Pranab Mukherjee dies : तीन साल पहले विक्रमशिला महाविहार का अवलोकन करने कहलगांव आए थे राष्ट्रपति
Pranab Mukherjee dies डॉ प्रणव मुखर्जी राष्ट्रपति रहते हुए भी एक बार भागलपुर आए थे। उनके लिए कहलगांव के विक्रमशिला विश्वविद्यालय एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
भागलपुर [कुमार आशुतोष]। Pranab Mukherjee dies : तीन साल पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी विक्रमशिला महाविहार का अवलोकन करने कहलगांव आए थे। यहां कई घंटे समय बिताए थे। जिज्ञासा ऐसी थी कि मुख्य स्तूप को नजदीक से देखने के लिए 15 सीढिय़ां अकेले ही चढ़ गए थे। दो अप्रैल 2017 की देर शाम उनका कहलगांव आगमन हुआ था। सेना के हेलिकॉप्टर से श्री मुखर्जी एनटीपीसी के हेलिपैड पर उतरे थे। रात्री विश्राम की व्यवस्था एनटीपीसी के द्वारा मानसरोवर गेस्ट हाउस के कृष्णा सुईट में थी।
एनटीपीसी के पदाधिकारियों द्वारा उनका स्वागत किया गया था। इस उपलक्ष्य पर एक रात्री भोज का आयोजन किया गया था, जिसमें जिले के गणमान्य लोग शामिल हुए थे। तीन अप्रैल 2017 को श्री मुखर्जी विक्रमशिला उत्खनन स्थल के समीप बने हेलीपैड पर उतरे, जहां उनका स्वागत बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद वर्तमान में राष्ट्रपति ने किया था। इनके अलावा उनका स्वागत जिले के प्रभारी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, तत्कालीन सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल, तत्कालीन आयुक्त अजय कुमार चौधरी, तत्कालीन जिलाधिकारी आदेश तितरमारे एवं तत्कालीन एसएसपी मनोज कुमार ने किया था।
उन्होंने विक्रमशिला महाविहार के भग्नावशेषों एवं म्यूजियम का बारीकी से निरीक्षण किया था। वे एक विद्यार्थी की तरह जिज्ञासु थे। तेज धूप में बिना छाते के 40 मिनट का समय खुदाई स्थल एवं संग्रहालय में व्यतीत किए थे। खुदाई में निकली एक-एक चीज की जानकारी ली थी। इसके उपरांत उन्होंने पुरातत्व विभाग की आगंतुक पुस्तिका में अपने हाथों से लिखा था कि हैप्पी टू हैव विजिटेड दी विक्रमशिला यूनिवर्सिटी साईट, मे इट सुन रिगेन इट्स ग्लोरी।
उसके बाद उत्खनन स्थल के बाहर बने मंच पर उनका आगमन हुआ था, जहां अपने स्वागत में उमड़ी भीड को देखकर वे गदगद हो गए थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि इतनी गर्मी में लोग मेरा स्वागत करने के लिए आएंगे, इसका मुझे कतई अंदाजा नहीं था। मंच से उन्होंने विक्रमशिला विश्वविद्यालय के अविलंब स्थापना की पुरजोर वकालत की थी। इस कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी भागलपुर के वरीय उद्घोषक डॉ विजय कुमार मिश्र 'विरजू भाई' ने किया था।