स्वरोजगार : प्रवासियों के बनाए पापड़ और अचार का स्वाद चखेंगे लोग, उद्योग विभाग और बैंक करेंगे सहयोग
अब प्रवासियों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है। कोरोना काल में घर लौटे लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मुहैया कराया जाएगा। बैंक और उद्योग विभाग भी इनका सहयोग करेंगे।
भागलपुर [ललन तिवारी]। सबौर कृषि विज्ञान केंद्र में अब प्रवासियों को पापड़ व अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि वे अपना रोजगार शुरू कर सके। प्रवासी प्रशिक्षण लेने के बाद उद्योग विभाग की मदद से कुटीर उद्योग खोल सकेंगे। जिसमें बैंक भी सहयोग करेंगे। कुल 560 प्रवासियों को विभिन्न कृषि विषयों से आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण शुरु हो गया।
गांव गांव जाकर दिया जा रहा प्रशिक्षण
प्रवासियों के गांव में जाकर कृषि विभाग के विशेषज्ञों की टीम उनकी पसंद के अनुसार प्रशिक्षण दे रहे हैं। तीन दिन के प्रशिक्षण में उन्हें विषयों की जानकारी देते हुए स्वरोजगार करने के प्रति जागरूक किया जा रहा है। किस तरह से अपने प्रोडक्ट को बाजार में लेकर जाना है उसकी बारीकियों के बारे में जानकारी दी जा रही है। खास तौर से बकरी पालन, मछली, डेयरी, समन्वित कृषि प्रणाली, वैज्ञानिक तरीके से सब्जी उत्पादन, कृषि यंत्र बैंकिंग और वर्मी कंपोस्ट उत्पादन पर प्रशिक्षण के लिए तैयार भी किया जा रहा है।
इन्होंने लिया प्रशिक्षण
सुल्तानगंज के सूरज कुमार दास - कृषि यंत्र बैंक खोलने का प्रशिक्षण
पीरपैंती के मिथलेश कुमार सिन्हा--- आचार, पापड़ का प्रशिक्षण
सुल्तानगंज के ललित मंडल ----सब्जी उत्पादन का प्रशिक्षण
पीरपैंती के प्रफुल्ल सिन्हा ---------डेयरी फार्म खोलने का प्रशिक्षण
कमरगंज के भूमि राय ---------कृषि यंत्र बैंक खोलने का प्रशिक्षण
गोराडीह के अनिल दास------------ समन्वित कृषि प्रणाली का प्रशिक्षण
प्रवासी बोले, नहीं जाएंगे परदेस
प्रवासियों ने प्रशिक्षण मिलने के बाद अब परदेस का रूख नहीं करेंगे। सरकार से आर्थिक सहयोग मिलते ही अपना रोजगार शुरू कर देंगे। अपना रोजगार शुरु करने के बाद उसमें अन्य प्रवासी को भी रोजगार मिल जाएगा जिससे उन्हें फिर परदेस की तरफ जाने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा।
सरकारी संस्थानों को जिम्मेदारी
गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासियों को प्रशिक्षण से अनुदान और बैंक से कर्ज उपलब्ध कराकर संपूर्ण विकसित स्वरोजगार की स्थापना करनी है। ताकि पलायन पर विराम लग सके।
योजना के तहत केवीके को प्रशिक्षित और प्रेरित करने की जिम्मेदारी दी गई है। जिसे हमारी विशेषज्ञों की टीम प्रवासियों के गांव जाकर प्रशिक्षण दे रहे हैं। जिले के 560 प्रवासियों को प्रशिक्षण देने का टास्क मिला है। - डॉ. विनोद कुमार, इंचार्ज, कृषि विज्ञान केंद्र सबौर