Purnia News: कभी था कालापानी अब मिलेगा यहां शुद्ध पानी, यह है योजना
Purnia News यहां 10 से 15 फीट पर मिल जाता है भू जल पर आयरन की मात्रा है अत्यधिक। नगर निगम और पीएचइडी ने इस साल लोगों को आयरन रहित जल उपलब्ध कराने का लिया है संकल्प। यहां अब बेहतर पानी मिलेगा।
पूर्णिया [राजीव कुमार]। कभी काला पानी के नाम से जाने जाने वाले पूर्णिया में लोगों को अब शुद्ध पेयजल उपलब्ध होने का सपना जल्द ही साकार होगा। राज्य सरकार द्वारा हर घर नल का जल योजना के तहत जिले के सभी 245 पंचायतों एवं नगर निगम के 46 वार्ड के लोगों को शुद्ध पेयजल इस साल के अंत कर उपलब्ध कराने का प्रयास शुरू कर दिया गया है। 165 पंचायतों में नल का जल योजना के तहत शुद्ध पेयजल की आपूर्ति भी शुरू कर दी गयी है।जल के अकूत भंडार वाला यह इलाका कभी कालापानी के नाम से कुख्यात था। समय के साथ यहां विकास के कई आयाम गढे गये पर लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी की समस्या बरकरार रही। यहां शुद्ध पेय जल आज भी एक गंभीर समस्या है। पानी में कई तत्व आवश्यकता से अधिक हैं जो मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। चिकित्सकों की राय में कोसी के इलाके में होने वाली अधिकांश बीमारियों का कारण अशुद्ध पेयजल है। खासकर हाल में आये भूकंप के बाद यहां के पानी में कुछ और बदलाव महसूस किए जा रहे हैं। चिकित्सक कहते हैं कि भूकंप के बाद से क्षेत्र में चर्म रोग के मरीजों की संख्या बढ गयी है जो पानी में बदलाव के कारण ही हो रहे हैं। खैर जो भी लेकिन नगर निगम और पीएचइडी नए साल में लोगों को आयरन रहित पेय जल उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है तथा उसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिया है।
शहरी क्षेत्र में बनाये गये जलमीनार हैं बेकार
सरकार द्वारा शहरी क्षेत्र में लोगों को शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराने के लिए नगर विकास विभाग ने पेयजल आपूर्ति की महात्वाकांक्षी योजना को 2005-06 में मंजूरी दी थी। डीपीआर बनाने में आई तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह 2007-08 में शुरू हुई। इस योजना को 2009-10 में पूरा होना था मगर यह सितंबर 2011 में पूर्ण हो पायी। इसके तहत डेढ लाख गैलन क्षमता के पांच वाटर टैंक सदर अस्पताल परिसर, रामजानकी मेला परिसर, उत्पाद कालोनी, गुलाबबाग मेला ग्राउंड एवं पुरणदेवी मंदिर के पास बनाया गया था। इसके अलावा 53 किमी लंबी 12 इंच से लेकर 4 ईंच तक की पाइपलाइन भी बिछायी गयी। इन सभी वाटर टैंकों में 30 एचपी का मोटर भी पानी निकालने के लिए लगाया गया और तत्कालीन मुख्यमंत्री ने उद्घाटन भी किया लेकिन अभी तक इससे लोगों के घरों तक पानी मुहैया नहीं कराया जा सका है। प्रखंडों में भी लगाए गए जलमीनार बेकार खड़े हैं।
10-15 फीट पर उपलब्ध हो जाता है पानी
हालांकि भूजल की अधिकता के कारण लोगों को पानी की कमी का पता नहीं चल पाता है। यहां 10 से 15 फीट की दूरी पर ही पानी उपलब्ध हो जाता है। लेकिन यह पानी पीने लायक है या नहीं, लोगों को पता नहीं चल पाता है। लोग हैंडपानी से पानी निकालते हैं और पीते हैं। लेकिन उस पानी में अयरन की मात्रा खतरनाक स्तर पर होता है।विभाग द्वारा लगाये गये आयरन रिमुवल प्लांट लगभग हर जगह बेकार हो गये हैं।
आयरन की अत्यधिक मात्रा है सबसे बड़ी परेशानी
