स्मोकिंग से हो रही लाइलाज बीमारी दमा
हृदय रोग और लकवा के बाद विश्व में क्रॉनिक ऑब्सट्रटिक्स पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से लोग ग्रसित होते हैं। सिगरेट और बीड़ी पीने वाले देश में 15 फीसद लोग सांस फूलने (दमा) से पीड़ित हैं।
भागलपुर। हृदय रोग और लकवा के बाद विश्व में क्रॉनिक ऑब्सट्रटिक्स पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से लोग ग्रसित होते हैं। सिगरेट और बीड़ी पीने वाले देश में 15 फीसद लोग सांस फूलने (दमा) से पीड़ित हैं। इसके अलावा चूल्हे से निकला धुंआ भी इस रोग को बढ़ावा देता है। बुधवार को सीओपीडी जागरूकता दिवस पर जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के मेडिसीन विभाग में आयोजित प्रेसवार्ता में चिकित्सकों ने जानकारी दी।
टीबी एंड चेस्ट विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीपी सिंह ने कहा कि देश में 15 फीसद लोग दमा के मरीज हैं। इनमें ग्रामीण महिलाएं भी शामिल हैं। जो उपला या लकड़ी पर भोजन बनाती हैं। उससे निकलने वाले धुंए फेफड़ा को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि वर्ष में एक बार इन्फ्यूलूंजा और पांच वर्ष में एक बाद निमोनिया का टीका अवश्य लें। डॉ. विनय कुमार ने कहा कि सिगरेट पीने से तीन फीसद और बीड़ी पीने से आठ फीसद लोग दमा के मरीज होते हैं।
हर दिन दमा के 80 से सौ मरीजों का किया जाता है इलाज
डॉ. शांतनु घोष ने कहा कि अस्पताल में दो दिन दमा के मरीजों का इलाज किया जाता है और उन्हें इनहेलर भी दिया जाता है। दो दिनों में 80 से एक सौ लोग इलाज करवाते हैं। डॉ. केडी मंडल ने कहा कि प्रदूषण की वजह से दिल्ली में लोगों को सांस की बीमारी होती है। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन प्राणायाम करना चाहिए। डॉ. हेम शंकर शर्मा ने कहा कि सिगरेट और बीड़ी पीना छोड़ने से बीमारी नहीं होगी। धूल की वजह से भी लोग दमा के अलावा बीपी, हृदय रोग और पेट की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। वहीं डॉ. राजकमल चौधरी ने कहा कि दमा के मरीजों को सांस लेने में परेशानी होने पर हार्ट फेल भी हो सकता है। इस अवसर पर मेडिकल छात्रों को भी बीमारी के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें जागरूक किया गया।