जल संसाधन और सतत विकास एक वैश्रि्वक चुनौती पर टीएमबीयू में मंथन शुरू
टीएमबीयू में शुक्रवार को जल संसाधन और सतत विकास एक वैश्रि्वक चुनौती विषय पर्यावरणविद मंथन कर रहे हैं।
भागलपुर। टीएमबीयू में शुक्रवार को 'जल संसाधन और सतत विकास एक वैश्रि्वक चुनौती' विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी शुरू हुई। इस वैश्रि्वक चुनौती पर मंथन करने के लिए देश के कई विवि से कुलपति और विशेषज्ञ पहुंचे हैं।
पहले दिन पर्यावरण संरक्षण और हरियाली मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए अमरकंटक से आए पूर्व कुलपति कट्टी मनी ने जनजातीय या पहाड़ी इलाकों में पानी को कैसे संरक्षित किया जाए पर विस्तार से चर्चा की। विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग से आए कुलपति प्रो. रमेश शरण ने कहा, प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही उपयोग किया जाए जितना आवश्यक है। अंधाधुंध दोहन से असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है। दूसरे सत्र की अध्यक्षता भागलपुर विश्वविद्यालय के विज्ञान के पूर्व डीन पर्यावरणविद् डॉ. सुनील चौधरी ने की। इस मौके पर डॉ. रमन सिन्हा ने कहा कि बरगद का पेड़ अपनी जड़ों के नीचे 5000 लीटर पानी को जमा रखता है। वहीं, सफेदा का पेड़ एक दिन में 13 गैलन पानी की खपत करता। वर्षा जल से 70 फीसद भूगर्भीय जल को रिचार्ज किया जा सकता है। डॉ. मदन चंद्राबोरा, अर्थशास्त्री हनुमंत राय, डॉ. गरिमा झा, डॉ. जनक कुमारी श्रीवास्तव ने जल की महत्ता पर प्रकाश डाला। इसके पूर्व सेमिनार का शुभारंभ कुलपति प्रो. रमेश शरण, टीएमबीयू प्रति कुलपति प्रो. रामयतन प्रसाद ने संयुक्त रूप से किया।
पहले दिन संगोष्ठी में ये थे मौजूद
मुकेश कुमार बहरीन, प्रो. राजनारायण यादव विभागाध्यक्ष गणित एमएमएएम कैंपस विराट नगर, त्रिभुवन विश्वविद्यालय नेपाल, टीएमबीयू के कुलपति प्रो. एके राय, एनके चौधरी, प्रोफेसर ऐडी मिश्रा, प्रो. आरडी शर्मा और प्रो. सज्जल मुखर्जी आदि मौजूद थे।
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