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भागलपुर जेल में कैदी बने किसान! औषधीय पौधे के बाद अब स्‍ट्राबेरी की कर रहे खेती

बिहार के जेलों में कैदियों को मुख्‍य धारा से जोड़ने के लिए कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। ताकि वे जेल से बाहर आने पर रोजी-रोजगार कर सकें। इसके लिए उन्‍हें खेती-किसानी से लेकर कई अन्‍य तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। भागलपुर जेल में कैदियों

By Abhishek KumarEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 10:49 AM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 10:49 AM (IST)
भागलपुर जेल में कैदी बने किसान! औषधीय पौधे के बाद अब स्‍ट्राबेरी की कर रहे खेती
भागलपुर के जेल में कैदी उगा रहे स्‍ट्राबेरी।

भागलपुर [कौशल किशोर मिश्र]। रेशम नगरी के लोग बहुत जल्द जेल में उम्र कैद काट रहे दस बंदियों की मेहनत से उगाई गई स्ट्राबरी का स्वाद चखेंगे। विशेष केंद्रीय कारा, भागलपुर (Special Central Jail, Bhagalpur) के प्रथम और द्वितीय खंड की सात अलग-अलग प्लाट में बंदियों ने स्ट्राबरी की खेती (Strawberry Farming) शुरू कर दी है। जेल अधीक्षक मनोज कुमार, उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह ने बंदियों को प्रोत्साहित कर जब औषधीय पौधों की खेती (cultivation of medicinal plants) कराते हुए उद्यान का निर्माण कराया तो बंदियों की मेहनत को देखते हुए उन्हें स्वावलंबी बनाने की भी सोची।

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स्ट्राबरी की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्हें सहयोग किया तो सात अलग-अलग प्लाट में उम्र कैदी मंटू मंडल के नेतृत्व में दस बंदियों की बाकायदा एक टीम तैयार कर दी। इस टीम ने स्ट्राबरी की खेती शुरू की तो कारा महानिरीक्षक के पास जेल प्रशासन ने प्रस्ताव भेज स्ट्राबरी को बाजार देने की अनुमति मांग ली है। सबकुछ ठीक रहा तो दो माह के अंदर स्ट्राबरी रेशम नगरी भागलपुर के लोगों के बीच उपलब्ध हो जाएगा। यहां उगाई गई स्ट्राबरी बाजार में बिकने वाली स्ट्राबरी से सस्ती होगी।

पूरी तरह जैविक रहेगा फल

स्ट्राबरी की खेती में किसी भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके लिए जेल अधीक्षक और उपाधीक्षक दोनों अधिकारी खास तौर पर जैविक खाद की खरीद कराकर बंदियों को उपलब्ध कराया है। समय-समय पर कृषि विज्ञानी से भी जेल प्रशासन सलाह लेकर उसे बंदियों की टीम को अमल में लाने का दिशा-निर्देश देते रहते हैं।

एक पाव और आधा किलोग्राम का होगा पैक

जेल के अंदर उगाई गई स्ट्राबरी एक पाव और आधा किलोग्राम के पैक में तैयार किया जाएगा। जिसे जेल के मुख्य प्रवेश द्वार पर बनाए गए एक काउंटर से आम लोगों को मुहैया कराने की तैयारी है। जो निर्धारित समय पर उपलब्ध कराया जाएगा। जेल प्रशासन की योजना है कि उससे मिलने वाले राजस्व का एक चौथाई भाग खेती करने में लगी बंदियों की टीम को भी बतौर विशेष पारिश्रमिक के तौर पर दिया जाएगा।


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