Move to Jagran APP

टेंडर में लग गए डेढ़ साल, ऐसे तो स्मार्ट बनने से रहा शहर

नोट : स्मार्ट सिटी का लोगो लगाएं ------------------- सब हेड :- स्मार्ट सिटी बोर्ड की लचर कार्यशैली से फाइलों में उलझी योजना, नहीं हो रहा विकास कार्य कैचवर्ड :- लापरवाही - पहले निकाली निविदा अब तकनीकी समिति बनाकर डीपीआर की कराई जा रही जांच - नगर विकास मंत्री ने मार्च तक अधिकतर विकास कार्यो के लिए टेंडर फाइनल करने के दिए थे निर्देश - अल्टीमेटम के बावजूद चल रही लंबी प्रक्रिया, डेढ़ माह में होने वाली निविदा चार माह में भी नहीं हुई पूरी ------------------------ हाइलाटर्स -1300 करोड़ से शहर को विकसित करने की है योजना - 382 करोड़ रुपये स्मार्ट सिटी मद में मिल चुके हैं - 09 करोड़ रुपये खर्च हो पाए हैं अब तक ------------------------ जागरण संवाददाता,

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 08:43 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 08:43 AM (IST)
टेंडर में लग गए डेढ़ साल, ऐसे तो स्मार्ट बनने से रहा शहर
टेंडर में लग गए डेढ़ साल, ऐसे तो स्मार्ट बनने से रहा शहर

भागलपुर। सिल्क सिटी को बेशक स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल कर लिया गया लेकिन अफसरों की लालफीताशाही के कारण सिर्फ टेंडर की प्रक्रिया अपनाने में ही डेढ़ साल लग गए। ऐसे में शहर को स्मार्ट बनाने का सपना टूटता नजर आ रहा है। जबकि एक सप्ताह पूर्व ही नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने अफसरों को इसके लिए फटकार लगाई थी। यह अलग बात है कि निगम प्रशासन ने विकास कार्यो के मामले में प्रधान सचिव को भी अंधेरे में रखा।

loksabha election banner

शहर को 1300 करोड़ रुपये से स्मार्ट बनाने की योजना है। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार से 382 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। लेकिन पिछले डेढ़ साल में सिर्फ टेंडर की ही प्रक्रिया अपनाई जाती रही और अफसर वह भी पूरा नहीं कर पाए तो विकास की बात को दूर है। अफसरों ने सड़कों के किनारे दो-चार रेडीमेड शौचालय लगा दिए और शहर हो गया स्मार्ट। विकास कार्यो के प्रति अफसरों की संजीदगी का आलम यह है कि छोटे-मोटे कार्य में ही 09 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। हालांकि विकास के मुख्य कार्यो के लिए भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड बोर्ड की अब तक 12 बार बैठक हो चुकी है। बैठकों में एजेंडे भी बनाए गए लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया। यही कारण है कि आधा दर्जन से अधिक योजनाएं फाइलों और निविदा के पेच में फंसी हुई हैं।

पांच माह बाद भी नहीं पूरी हो पाई टेंडर प्रक्रिया

अधिकारियों की लापरवाही का आलम यह है कि नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा द्वारा अल्टीमेटम दिए जाने के बाद मार्च से सिर्फ शहर में पार्क, स्मार्ट सोलर लाइट, टाउन हॉल, कंट्रोल एंड कमांड कक्ष, स्मार्ट फूड जोन के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) निकालने की कवायद शुरू हुई है। बीते मार्च में कंट्रोल एंड कमांड केंद्र और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए निविदा निकाली गई। जिसकी प्रकिया पांच माह बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इतना ही नहीं सात जुलाई को नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने नगर आयुक्त को जुलाई के अंत तक कम से कम 600 करोड़ की निविदा निकालने का अल्टीमेटम दिया था। जिसके बाद भी अफसरों की सुस्ती नहीं टूटी है।

