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बाढ़ से नहीं, नदियां कटाव से मचा रहीं तांडव, बदल जाती है भूगोल

पूर्णिया में महानंदा परमान और कनकई नदियां यहां बायसी अमौर बैसा एवं बायसी प्रखंड में ढाई सौ से अधिक परिवारों के घर व जमीन लील चुकी हैं।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 04:56 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 04:56 PM (IST)
बाढ़ से नहीं, नदियां कटाव से मचा रहीं तांडव, बदल जाती है भूगोल

पूर्णिया [मनोज कुमार]। जिले से होकर गुजरीं नदियों ने इस बार अब तक अपनी सीमा का उल्लंघन नहीं किया है। इस कारण बड़ी आबादी बाढ़ से सुरक्षित है। हर साल बाढ़ से तबाही मचाने वाली नदियां इस बार कटाव से अधिक तांडव मचा रही हैं।

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महानंदा, परमान और कनकई नदियां यहां बायसी, अमौर, बैसा एवं बायसी प्रखंड में ढाई सौ से अधिक परिवारों के घर व जमीन लील चुकी हैं। अभी भी कई घरों, स्कूलों, धार्मिक स्थलों व सड़कों के अस्तित्व पर संकट बरकरार है। हालांकि उन इलाकों में हर साल नदियां बाढ़ प्रभावित इलाकों का भूगोल बदल देती हैं और कई गांव इतिहास बनकर रह जाते हैं। नदियों के किनारे पानी बढऩे से ज्यादा कटाव पानी घटने पर होता है। इस बार अब तक नदियों से घिरे बायसी अनुमंडल में बाढ़ नहीं आई है। महानंदा, कनकई, परमान, दास व अन्य छोटी नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार नहीं कर पाया है। इस कारण बाढ़ से क्षेत्र में बर्बादी नहीं हुई है, लेकिन नदियों का कटाव हर साल की तरह क्षेत्र का भूगोल बदल रही है। बायसी, अमौर एवं बैसा में दो सौ हेक्टेयर से अधिक जमीन नदियों के पेट में समा चुकी है जबकि ढाई सौ से अधिक परिवारों के घर-बार भी विलीन हो गए हैं। प्रभावित परिवार विस्थापित होकर सड़क किनारे ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। अमौर में तरौना, गेरिया, बिजुलिया, कदगामा, डेरिया, बेलगच्छी जैसे गांवों में 100 से अधिक परिवारों के घर परमान नदी की भेंट चढ़ चुके हैं, जबकि 100 हेक्टेयर से अधिक जमीन भी नदी में समा चुकी है। वहीं कनकई नदी से नगरा टोली, ज्ञानडोभ, मुर्गी टोला, खाड़ी, चौका जैसे आधा दर्जन से अधिक गांवों पर खतरा मंडरा रहा है। नगरा टोली में प्राथमिक विद्यालय कट कर नदी में विलीन हो गया है। कनकई से बैसा प्रखंड के मंगलपुर, हरिया, बरबीघा, खाता टोली आदि गांवों में 100 हेक्टेयर से अधिक जमीन कट चुकी है। महानंदा नदी से बैसा प्रखंड क्षेत्र में मछुआ टोली, कासी बाड़ी, पोखरिया, हिजली, मिरजान टोला आदि पंचायतों में सैकड़ों परिवार कटाव के शिकार होकर विस्थापित हो चुके हैं। दास नदी से भी बेलका गांव में कटाव जारी है। वहां 50 परिवारों के घर नदी में विलीन हो चुके हैं। मछुआ टोली में एक मस्जिद कटाव के कगार पर है जबकि मिरजान टोला में भी मस्जिद पर खतरा मंडरा रहा है। यही हाल करीब आधा दर्जन स्कूलों का भी है। ऐसा नहीं है कि यह कटाव सिर्फ इसी साल हुआ है बल्कि हर साल बरसात में नदियां बौराती हैं और जमींदारों को भूमिहीन एवं किसानों को कंगाल बना देती हैं।


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