अन्नदाता की उम्मीदों को भी डुबो गई बाढ़, किसानों के लिए मुश्किल हुई दो वक्त की रोटी
कटिहार में बाढ़ के कारण किसानों को काफी परेशानी हो रही है। हालांकि पिछले दो दिनों से बारिश नहीं होने से राहत मिली है। पानी से खेत डूब गए हैं। बाढ़ के कारण दलहन व तिलहन की खेती में भी परेशानी होगी। किसानों को फसल नष्ट होने का डर है।
कटिहार, जेएनएन। कोसी इलाके के किसान अक्सर बाढ़ के कारण परेशान होते हैं। इस बार तो देर से आई बाढ़ ने किसानों की फसलों के साथ-साथ उम्मीदों को भी डुबो दिया। मक्के की फसल बर्बाद हुई, धान की फसल डूब गई। दलहन व तिलहन फसलों की खेती को लेकर भी किसान सशंकित हैं। इनका मानना है कि इन फसलों में भी उन्हें परेशानी होगी।
धान यहां के किसानों की मुख्य फसल है। जिले में 78 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगती है। पश्चिम बंगाल से सटे बारसोई अनुमंडल में धान की व्यापक खेती होती है। महानंदा तटबंध खुला रहने के साथ बारिश के कहर ने धान को लील लिया है। जलजमाव की समस्या आगामी फसल को भी प्रभावित करेगी। चावल को किसान सालों भर खाने में प्रयोग में लाते हैं। इसकी बिचाली पशुओं के चारे के काम में आती है। जिले की 70 फीसद आबादी पशुपालन पर निर्भर है। धान की फसल के बर्बाद होने के कारण इस बार किसानों को पशुचारे का भी संकट झेलना होगा। अभी गेहूं का भूसा 20 रुपये प्रतिकिलो तो पुआल तीन हजार रुपये प्रति हजार की दर से बिक रहा है। किसानों का कहना है कि खेतों को सूखने में अभी समय लगेगा। इस कारण दलहन और तिलहन फसलें भी प्रभावित होंगी। गणेश महतो, रमेश सिंह, दिलीप मंडल, कंतलाल झा, दिवाकर झा, गंगा राय, सुबोध मंडल, चेतन, मु. इदरिश, सलामत हुसैन, रऊफ आदि किसानों ने बताया कि बैंकों का कर्ज व महाजनों का भुगतान करने के लिए उन्हें परदेस जाना होगा। सरकारी स्तर पर भी मदद नहीं मिली है।