531 करोड़ का ही तैयार हो पाया है प्रस्ताव

शहर में कंट्रोल एंड कमांड केंद्र के लिए 130 करोड़ और केंद्र भवन पर 3.7 करोड़ की योजना है। 34 करोड़ रुपये कूड़ा निस्तारण पर, 2.4 मेगावाट सोलर एनर्जी प्लांट के लिए 14 करोड़, 293.7 करोड़ की लागत से 23.7 किलोमीटर स्मार्ट सड़क बनाने की योजना, 25 करोड़ की लागत से सैंडिस कंपाउंड का सौंदर्यीकरण, 35 करोड़ से लाजपत पार्क का सौंदर्यीकरण और टाउन हॉल का निर्माण शामिल है। इन योजनाओं के लिए कुल 531 करोड़ की योजना तैयार हो रही है।

तकनीकी समिति अब तक नहीं ले पाई है निर्णय

130 करोड़ की लागत से कंट्रोल एंड कमांड केंद्र के आरएफपी के लिए नौ मार्च को निविदा निकाली गई। अप्रैल में प्री बिड की बैठक में देश भर की 22 कंपनियां शामिल हुई। पांच जून को टेक्नीकल बिड और 20 जून को वित्तीय बिड खोली जानी थी। लेकिन अब निविदा का निर्णय तकनीकी समिति के पास फंसा हुआ है। समिति के सदस्यों ने अब तक अध्ययन कर प्रस्ताव को नहीं लौटाया है। जिसके कारण योजना में विलंब हो रहा है। इसमें तीन बड़ी कंपनियां शामिल हुई हैं। 3.7 करोड़ की लागत से केंद्र का भवन निर्माण भी किया जाना है। लेकिन कहां भवन का निर्माण होगा इसके लिए जगह भी चिन्हित नहीं किया गया है।

स्मार्ट सड़क की योजना भी अधर में

शहर में स्मार्ट सड़क की योजना अभी भी आगे नहीं बढ़ पाई है। कभी तिलकामांझी से मनाली चौक तक एक किलोमीटर सड़क को तो कभी शहर के सभी मुख्य मार्ग को स्मार्ट बनाने की योजना बनाई गई। समय-समय पर बैठकों में इसकी डीपीआर भी बनती रही और योजना में भी बदलाव होता रहा। अब जाकर 293.7 करोड़ की लागत से 23.7 किलोमीटर स्मार्ट सड़क के लिए 22 मई को आरएफपी के लिए निविदा निकाली गई है। हालांकि डीपीआर की बिना स्वीकृति और तकनीकी टीम से अध्ययन कराए बगैर निविदा में जल्दबाजी दिखाई गई। कंसलटेंसी एजेंसी पीडीएमसी के एक्सपर्ट ने डीपीआर को स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ के पास 30 मार्च को स्वीकृति के लिए भेजा गया था, लेकिन मामला अभी भी अधर में है।

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट से कंपनियों ने बनाई दूरी

शहर में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त किए बिना स्मार्ट सिटी की कल्पना नहीं की जा सकी है। इसके लिए 34 करोड़ की लागत से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की योजना तैयार की गई। इसके तहत कूड़ा उठाव से लेकर निस्तारण और जैविक खाद तैयार की जानी है। इसके लिए 20 अप्रैल से निविदा की प्रक्रिया शुरू हुई। 19 मई तक निविदा डालने की तिथि तय की गई थी। इस बीच नौ मई को प्री-बिड बैठक में सिर्फ एक कंपनी पहुंची थी। लेकिन बाद में योजना को लेकर कंपनियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। 11 जून को दूसरी प्री-बिड बैठक हुई, जिसमें मात्र दो कंपनियों ने हिस्सा लिया। 22 जुलाई को वित्तीय बिड खोली जाएगी। इस बीच कंपनियों ने योजना से जुड़ी जानकारी मांगी है जिसका जवाब वेबसाइट पर लोड नहीं किया गया है।

प्रत्येक सप्ताह एक आरएफपी का किया था दावा

नगर आयुक्त ने स्मार्ट सिटी के कार्यो में तेजी लाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे। यहां तक कि एक सप्ताह में एक योजना का हरहाल में आरएफपी तैयार कराने की बात कही थी। पीडीएमसी ने कंट्रोल एंड कमांड कक्ष, लाजपत पार्क, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और स्मार्ट सड़क की आरएफपी तैयार कर ली है। स्मार्ट वेंडिंग जोन, हेरिटेज वॉक और सोलर प्लांट का आरएफपी बनकर तैयार है। बावजूद इसके निविदा की प्रकिया शुरू नहीं हो पा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.