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स्मार्ट सिटी की योजना कागजों में, स्वच्छता रैंकिंग में भी फिसड्डी

भागलपुर। सिल्क नगरी को बेशक स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है लेकिन तमाम संसाधनों के बाव

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Jul 2018 08:01 AM (IST)Updated: Mon, 16 Jul 2018 08:01 AM (IST)
स्मार्ट सिटी की योजना कागजों में, स्वच्छता रैंकिंग में भी फिसड्डी

भागलपुर। सिल्क नगरी को बेशक स्मार्ट बनाने की कवायद चल रही है लेकिन तमाम संसाधनों के बावजूद नगर निगम की व्यवस्था ही अब तक स्मार्ट नहीं हो पाई। विकास की सभी योजनाएं कागजों में हैं। ऐसे में शहर को स्मार्ट बनाने की बात बेमानी है। साफ-सफाई की हालत सबसे बदतर है। गलियों और सड़क किनारे कूड़े का अंबार लगा रहता है। यही कारण है कि स्वच्छता रैंकिंग में यह फिसड्डी साबित हुआ है।

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दरअसल सफाई व्यवस्था के लिए निगम के पास कारगर योजना नहीं है जबकि संसाधन की कोई कमी नहीं है। हाल ही में देश के चार हजार शहरों के सर्वेक्षण में भागलपुर 446वीं रैंक पर रहा। इसके बावजूद व्यवस्था सुधारने की कोशिश नहीं की जा रही है। सफाई व्यवस्था ऐसी है कि नाथनगर के पुरानीसराय और जगदीशपुर मार्ग के किनारे नगर निगम द्वारा कूड़ा गिराया जाता है। इस मार्ग से गुजरने वाले राहगीरों को दुर्गध का सामना करना पड़ता है। बदबू के कारण स्थानीय लोगों का उधर से गुजरना दूभर हो गया है। ऐसे में लोग मजबूरन कूड़े में आग लगा रहे हैं जो पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है। कुछ स्थानीय दबंगों द्वारा निगम के साथ साठगाठ कर नदी और बांध को कूड़े से भरने की साजिश की जा रही है। डंपिंग स्थल के आसपास गांवों में कूड़े की बदबू से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। इच्छाशक्ति और अव्यवस्था के कारण शहर को स्वच्छ बनाना नगर निगम के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। निगम मोहल्लों की गलियों की सफाई को नजरअंदाज किया जा रहा है।

एनएच 80 को बना दिया डंपिंग प्वाइंट

लोहापट्टी मार्ग कूड़े के ढेर से पट गया है। यहां एनएच 80 को ही डंपिंग प्वाइंट में तब्दील कर दिया गया है। शहर की अधिकांश नालियां गाद से पटी हुई हैं। सड़क पर नाले का पानी बह रहा है। गैंग लगाकर जैसे-तैसे नाले की उड़ाही की जा रही है। समूचित सफाई नहीं होने से चंद दिनों में नालियां गाद से पट जाती हैं। शहर के एक से 51 वार्डो के 150 डंपिंग प्वाइंट से कूड़े का उठाव होता है। लेकिन रविवार को विशेष सफाई अभियान के बावजूद मुख्य मार्गो के डंपिंग प्वाइंट पर कूड़े का अंबार लगा रहा। इसमें वेराइटी चौक, सैंडिस कंपाउंड, सेल टैक्स कार्यालय के समीप, नाथनगर, लोहापट्टी, परबत्ती, चंपानगर व सराय आदि क्षेत्र शामिल हैं।

घर-घर कूड़ेदान देने की योजना पर अमल नहीं

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत प्रत्येक घर को दो-दो कूड़ेदान देने की योजना बनाई गई थी। नीले व लाल रंग के दो कूड़ेदान गिला एवं सूखा कचरा रखने को 86 घरों में कूड़ेदान वितरण की योजना अब तक धरातल पर नहीं उतरी। कूड़ेदान देने के लिए 60 लाख रुपये खर्च करने की योजना बनाई जा रही है।

आदर्श वार्ड की योजना भी फेल

नगर आयुक्त श्याम बिहारी मीणा ने आदर्श वार्ड बनाने के लिए मार्च में घोषणा की थी। इसमें वार्ड एक से तीन के साथ 38 और 50 को आदर्श वार्ड बनाने की योजना बनी थी। लेकिन अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी है।

निगमकर्मियों में भी भय का माहौल

कूड़ा के लिए डंपिंग स्थल नहीं होने से जहां-तहां कूड़ा गिराना पड़ रहा है। आए दिन शहर के बाहरी क्षेत्र में कूड़ा गिराने पर ग्रामीणों का विरोध झेलना पड़ रहा है। कई सफाईकर्मियों के साथ मारपीट की घटना को अंजाम दिया जा चुका है। इससे वाहन चालकों में भय का माहौल है।

