12 वर्ष बाद बांका के शिक्षक को मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार, जानिए... क्यों हुआ उनका चयन Banka News
मानव संसाधन विकाश विभाग भारत सरकार के निदेशक विजय भाष्कर ने पत्र जारी कर पप्पू हरिजन को आमंत्रण पत्र भेजा है। वे बिहार के इकलौते शिक्षक के तौर पर यह सम्मान हासिल करेंगे।
बांका [जेएनएन]। प्रोन्नत मध्य विद्यालय कुल्हडिय़ा के प्रधानाध्यापक पप्पू को इस बार राष्ट्रपति सम्मान मिलेगा। 12 साल बाद बांका के किसी शिक्षक को राष्ट्रपति सम्मान मिलने जा रहा है। पांच सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नई दिल्ली में चाणक्यपुरी स्थित होटल अशोका में आयोजित विशेष समारोह में पप्पू को सम्मानित करेंगे। सम्मान में 50 हजार रूपया के अलावा सिल्वर मेडल भी प्रदान किया जाएगा।
इस संबंध में मानव संसाधन विकाश विभाग भारत सरकार के निदेशक विजय भाष्कर ने पत्र जारी कर पप्पू हरिजन को आमंत्रण पत्र भेजा है। वे बिहार के इकलौते शिक्षक के तौर पर यह सम्मान हासिल करेंगे। पिछले साल उन्नयन बांका कार्यक्रम को पीएम से लेकर इंटरनेशनल अवार्ड तक मिला। इसके बाद से ही बांका की शिक्षा चर्चा में है। इस सम्मान के बाद बांका के शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा। यह सम्मान शिक्षकों को नई उर्जा देने वाला भी साबित होगा। इसके पहले 2007 में कैथाटीकर मदरसा के हेड मौलवी इब्नुल हसन को राष्ट्रपति सम्मान मिला था। वे अब नहीं रहे। इसके पहले मोहनपुर हाईस्कूल के प्रधाध्यापक सुबोध नारायण सिंह को यह सम्मान हासिल हो चुका है। वे अब भी शिक्षा और संगठन के लिए सक्रिय हैं।
ऐसे बने खास शिक्षा
पप्पू की शिक्षक बनने के बाद पहली नियुक्त मध्य विद्यालय कठेल अमरपुर में हुई। इसके बाद प्रोन्नत मध्य विद्यालय बनहरा में रहे, फिर आरपी, बीआरपी के साथ बिहार शिक्षा परियोजना में भी काम किया। 2012 से वे कुल्हडिय़ा प्रोन्नत मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं। आप इस स्कूल तक पहुंच कर बदलाव को देख सकते हैं। जहां पहले पियक्कड़ों का जमावड़ा था, उस कैंपस को देख कर प्राइवेट और सरकारी विद्यालय में फर्क कर पाना अब मुश्किल है। सफाई के लिए तीन साल पहले इसे स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। मध्याह्न भोजन संचालन का भी पुरस्कार मिला। विद्यालय में अधिकांश बच्चे अभिवंचित वर्ग के हैं।
मध्य विद्यालय कुल्हडिय़ा, बांका के प्रधानाध्यापक पप्पू ने कहा कि पढऩे और पढ़ाने में शुरू से रुचि रही। प्रधान बनने के बाद विद्यालय को बदलने का प्रयास शुरू किया। यह सब पुरस्कार के लिए नहीं था। अगर किसी ने उनकी मेहनत और बदलाव को पसंद किया तो किसी शिक्षक के लिए जीवन में इससे बड़ा कुछ नहीं हो सकता है। वे दो सितंबर को पुरस्कार के लिए दिल्ली निकल रहे हैं।