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खगड़िया में शिक्षा व्यवस्था की देखें बदहाली, एमडीएम के लिए बच्चों को घर से लानी पड़ती है थाली

बिहारे के खगड़िया जिले में शिक्षा व्यवस्था चौपट सी हो गई है। यहां अधिकांश विद्यालयों में व्यवस्था का घोर अभाव है। जलावन पर मिड डे मील पकाया जा रहा है तो इसके लिए बच्चों को घर तक दौड़ लगानी पड़ रही है क्योंकि थाली...

By Shivam BajpaiEdited By: Published: Wed, 29 Jun 2022 08:56 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jun 2022 08:56 PM (IST)
मिड डे मील के लिए घर से थाली लेने जाते नौनिहाल।

संवाद सूत्र, महेशखूंट (खगड़िया): सरकारी स्तर पर शिक्षा में सुधार का लाख दावा किया जाता हो, लेकिन विभागीय उदासीनता और अधिकारियों की लापरवाही के कारण शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है। जहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेमानी लगती है। खगड़िया जिले में कई विद्यालय इसके उदाहरण हैं। विद्यालय का हाल जानने को लेकर जागरण टीम मंगलवार को गोगरी के बौरना पंचायत पहुंची। जहां के विद्यालय में सर्वथा व्यवस्था का अभाव और पठन पाठन के नाम पर केवल खानापूर्ति दिखी। एमडीएम व्यवस्था का भी बुरा हाल दिखा।

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जागरण टीम  नौ बजकर 25 मिनट पर कन्या प्राथमिक मकतब बौरना पहुंची। उस समय बच्चे विद्यालय से बाहर निकलते दिखे। कुछ बच्चे विद्यालय के खराब पड़े चापाकल पर उधम मचा रहे थे। विद्यालय से बाहर निकलकर जाते हुए बच्चों को रोककर पूछ गया कि अभी तो विद्यालय खुला है, कहां जा रहे हो, तो बच्चों ने जवाब दिया कि वे घर जा रहे हैं। क्यों जा रहे हो? इस सवाल पर जवाब मिला कि वे घर से भोजन के लिए थाली लाने जा रहे हैं। बच्चों से पूछा गया कि थाली घर से क्यों लाना है, तो बताया कि विद्यालय में थाली नहीं है। विद्यालय में प्रवेश करने पर वहां दो शिक्षक मौजूद दिखे। प्रधानाध्यापक के बाबत पूछने पर पता चला कि प्रधानाध्यापक कैसर अली अनुपस्थित हैं। एक शिक्षक भी विद्यालय से अनुपस्थित थे।

रसोइया बरामदे पर लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रही थी। विद्यालय में भवन का अभाव दिखा। यहां विद्यालय में भवन के नाम पर दो कमरा व बरामदा दिखा। एक कमरा स्टोर रूम है। चारों तरफ गंदगी का अंबार दिखा। पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं दिखी। चापाकल खराब पड़ा था। बच्चे पानी पीने के लिए भी अपने घर या पास के विद्यालय में जाते हैं। पठन पाठन चौपट दिखा।

पूछे जाने पर शिक्षकों ने बताया कि यहां नामांकित बच्चों की संख्या 140 है। उस समय तो सभी बच्चे थाली लाने गए थे। शिक्षकों ने उपस्थिति 80 बताई। विद्यालय में मध्याह्न भोजन गैस पर बनना है। यहां चूल्हे पर पक रहा था। जिसे लेकर बताया गया कि यहां गैस नहीं जलावन पर ही भोजन पकता है। विद्यालय की व्यवस्था को लेकर अभिभावकों में असंतोष दिखा।

अभिभावकों ने बताया कि विद्यालय में व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। प्रधानाध्यापक प्राय: गायब रहते हैं। साथ ही शिक्षक भी गायब रहते हैं। मध्याह्न भोजन भी चूल्हे पर बनता है। धुंआ से आसपास के लोग परेशान रहते हैं। अधिकारी इधर झांकने तक नहीं आते हैं।

विद्यालय में नहीं हो रहा था पठन पाठन

कन्या प्राथमिक मकतब बौरना से सटे ही 1909 में स्थापित प्राथमिक मकतब बौरना है। टीम 9: 45 बजे प्राथमिक मकतब बौरना पहुंची। यहां कुछेक बच्चे बरामदे पर बैठे हुए थे। यहां दो शिक्षक उपस्थित दिखे। यहां बरामदे पर ही एमडीएम पक रहा था। जलावन के धुंआ से छात्र, शिक्षक परेशान थे। यहां नामांकित बच्चों की संख्या 174 बताई गई। उपस्थिति आधी से भी कम दिखी।

659 के विरुद्ध उपस्थिति थे 424 बच्चे

10 बजकर 10 मिनट पर टीम उर्दू मध्य विद्यालय बड़ी बौरना पहुंची। यहां की व्यवस्था दुरूस्त दिखी। यहां बच्चे पठन पाठन करते दिखे। शिक्षक भी वर्ग कक्ष में दिखे। उसी समय एमडीएम को लेकर घंटी बजी और बच्चे इधर उधर होने लगे। बच्चे एमडीएम खाने को लेकर जगह पर बैठने लगे और एमडीएम परोसने की तैयारी शुरु हुई। प्रधानाध्यापक म. मुस्ताक अंसारी मानेटरिंग करते दिखे।

यहां नामांकित छात्र छात्राओं की संख्या 659 बताया गई। विद्यालय मेंं बच्चों की उपस्थिति 424 के करीब थी। यहां कुल 11 शिक्षक नियुक्त हैं। सभी उपस्थित भी थे। विद्यालय में वर्ग कक्ष का अभाव दिखा। जिस कारण परेशानी है। विद्यालय में चारदीवारी नहीं है। यहां चापाकल ठीक था। परंतु बांध से सटे होने के कारण यहां का पानी पीने लायक नहीं दिखा। बच्चे भी पानी की समस्या बता रहे थे।


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