संजीवनी साबित हुई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, सुपौल के 4,33,019 परिवार लाभान्वित
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से सुपौल के 433019 परिवार सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे हैं। 05 किलो अनाज दिया मुफ्त में मिल रहा है। नवंबर तक चलने वाली इस योजना को लेकर लाभुकों ने अपने विचार साझा किए।
सुनील कुमार, सुपौल। बात उस समय की है, जब कोरोना संक्रमण के कारण लोग-बाग अपने-अपने घरों में दुबके रहते थे। लोगों की रोजी-रोजगार ठप पड़ गया था। घर के वैसे सदस्य जो अन्य प्रदेशों में रहकर कमाई कर रहे थे वे काम छोड़ अपने घर वापस आने को मजबूर थे। रोज कमाने-खाने वाले लोगों की मजबूरी घर में बैठने की थी। उन्हें चाह कर भी रोजगार नहीं मिल रहा था। ऐसे लोगों को दोहरी चिंता सता रही थी, एक तरफ संक्रमण से बचने की चुनौती थी तो दूसरी तरफ दो जून की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा था। लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर करें तो क्या करें। ऐसे लोगों के चौके-चूल्हे बंद होने के कगार पर पहुंच गए थे। ऐन वक्त पर सरकार द्वारा चलाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ऐसे लोगों के लिए एक उम्मीद की रोशनी जगा दी।
संक्रमण के कारण रोजी-रोटी को ले घर में बैठे गरीबों को मुफ्त में प्रति व्यक्ति 5 किलो की दर से खाद्यान्न देने की घोषणा की गई। इससे उनकी चिंता बहुत हद तक कम हो गई। खासकर प्रतिदिन कमाने-खाने वाले लोगों के लिए तो यह योजना मील का पत्थर साबित हुई। या यूं कहें कि इनके लिए सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना किसी संजीवनी से कम साबित नहीं हुई। लोगों को लगने लगा कि अब यह संक्रमण से भी लड़ लेंगे और दो जून की रोटी भी मिल जाएगी। फिलहाल यह योजना नवंबर तक के लिए विस्तारित कर दी गई है। जिले के करीब 4,33,019 परिवार इस योजना से सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे हैं।
उन दिनों की बातों को याद करते हुए पिपरा प्रखंड की 40 वर्षीया कलिया देवी बताती हैं कि घर में तीन छोटे-छोटे बच्चे थे पति की कमाई से ही उनका घर चलता था। गांव में पति मजदूरी करते थे जिससे परिवार का भरण-पोषण हो रहा था परंतु कोरोना संक्रमण के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा था। रोजगार के लिए घर से बाहर निकलने पर लोग अपने दरवाजे पर खड़ा नहीं होने देते थे। एक पखवाड़े बाद इस बात की चिंता सताने लगी कि आखिर घर का चूल्हा कैसे जलेगा। इसी बीच प्रधानमंत्री कल्याण योजना के तहत मुफ्त में 35 किलो खाद्यान्न मिलने लगा। मन में संतोष हुआ कि किसी तरह दिन कट जाएंगे और कोरोना को हरा ही देंगे।
इसी प्रखंड की रामकली देवी, मनोहर सादा, कारी सादा बताते हैं कि यदि सरकार द्वारा मुफ्त अनाज नहीं दिया जाता तो संक्रमण से पहले भूख से ही उनलोगों की मौत हो जाती। बताते हैं कि उन लोगों का बेटा बाहर रहकर कमाता था लेकिन संक्रमण के कारण लौट आया। शुरू में तो लगा कि किसी तरह जिंदगी कट ही जाएगी और संक्रमण से बच ही जाएंगे लेकिन कुछ दिनों के बाद यह एहसास होने लगा कि आखिर अब क्या किया जाए। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा चलाई गई मुफ्त अनाज योजना ने उन लोगों को नई जिंदगी दे दी।
हालात का बयान करते हुए निर्धन राम ने बताया कि उनका पेशा खिलौना बेचने का है। वे घूम कर बच्चों का खिलौना बेचते थे। घर में चार छोटे-छोटे बच्चे थे। संक्रमण के शुरुआती काल में तो घूम-घूम कर खिलौना बेच लेते थे लेकिन बाद में उनका खिलौना लेने के लिए लोग तैयार नहीं थे। रोजगार को छोड़ घर में बैठ गया लेकिन इस बात की चिंता थी कि आखिर कमाएंगे नहीं तो फिर घर कैसे चलेगा। इसी बीच बताया गया कि सरकार द्वारा जन वितरण विक्रेता के माध्यम से मुफ्त में अनाज दिया जाएगा। तब लगा कि अब उनकी जिंदगी कट जाएगी। उन्हें हर माह अनाज मिल रहा है जिससे घर चलाने की चिंता कम हुई है। अब धीरे-धीरे जब संक्रमण में कमी आई है तो थोड़ा बहुत रोजगार भी चल जा रहा है और जिंदगी कट रही है।