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अपराध का मनोविज्ञान : बच्चों को घर में गीता का ज्ञान देना जरूरी, सभी मिलकर करें गीता पाठ Bhagalpur News

तिमांविवि के मनोविज्ञान विभाग में अपराध का मनोविज्ञान विषय पर सेमिनार आयोजित की गई। सेमिनार में कई विश्‍वविद्यालयों के विद्वान पधारे हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 01:15 PM (IST)
अपराध का मनोविज्ञान : बच्चों को घर में गीता का ज्ञान देना जरूरी, सभी मिलकर करें गीता पाठ Bhagalpur News
अपराध का मनोविज्ञान : बच्चों को घर में गीता का ज्ञान देना जरूरी, सभी मिलकर करें गीता पाठ Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में 'अपराध का मनोविज्ञान' विषय पर सेमिनार शुरू हो गया। दो दिवसीय सेमिनार के पहले दिन भूटान और बांग्लादेश के साथ ही देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से विद्वतजन पहुंचे। सेमिनार में रॉयल विश्वविद्यालय भूटान के डॉ. लुंगटेन वांगड़ी ने कहा कि संस्कृति और नैतिकता के बिना शिक्षा अधूरी है। बच्चों को घर में गीता का ज्ञान अवश्य देना चाहिए।

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बतौर मुख्य अतिथि डॉ. वांगड़ी ने कहा कि पहले पश्चिमी मनोविज्ञान की चर्चा होती थी। अब भारतीय मनोविज्ञान पर बात करने की जरूरत है। पश्चिमी मनोविज्ञान भारतीयों पर प्रासंगिक नहीं है। यही कारण है कि हम श्रीमद्भगवत गीता की भी बात करते हैं। कहा, युवाओं में नैतिक गुणों के विकास से ही राष्ट्र की समृद्धि संभव है। इसलिए युवाओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाना होगा। बढ़ती आपराधिक गतिविधियों पर नियंत्रण जरूरी है।

मनोविज्ञानी शोध से समाज को दें नई दिशा

टीएमबीयू के कुलपति प्रो. एके राय ने कहा कि अपराध की दुनिया में किशोरों की संख्या बढ़ रही है। मनोविज्ञानियों को अपने शोध से समाज को नई दिशा देने की जरूरत है। उन्होंने बाल सुधार गृह (रिमांड होम) में भी मनोविज्ञानी को रखने की जरूरत बताई। कुलपति ने कहा कि बच्चों के नैतिक विकास में माता-पिता की अहम जिम्मेदारी है। उन्हें पूरी निष्ठा के साथ अपने बच्चों को सही सांचे में ढालने का काम करने की जरूरत है। उन्होंने अपराध को आनुवांशिक गुण से जोड़कर इसकी विस्तार से व्याख्या की। एमएलसी डॉ. एनके यादव ने मनोवैज्ञानिक विकार को अपराध की संज्ञा दी। उन्होंने कहा 90 फीसदी बीमारी मन की होती है।

ढाका विवि बांग्लादेश के प्रो. कमालउद्दीन ने कहा कि हर व्यक्ति का व्यक्तित्व अलग-अलग होता है। उन्होंने स्वीकार्यता और अस्वीकार्यता के सिद्धांत की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों के साथ माता-पिता का संबंध मजबूत होना चाहिए। तभी बाल्यावस्था से बच्चों में नैतिक गुणों का विकास होगा। इंडियन साइकोलॉजिकल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. तारिणी ने कहा कि सेमिनार में विचार मंथन के बाद जो बातें छन कर निकलेंगी, उसे सरकार तक पहुंचाया जाएगा। ताकि सार्थक परिणाम निकले।

पढ़े लिखे लोग अपराध की दुनिया में बढ़ा रहे कदम

बेंगलुरु से आए मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. ब्रजकिशोर गुप्ता ने अपराध का मनोविज्ञान के लिए शिक्षा पद्धति को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि सिर्फ स्किल डेवलपमेंट से काम नहीं चलेगा। नैतिक विकास पर भी बल देने की जरूरत है। डॉ. गुप्ता ने कहा कि पहले मुर्ख अपराध करते थे। अब पढ़े-लिखे अपराध की दुनिया में कदम बढ़ा रहे है, जो गंभीर चिंता का विषय है।

इसके पूर्व आगत अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. एसएन चौधरी ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन व कुलगीत से हुई। वहां टीएनबी और एसएम कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का भी बाहर से आए शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने लाभ उठाया। मौके पर जयपुर विवि के एवीएस महावत, काशी विद्यापीठ के प्रो. जीपी ठाकुर, डॉ. निरंजन कुमार, प्रो. रेखा सिन्हा, डॉ. हरदेव ओझा, डा. श्वेता और विभाग के छात्र मौजूद थे।


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