कनकैथी में डंपिंग ग्राउंड की योजना अधर में

जगदीशपुर के कनकैथी में अगर डंपिंग ग्राउंड के लिए जमीन मिल गई तो 70 एमटी क्षमता वाले प्रोसेसिंग प्लांट पर 20 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना स्मार्ट सिटी के तहत बनाई गई है। कनकैथी में सॉलिड वेस्ट प्लांट के लिए 32 करोड़ की राशि की निविदा अप्रैल माह में स्मार्ट सिटी योजना से निकाली गई, लेकिन कंपनियों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। वहीं बरारी के हनुमान घाट मार्ग पर 100 एमटी क्षमता वाले जैविक प्लांट पर 10 करोड़ रुपये खर्च की योजना है परंतु अभी अमल नहीं हो पाया है।

नगर निगम की स्थिति :

- वार्ड संख्या - 51

-गृहकर संख्या - 72 हजार

-प्रतिदिन कूड़ा का उठाव - 200 से 250 एमटी

-सफाई कर्मी - प्रत्येक वार्ड में 10 से 12 कर्मी

-स्थायी सफाई कर्मी - 216

-बड़े ट्रैक्टर की संख्या - 15

- मिनी ट्रैक्टर की संख्या - 05

-जेसीबी की संख्या - तीन

-डंफर की संख्या - एक

-ऑटो टीपर की संख्या - 48

-हाथ ठेला की संख्या - 200

-रिक्शा ठेला की संख्या - 204

- कूड़ेदान की संख्या - तीन हजार

शव वाहन - एक

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प्लास्टिक ने बिगाड़ी शहर की सूरत :

महाराष्ट्र के बाद भी यूपी में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लग गया है। ताकि शहर को प्रदूषण मुक्त किया जा सके। भागलपुर में प्लास्टिक बैग के प्रचलन ने रेशमी शहर को बदसूरत बना दिया है। निगम के स्वच्छता प्रभारी महेश साह बताते हैं कि प्लास्टिक बैग के उपयोग से नालिया जाम हो रही हैं। कूड़े का 60 फीसद हिस्सा प्लास्टिक ही रहता है जो पर्यावरण का दुश्मन है। इस पर रोक लगाने के लिए शहरवासियों के साथ व्यवसायियों को भी जागरूक होना जरुरी हैं।

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आधुनिक संसाधन पर लाखों खर्च पर उपयोग नहीं

स्मार्ट सिटी की योजना से शहर की सफाई व्यवस्था को आधुनिक संसाधन से लैस करने को लाखों खर्च किया गया है। डिस्लिटिंग मशीन एक वर्ष से नगर निगम कार्यालय परिसर में रखा हुआ है। जिसका इस्तेमाल नहीं किया गया है।

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मंदिर मार्ग को निगम ने बना दिया नरक

नाथनगर के जैन मंदिर मार्ग की दुर्दशा देख नगर निगम की मनमानी साफ पता चलती है। वार्ड 12 स्थित जैन मंदिर के पास नाला निर्माण की योजना चार वर्ष से अटकी हुई है। पांच बार निविदा रद होने के बाद अब हाईकोर्ट में नाला निर्माण का भविष्य फंसा हुआ है। शहर में 21 मुख्य आउट फॉल है। जिसकी सफाई पांच दशक से नहीं हुई है। आउट फॉल नाले की सफाई नहीं होती है। इसके जाम रहने की वजह से शहर में जल निकासी की समस्या होती है और लोगों को गंदगी एवं जलजमाव का सामना करना पड़ता है। शहर के दक्षिणी क्षेत्र में सफाई व्यवस्था चरमराने से नारकीय स्थिति बन गई है।

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कोट प्रशासक मॉनिट¨रग नहीं करते हैं। जिसके कारण शहर में समूचित सफाई नहीं हो पाती है। शहर के बाहर कूड़ा फेंकने से नगर निगम के प्रति स्थानीय लोगों में आक्रोश हैं। रैंकिंग में सुधार के लिए व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी।

सीमा साहा, मेयर

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सब हेड :- नगर निगम की लचर कार्यप्रणाली से व्यवस्थित नहीं हो सकी सफाई व्यवस्था कैचवर्ड :- लापरवाही

- शहर के मुख्य मार्गो तक ही सिमट जाती है साफ-सफाई

- गलियों में सफाई व्यवस्था बेपटरी, नियमित नहीं होता कूड़े का उठाव

- निजी भूखंडो पर गिराया जा रहा शहर का कूड़ा

- डंपिंग ग्राउंड का अब तक नहीं हो पाया स्थायी निदान

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स्वच्छता सर्वेक्षण में भागलपुर की स्थिति

- टॉप टेन सूची में शामिल नहीं हो सका सिल्क सिटी

- संसाधनों के मामले में धनी और सुविधाओं के मामले में फिसड्डी

- सूबे में 26वीं और देश भर में 446वीं रैंक भागलपुर निगम की

- 4203 शहरों का कराया गया था स्वच्छता सर्वेक्षण

- 2017 में भागलपुर को 500 शहरों में थी 275वीं रैंक

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सर्वेक्षण में मिले अंक

- 4000 अंकों में भागलपुर को मिला 874.88

- 1400 अंक की नागरिक सुविधाओं में मिले सिर्फ 52 अंक

- शहर में जमीनी सर्वेक्षण के 1200 अंक में से मिला 371.82 अंक

- सिटीजन फीडबैक के 1400 अंक में मिला 451.06 अंक

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