कोलकाता बहुत दूर..चार साल में रेल पुलिस नहीं ला सकी अफीम की जांच रिपोर्ट
पश्चिम बंगाल कलियाचक निवासी विमला की गिरफ्तारी 17 सितंबर 2016 को पांच किलो 350 ग्राम अफीम के साथ मालदा-दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस की महिला बोगी से हुई थी।
भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। रेल पुलिस के कारनामे की फेहरिश्त में एक किस्त चार साल से कोलकाता स्थित केमिकल लैब में तैयार रखी अफीम की जांच रिपोर्ट को नहीं लाने का जुड़ गया है। भागलपुर रेल पुलिस ने 17 सितंबर 2016 को पांच किलो 350 ग्राम अफीम के साथ 65 वर्षीय विमला देवी को गिरफ्तार किया था।
पश्चिम बंगाल कलियाचक निवासी विमला की गिरफ्तारी ट्रेन संख्या 13483 अप मालदा-दिल्ली फरक्का एक्सप्रेस की महिला बोगी से हुई थी। प्राथमिकी रेल थानाध्यक्ष सुधीर कुमार सिंह के फर्द बयान पर दर्ज किया गया था। यह मुकदमा भागलपुर के प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुमुद रंजन सिंह की अदालत में चार साल से फैसले को अटका पड़ा है। न्यायालय में विशेष लोक अभियोजक एनडीपीएस श्रीधर सिंह ने अभियोजन की ओर से सभी गवाहों की गवाही पूरी करा रखी है। फॉरेंसिक जांच लैब पटना से जब्त अफीम की जांच रिपोर्ट भी न्यायालय में सौंपी जा चुकी है।
जांच रिपोर्ट में जब्त वस्तु अफीम ही है, इसकी पुष्टि हो गई। मालखाना रजिस्टर, जब्त अफीम का प्रदर्श भी न्यायालय में प्रस्तुत कर अंकित किया जा चुका है। बस कोलकाता स्थित केमिकल लैबोरेटरी से रिपोर्ट आनी बाकी है। जबकि वहां के लैबोरेटरी के निदेशक ने न्यायालय को यह जानकारी पत्र भेज दे दिया है कि कोलकाता में जांच रिपोर्ट तैयार है। उसे मंगाया नहीं जा सका है। रेल पुलिस की काहिली का आलम इस मुकदमे में यह है कि कोलकाता स्थित लैब में तैयार रिपोर्ट रखी हुई है पर अबतक लाने वाला कोई नहीं है। उक्त रिपोर्ट के आते ही न्यायालय का फैसला सामने आ जाएगा। त्वरित गति से मुकदमे की सुनवाई बाद अब मात्र एक रिपोर्ट के नहीं आने से फैसला अटका पड़ा है। कोर्ट के आदेश पर विचाराधीन बंदी बीमार विमला देवी का विशेष उपचार भी कराया जा चुका है।
न्यायालय का लैब निदेशक के साथ सीधा हो चुका है पत्राचार
कोलकाता स्थित केमिकल लैबोरेटरी के निदेशक से अफीम की जांच रिपोर्ट भेजे जाने को लेकर सीधा पत्राचार भी हो चुका है। इसके पूर्व विशेष लोक अभियोजक भी न्यायालय के निर्देश पर रेल एसपी जमालपुर को भी कई बार पत्र लिखकर उपरोक्त रिपोर्ट मंगाने को पत्र भेज चुके हैं। लेकिन नतीजा नहीं निकल सका है। न्यायाधीश ने निदेशक को रिपोर्ट भेजने को पत्र दिया तो निदेशक ने पत्र का जवाब दिया कि उक्त रिपोर्ट के लिए एक विशेष दूत कोलकाता भेजे ताकि उसे रिपोर्ट सौंपा जा सके। न्यायाधीश ने निदेशक को कहा कि विशेष दूत संबंधी व्यवस्था न्यायालय में नहीं है। फैक्स से रिपोर्ट की कॉपी भेज दें फिर रजिस्टर्ड डाक से रिपोर्ट भी भेज दें। लेकिन अबतक रिपोर्ट नहीं आई है। रेल पुलिस अपनी जवाबदेही अबतक पूरा नहीं कर सकी है। ऐसा माना जा रहा है कि उपरोक्त रिपोर्ट को लेकर कोर्ट का कड़ा रूख सामने आ सकता है।