की अपील की गई है।
जिला प्रशासन व कृषि विभाग द्वारा संयुक्त रूप से छापेमारी दल का गठन कर कार्रवाई की जा रही है। दुकानों की जांच के साथ स्टॉक मिलान भी किया जा रहा है। जल्द ही परिणाम सामने आएगा। - प्रवीण कुमार झा
जिला कृषि पदाधिकारी, किशनगंज