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TMBU : प्रभार लेते ही VC बोले - समय पर पढ़ाई होगी, परीक्षा और परीक्षाफल का भी प्रकाशन समय से Bhagalpur News

कुलपति ने कहा कि काम में पेंडिंग (लंबित) होना उन्हें पसंद नहीं है। कार्य पेंडिंग रहने से नींद हराम हो जाती है। काम हो जाने के बाद दूसरे दिन दुगुना उत्साह रहता है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 30 Jul 2019 12:26 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jul 2019 04:47 PM (IST)
TMBU : प्रभार लेते ही VC बोले - समय पर पढ़ाई होगी, परीक्षा और परीक्षाफल का भी प्रकाशन समय से Bhagalpur News

भागलपुर [जेएनएन]। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) में डॉ. विभाष चंद्र झा ने नए कुलपति के रूप में योगदान दिया। वे टीएमबीयू के 61वें कुलपति हैं। झारखंड के गोड्डा जिले के मोतिया डुमरिया के रहने वाले डॉ. झा की नियुक्ति तीन वर्ष के लिए पूर्णकालिक पद पर हुई है। उन्होंने प्रभारी कुलपति प्रो. लीला चंद साहा की जगह ली। कुलपति के प्रभार में चल रहे प्रतिकुलपति प्रो. रामयतन प्रसाद ने उन्हें पदभार ग्रहण कराया।

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योगदान के बाद कुलपति ने विश्वविद्यालय को गति देने और विकास के लिए प्राथमिकताएं गिनाईं। कहा कि छात्र-छात्राओं का सही तरीके से कॉलेजों में नामांकन हो। छात्र-छात्राओं की उपस्थिति सही हो, तभी उन्हें पठन-पाठन का लाभ मिल सकता है। छात्र मन लगाकर पढ़ाई करे, कॉलेजों में ऐसा माहौल बनाया जाएगा। कुलपति ने कहा कि समय पर पढ़ाई होगी, समय पर परीक्षा और परीक्षाफल का भी प्रकाशन होगा। यह उनकी विशिष्ट प्राथमिकताएं हैं। कॉलेज या विश्वविद्यालय अच्छा करेगा तो आसपास के क्षेत्रों का भी विकास होगा। आसपास के इलाकों की साक्षरता दर भी बढ़ेगी। कुलपति ने कहा कि वे राज्य सरकार और राजभवन के निर्देशों का पालन करेंगे और कराएंगे। इसमें समाज के सभी का सहयोग जरूरी है। कुलपति ने कहा कि काम में पेंडिंग (लंबित) होना उन्हें पसंद नहीं है। कार्य पेंडिंग रहने से नींद हराम हो जाती है। काम हो जाने के बाद दूसरे दिन दुगुना उत्साह रहता है।

मूल रूप से केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्वभारती शांति निकेतन में भूगोल के शिक्षक डॉ. झा ने कहा कि टीएमबीयू अभी जहां है, उससे आगे बढ़ाने का वे प्रयास करेंगे। यह काम अकेले उनसे संभव नहीं है। वे टीम का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा कि केवल अधिकारी या कर्मचारी या छात्रों से विश्वविद्यालय नहीं चलता हैै। इसे चलाने के लिए तीनों का सहयोग और एकजुटता जरूरी है। सबको साथ लेकर आगे बढऩे का प्रयास करेंगे। कुलपति ने कहा कि विवि में जो भी काम होते हैं, उसका फायदा समाज को मिलना चाहिए। इसके पूर्व, कुलपति ने पूर्व प्रभारी कुलपति प्रो. लीला चंद साहा से भी मुलाकात की और अब तक विवि में हुए कार्यों पर उनसे चर्चा की। मौके पर प्रतिकुलपति डॉ. रामयतन प्रसाद भी थे।

भागलपुर पहुंचने पर कुलपति का स्वागत प्रतिकुलपति ने मुख्य द्वार पर किया। वित्त परामर्शी, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष, कुलानुशासक, महाविद्यालय निरीक्षक सहित कॉलेजों के प्राचार्य और कर्मचारियों ने भी उनका स्वागत किया।

34 वर्षों तक शांति निकेतन में की सेवा

कुलपति ने कहा कि वे 34 वर्षों तक केंद्रीय विवि शांति निकेतन में नौकरी किए हैं। कुल समय बनारस में भी दिए हैं। पहली बार अपने पुराने राज्य (बिहार) में काम करने का मौका मिला है।

योगदान से पहले पैतृक गांव डुमरिया में की पूजा अर्चना
तिलकामांझी  भागलपुर विश्वविद्यालय में योगदान से पहले प्रोफेसर विभाष चंद्र झा ने गोड्डा स्थित अपने पैतृक गांव डुमरिया में शिव मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद बड़े-बुजुर्गों व परिवार के अन्य सदस्यों से आशीर्वाद लिया। ग्रामीणों से मुलाकात कर कुशलक्षेम पूछा। फिर भागलपुर से आए विश्वविद्यालय के विभागीय कर्मियों के साथ कुलपति पद पर योगदान करने के लिए निकल गए। डॉ. झा के कुलपति पद पर चयन होने से गांव में खुशी का माहौल है।

प्रतिभा के धनी हैं प्रो विभाष 
प्रोफेसर विभाष झा प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। वे रिमोट सेंसिंग के विशेषज्ञ हैं। इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंहसये देहरादून और बीएचयू के छात्र रहे हैं। 21 वर्षों से वे विश्व भारती विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत रहे हैं। दो वर्षों तक विद्या भवन के ह्यूमिनिटीज व सोशल साइंस संस्था के प्रिसिपल डीन और तीन वर्षों तक साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्रालय के अंतर्गत नेशनल एटलस एंड थेमैटिक मैपिंग ऑर्गनाइजेशन के डायरेक्टर रह चुके हैं। प्रोफेसर झा ने बीते 37 वर्षों तक शिक्षा व रिसर्च के क्षेत्र में कार्य किया है। इनके कुल 133 रिसर्च पेपर विभिन्न जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा दर्जनभर पुस्तकें भी प्रकाशित हुई जिसमें हिमालयन जियो मोफोरडोलॉजी एंड रिमोट सेंसिंग, लैंड डाग्रेडेशन एंड डेजटाफिकेशन, कैटोग्राफी एंड क्लाइमेटचेंज आदि पुस्तकें शामिल हैं। उन्होंने पीएचडी की उपाधि सन 1983 में बनारस ङ्क्षहदू यूनिर्विसटी, वाराणसी से प्राप्त की है। इसके अलावा थाईलैंड, इटली, पोलैंड, टोक्यो (जापान ), केन्या, हंगरी में आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग ले चुके हैं। उन्हें मैकमास्टर यूनिर्विसटी हैमिल्टन (कनाडा) से इंटरनेशनल कोटोजियो मारफोलॉजिकल अवॉर्ड भी मिल चुका है। वे इंडियन काटोग्राफिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट तथा विश्व भारती विश्वविद्यालय में जियोग्राफी विभाग के दो बार अध्यक्ष भी रहे हैं।

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