कटिहार के डीजल संचालित बिजली घर से पूर्णिया भी होता था रोशन, 1957 में बिजली घर की हुई थी शुरुआत
कटिहार के बिनोदपुर मोहल्ले में डीजल संचालित बिजली घर हुआ करता था और उसे कटिहार शहर के साथ पूर्णिया व बनमनखी तक बिजली पहुंचती थी। उस दौर की कहानी आज भी यहां मौजूद खंडहर में दफन है। बिजली घर से मार्च 1957 में बिजली उत्पादन व वितरण शुरु हुआ था।
कटिहार [प्रदीप गुप्ता]। अब घर-घर बिजली पहुंच चुकी है। बात उस दौर की है, जब शहरी क्षेत्र के अधिकांश मोहल्ले भी अंधेरे में डूबा रहता था। गांव के लोग शहर आने पर जलते बिजली बल्ब को कौतुहल से निहारते थे। उसी दौर में कटिहार के बिनोदपुर मोहल्ले में डीजल संचालित बिजली घर हुआ करता था और उसे कटिहार शहर के साथ पूर्णिया व बनमनखी तक बिजली पहुंचती थी। उस दौर की कहानी आज भी यहां मौजूद खंडहर में दफन है।
तत्कालीन पूर्णिया जिला में कटिहार में ही सबसे पहले डीजल बिजली घर की स्थापना हुई थी। यहां से उत्पादित बिजली पूर्णिया व बनमनखी तक जाती थी। प्रथम पंचवर्षीय योजना के तहत पूर्णिया जिले का सर्वाधिक विकासशील कटिहार सब डिवीजन में पावर हाउस लगाने का निर्णय लिया गया था। इसी तहत 660 किलो वाट क्षमता वाली डीजल आधारित बिजली घर कटिहार के बिनोदपुर में स्थापित की गई थी। कटिहार में स्थापित बिजली घर से मार्च 1957 में बिजली उत्पादन व वितरण शुरु हुआ था। पूर्णिया जिला मुख्यालय तक बिजली ले जाने के लिए ग्यारह हजार बोल्ट का तार लगाया गया था। इससे कटिहार व पूर्णिया के चुङ्क्षनदा इलाके रोशन होते थे। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में 330 किलोवाट क्षमता वाली बिजली घर किशनगंज एवं 1960 में फारबिसगंज में भी स्थापित हुई थी । कटिहार से बनमनखी को बिजली आपूर्ति के लिए इस बिजलीघर की क्षमता 25 सौ किलोवाट तक और बढ़ाई गयी थी।डीजल आधारित उच्च क्षमता वाले कटिहार बिजली घर में दस यूनिट लगाए गए थे। इसका मकसद किसी भी समय कम से कम छह यूनिट को चालू रखना था। लोड के अनुसार जरूरत पढऩे पर दस यूनिट को भी चालू किया जाता था , ताकि उपभोक्ताओं को बिना बाधित सुचारू रूप से बिजली की आपूर्ति होती रहे।
40 कर्मी की थी पदस्थापना, चलते थे कई उद्योग
उस दौरान बिजली घर में चालीस कर्मी की पदस्थापना था। एक यूनिट के संचालन में लगभग 30 से 40 लीटर डीजल प्रति घंटा की खपत थी । इस बिजली से कई उद्योग धंधे भी चलते थे। सन 1987 में डीजल से संचालित पावर हाउस में बड़ी खराबी के बाद इसे बंद कर दिया गया। इसी दौरान बरौनी थर्मल पावर स्टेशन से कटिहार को बिजली आपूर्ति होने लगी। इस स्थिति में थर्मल पावर से आपूर्ति बाधित होने पर कुछ यूनिट के जरिए आपूर्ति की कोशिश होती थी। अधिक लागत व मांग के अनुरुप उत्पादन नहीं होने के कारण धीरे-धीरे इसे बंद कर दिया गया।
बुजुर्गों की जेहन में कैद है यादें
शहर के गामी टोला निवासी जगदीश प्रसाद साह के अनुसार वह दौर अनोखा था। डीजल संचालित बिजली घर से कटिहार के साथ पूर्णिया तक बिजली जाती थी। तीस पैसे यूनिट की दर से बिजली दी जाती थी। बिजली बिल भी डाकिया द्वारा घर घर पहुंचाया जाता था। बिजली घर के चलते कई उद्योग धंधे स्थापित हुए थे। इस कारण कटिहार को मिनी कोलकाता भी कहा जाता था। शहर के ही जागेश्वर प्रसाद जख्मी ने बताया कि उस दौर में वे कौतुहल वश डीजल से संचालित विद्युत केंद्र देखने गए थे। लोग दूर-दूर से इस केंद्र को देखने आते थे। इस बिजली घर के चलते कटिहार के विकास को रफ्तार भी मिली थी।