स्वतंत्रता के 75 साल: महात्मा गांधी के प्रिय थे बिहार के रामलाल मंडल, उनके कहने पर अररिया आए थे राष्ट्रपिता
स्वतंत्रता के 75 साल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अररिया के फुलकाहा से गहरा रिश्ता था। फुलकाहा के रामलाल मंडल उनके प्रिय थे। प्रशासनिक लापरवाही के कारण वर्तमान युवा पीढ़ी बापू के प्रिय फुलकाहा के राम लाल मंडल से अनजान है।
अजीत कुमार, अररिया : स्वतंत्रता के 75 साल, भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा स्थित बिहार के अररिया जिले का आजादी के संघर्ष का इतिहास सुनहरा रहा है। सन 1857 की पहली जंग-ए-आजादी से लेकर 1942 की अगस्त क्रांति तक अररिया के सपूतों ने हर मौके पर अपनी शहादत दी और देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने में उल्लेखनीय योगदान दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अररिया से गहरा रिश्ता रहा। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बापू तीन बार क्रमश. 1925, 1934 व 1942 में इस क्षेत्र का दौरा कर यहां के लोगों को स्वदेसी शिक्षा व स्वराज का पाठ पढ़ाया था। 11 अक्टूबर 1925 का वह दिन अररिया के लिए काफी गौरवशाली माना जाता है, जब पहली बार यहां की पावन धरती पर बापू ने अपने चरण कमल रखे थे।
भ्रमण के दौरान वे रामकृष्ण सेवा आश्रम भी पहुंचे और वहां की व्यवस्था से प्रभावित होकर आश्रम की पुस्तिका में अपने हाथों से यह शुभकामना व्यक्त की थी, 'मैं इस संस्था की उन्नति चाहता हूं।' उस समय यह आश्रम पशु चिकित्सालय के समीप पुराने टाउन हाल में चलता था। आश्रम की पुस्तिका में दर्ज है
गांधी जी के हाथ से लिखा संदेश: गांधी जी के भ्रमण की स्मृतियां यहां आज भी दर्ज है। बापू तीसरी बार 1942 की अगस्त क्रांति के दौरान अररिया पहुंचे थे। इस बार उन्होंने अररिया के अलावे फारबिसगंज, खजुरी, फुलकाहा आदि क्षेत्रों का भी भ्रमण किया। फुलकाहा के निकट भोड़हर गांव के रामलाल मंडल उनके काफी प्रिय थे। रामलाल मंडल की आवाज बेहद सुरीली थी तथा वे बापू को रामायण की चौपाइयां गा कर सुनाते थे। रामलाल मंडल बापू के दांडी मार्च में भी शामिल हुए थे। उन्ही के आग्रह पर बापू फुलकाहा में पधारे थे। फुलकाहा में एक बड़े सभा का आयोजन हुआ था। उन्हें सभा में लाखों की संख्या में लोग शामिल हुए थे। बुजुर्गों का कहना है कि गांधी के आने के बाद यहां के लोगों आजादी की दीवानगी चढ़ गया।
राजेन्द्र प्रसाद ने राम लाल मंडल को गांधी से मिलाया
राम लाल मंडल का नरपतगंज प्रखंड के फुलकाहा थाना क्षेत्र अंतर्गत भोड़हर गांव में 1883 में जन्में थे। डा. राजेन्द्र प्रसाद अररिया में एक सभा कर रहे थे उसी सभा में रामलाल मंडल को बोलने का मौका मिला था इनकी भाषण और सुरीली आवाज को सुनकर राजेन्द्र प्रसाद इतने खुश हुए कि उन्हें साबरमती आश्रम बोलकर को महात्मा गांधी से मिलावाएं। महात्मा गांधी भी रामलाल मंडल से काफी प्रभावित हुए,कुछ ही समय में रामलाल मंडल गांधी के काफी करीबी हो गए।
आजादी के सिपाही और बापू के प्रिय को इंदिरा ताम्र पत्र से कर चुकी सम्मानित
15 अगस्त 1972 - 25वीं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रामलाल मंडल को एक ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया था। राम लाल मंडल के पोते नरेश यादव बताते है शुरुआत में पेंशन के रूप में उन्हें छह सौ रुपये मिलते थे जिनमे एक सौ रुपये केंद्र सरकार देती थी लेकिन बाद में सेनानियों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये नेहरू ने ग्यारह सौ रुपये देने लगे। उसी पेंशन के रुपये से मंडल जी ने 12 एकड़ जमीन खरीदी थी जो आज भी है।
वर्तमान पीढ़ी है अनजान
वर्तमान पीढ़ी आजादी के दीवाने राम ल मंडल से अनजानआजादी के जंग में ब्रिटिश हुकूमतों के खिलाफ मुखर होकर आवाज बुलंद करने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी रामलाल मंडल आज भी उपेक्षित है।स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान व उनके कहानियों को अमर करने के लिए सरकार भले ही बहुत कुछ करने का वादा करता हो मगर रामलाल मंडल जैसे विभूतियों का अस्तित्व सरकारी पन्नों में दफन होकर रह गया।
वर्तमान पीढ़ी जहां उनके कहानी सुनने को तरस रहे हैं वहीं आने वाले पीढ़ी भी इस बात से अनभिज्ञ रह जाएगी कि आजादी के लड़ाई में उनके अपनों ने भी अंग्रेज सरकार के कोड़े खाकर उन्हें आजादी दिलाई थी। नवाबगंज पंचायत के भोड़हर निवासी स्वतंत्रता सेनानी रामलाल मंडल के स्वजन अभी भी तंगहाली के ङ्क्षजदगी में जी रहे हैं उनके स्वजनों को शासन और प्रशासन की और उसे कोई भी सहायता नहीं मिल रही है जिससे यहां के बुजुर्ग ग्रामीणों काफी दुखी हैं।