इंटरनेट की समस्या से किसानों को खाद मिलने में परेशानी
खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए जिले की खाद दुकानों में 308 पीओएस मशीनें लगाई गई हैं।
किशनगंज । खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए जिले की खाद दुकानों में 308 पीओएस मशीनें लगाई गई हैं। किसानों को आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र दिखाने के बाद ही उन्हें खेती के लिए खाद दी जाएगी। दूसरी ओर, ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की समस्या बनी रहने के कारण किसानों को खाद मिलने में परेशानी आ रही है। पीओएस मशीन इंटरनेट से संचालित होती है। जिसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट बड़ी समस्या बनती जा रही है। खाद लेने वाले किसानों को अपने साथ आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र ले जाना पड़ता है। इनके आधार कार्ड नंबर या मतदाता पहचान पत्र वाले नंब डालने के बाद ही इन्हें खाद दिया जाता है। इस प्रणाली से सभी जरूरतमंद किसानों को खाद उपलब्ध तो हो जाती है। लेकिन इंटरनेट नहीं रहने या स्पीड धीमी रहने पर पीओएस मशीन के संचालन व खाद की बिक्री में परेशानी हो रही है। ऐसी स्थिति में किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। जिस कारण किसान परेशान हो जाते हैं। किसान तीतेन कुमार बताते हैं कि खाद लेने के लिए खेती किसानी से फुर्सत निकालकर खाद दुकान जाता हूं। लेकिन इंटरनेट का ¨लग फेल रहने के कारण पीओएस मशीन नहीं चलती है। ऐसे अन्य किसान भी यह बताते हैं कि 20 किलो खाद की खरीदारी के लिए पांच बार खाद दुकान का चक्कर लगाना पड़ता है।
वहीं कालाबाजारी रोकने के उद्ेश्य से किसानों को सरकारी दर पर खाद उपलब्ध कराने को लेकर सरकार का यह प्रयास है। ताकि खेतीहर किसानों को अपने खेतों में खाद डालने के लिए किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े। खेती के समय बाजार में खाद की कालाबाजारी शुरू हो जाने के कारण आर्थिक रूप से पिछड़े किसान खाद नहीं खरीद पाते थे, जिस कारण उनके खेतों में फसल उत्पादन नहीं बढ़ पाता था। इन्हीं समस्याओं के निराकरण के लिए जिले के सभी 308 खाद दुकानों में पीओएस मशीन लगाए गए हैं।
जिला कृषि पदाधिकारी संत लाल साहा ने बताया कि किसानों केा सरकारी मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने व कालाबाजारी रोकने के लिए सभी 308 खाद दुकानों में पीओएस मशीन लगाए गए हैं। पीओएस मशीन के संचालन के लिए इंटरनेट का होना जरूरी है। इंटरनेट की समस्या तो सभी जगह हैं। इतना जरूर है कि इंटरनेट की धीमी स्पीड या ¨लक फेल होने से पीओएस मशीन का संचालन अवरूद्ध हो जाता है। बावजूद किसानों को खाद उचित मूल्य पर उपलब्ध हो रहे हैं।