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लैलख के पास दुर्घटनाग्रस्त होने से बची इंटरसिटी

भागलपुर-साहिबगंज रेलखंड पर लैलख स्टेशन के पास सोमवार की शाम पेट्रोलिंग मैन की सूझबूझ से जमालपुर से मालदा जा रही इंटरसिटी दुर्घटनाग्रस्त होने से बच गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 03:59 AM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 03:59 AM (IST)
लैलख के पास दुर्घटनाग्रस्त होने से बची इंटरसिटी
लैलख के पास दुर्घटनाग्रस्त होने से बची इंटरसिटी

भागलपुर। भागलपुर-साहिबगंज रेलखंड पर लैलख स्टेशन के पास सोमवार की शाम पेट्रोलिंग मैन की सूझबूझ से जमालपुर से मालदा जा रही इंटरसिटी दुर्घटनाग्रस्त होने से बच गई। लैलख के पास पटरी टूट गई थी। पेट्रोलिंग टीम ने पटाखा फोड़कर ट्रेन के ड्राइवर को रुकने का संकेत दिया। इस बीच ब्रेक लगाते-लगाते ट्रेन का इंजन टूटी पटरी को पार कर गया। घटना की सूचना मिलते ही रेल अधिकारियों में हड़कंप मच गया। तुरंत अप और डाउन में ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया। गया-हावड़ा सहित कई गाड़ियां जहां-तहां खड़ी रहीं। करीब डेढ़ घंटे बाद ट्रेनों का परिचालन सामान्य हुआ।

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जमालपुर से मालदा जा रही 13410 डाउन इंटरसिटी अपने समय से आधे घंटे की देरी से चल रही थी। सबौर स्टेशन से इंटरसिटी शाम करीब 5.17 बजे खुली। वहां से ट्रेन का ठहराव घोघा ही है। सबौर से ट्रेन के खुलने के बाद रफ्तार कम थी। इस बीच लैलख के पास किलोमीटर संख्या 292/8-7 के पास रेलवे ट्रैक का निरीक्षण कर रहे पेट्रोलिंग मैन मदन मोहन ओझा और गणेश ठाकुर की नजर टूटी हुई पटरी पर पड़ी। इस दौरान इंटरसिटी भी आने लगी, यह देख पेट्रोलिंग मैन ने सूझबूझ का परिचय देते हुए पटाखा फोड़कर ट्रेन रोकने का संकेत दिया। संकेत भांप कर चालक ने ब्रेक लगाया और ट्रेन की रफ्तार कम हो गई। हालांकि रुकते-रुकते ट्रेन का इंजन टूटी पटरी क्रास कर गया। इसके बाद पीडब्ल्यूआइ की टीम पहुंची और ट्रैक को मरम्मत करना शुरू कर दिया। करीब सात बजे ट्रैक को दुरुस्त कर ट्रेन को रवाना किया गया।

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ठंड को देखते हुए पेट्रोलिंग टीम को किया गया था अलर्ट

मंडल से मिले निर्देश के बाद पेट्रोलिंग मैन काफी सजग थे। 16 घंटे तक शाम से सुबह तक ट्रैक की जांच की जा रही है। यही कारण है कि आज लैलख के पास टूटी पटरी पर नजर पेट्रोलिंग टीम को पड़ गई और इंटरसिटी को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचा लिया गया। टीम सतर्क नहीं रहती तो बड़ा रेल हादसा होने की संभावना थी।

बता दें कि ठंड में रेल पटरियों के सिकुड़ने (छोटा होने) के मामले बढ़ जाते हैं और ट्रेन पहिए के दबाव से पटरियों के टूटने की संभावना बनी रहती है। बीते शुक्रवार को ही मंडल से पहुंची सेफ्टी की टीम ने ट्रैक मैन, पेट्रोलिंग टीम, की-मैन के साथ को विशेष निर्देश दिया था। सेफ्टी विभाग के काउंसलरों ने ठंड में पटरियों के टूटने की घटनाओं पर पैनी नजर रखने को कहा था। रेल पटरियों की जांच के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई थी। टीम को हर दो किलोमीटर पर रेल पटरियों की जांच करने का जिम्मा दिया गया था। शाम चार से रात 12 और रात 12 बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक रेलवे ट्रैक की जांच करने की व्यवस्था की गई है।


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