जिले में जल जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि यहां जल में आयरन की मात्रा काफी अधिक है। जल में आयरन की अत्यधिक मात्रा 0.1 होनी चाहिए जबकि कहीं-कहीं यह 2 से 10 पीपीएम तक पाया गया। इसके अलावा कई और हानिकारक तत्व भी पानी में मौजूद हैं जो कई बीमारियों को जन्म देते हैं।
पेयजल में भारी धातुओं की मान्य अधिकतम मात्रा
मरकरी-0.001
कैडिमयम--0.01
सेलिनियम--0.01
आर्सेनिक--0.05
क्रोमियम--0.05
कॉपर--0.05
मैगनीज---0.05
लेड--0.1
आयरन--0.01
जिंक -5.0
इनकी अधिकता का स्वास्थ्य पर प्रभाव
मरकरी--मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र
लेड-पाचन तंत्र एवं मस्तिष्क
आर्सेनिक-चर्मरोग एवं हड्डियों में विकृति
कैडिमयम-मितली एवं हृदय रोग
क्रोमियम-कैंसर कारक
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग कर रहा प्रयास
ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने के लिए पीएचइडी विभाग प्रयास कर रहा है। विभाग के कार्यपालक अभियंता मनीष कुमार का कहना है कि विभाग ने लोगों को इस साल आयरन रहित जल मुहैया कराने का निश्चय लिया है। वे कहते हैं कि यहां के जल में सबसे अधिक हानिकारक तत्व आयरन है। भूजल तो आसानी से 10 से 15 फीट पर उपलब्ध हो जाता है लेकिन उसमें आयरन की मात्रा अधिक है। इसलिए विभाग आयरन रहित जल उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहा है। कार्यपालक अभियंता बताते हैं कि विभाग ने इस बार ग्रामीण क्षेत्रों में 40 मिनी वाटर प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। प्लांट लगाने का काम शुरू भी कर दिया गया है। चार यूनिट में टेस्टिंग का काम चल रहा है। साल के अंत तक ये प्लांट काम करने लगेंगे। इसके जरिये लोगों को पाइप लाइन के द्वारा आयरन रहित पेय जल उपलब्ध कराया जायेगा। ये पूर्णत: इको फ्रेंडली है तथा सोलर एनर्जी के द्वारा संचालित है। उन्होंने बताया कि इससे पहले 83 मिनी वाटर प्लांट सफलता पूर्वक लगाये गये हैं जो लोगों को स्वच्छ जल आपूर्ति कर रहे हैं। विभाग की ओर से कई जगह आयरन रिमुवल यंत्र के साथ ट््यूबवेल भी लगाये गये है। विभाग लोगों को स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए कृत संकल्पित है।
शहरी क्षेत्र में भी मुहैया कराये जायेंगे टेप वाटर सिस्टम
नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह कहते हैं शहर में भी आयरन मुक्त जल उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने तैयारी की है। यहां भी मिनी वाटर प्लांट के जरिए टेप सिस्टम द्वारा लोगों को पानी उपलब्ध कराने की तैयारी चल रही है। वे कहते हैं कि यहां भी नए साल में लोगों को आयरन रहित जल उपलब्ध कराने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पीएचइडी विभाग से प्राक्कलन की मांग की गई है। प्राक्कलन मिलते ही जल्द ही उस पर काम शुरू कर दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि नगर में जिन जलमीनार से जल की आपूर्ति शुरू नहीं हो पायी है, उसे भी चालू कराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके लिए पीएचइडी अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी तथा उसे चालू किए जाने में हो रही समस्याओं को दूर करने पर विचार किया जायेगा। उन्होंने भी आशा जताया कि नए साल में शहर वासियों को शुद्ध जल उपलब्ध हो पायेगा।