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पुलिस वाहन चालक हत्‍याकांड : बप्पी को रंगदारी दिए बगैर आगे नहीं बढ़ती गाडिय़ां

भागलपुर-अमरपुर मार्ग पर प्राइवेट गाडिय़ां छोड़ सबसे वसूलता था पैसा। बस ऑटो ट्रक मैजिक टोटो ट्रैक्टर सबसे प्रति ट्रिप बप्‍पी पासवान लेता था रंगदारी।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 01:12 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 01:12 PM (IST)
पुलिस वाहन चालक हत्‍याकांड : बप्पी को रंगदारी दिए बगैर आगे नहीं बढ़ती गाडिय़ां
पुलिस वाहन चालक हत्‍याकांड : बप्पी को रंगदारी दिए बगैर आगे नहीं बढ़ती गाडिय़ां

भागलपुर, जेएनएन। Police driver assassination : हबीबपुर थाने के चालक शेख अफसार की हत्या में गिरफ्तार बप्पी पासवान का आतंक भागलपुर-बांका जिले तक पसरा था। भागलपुर से अमरपुर तक जाने वाली सवारी और मालवाहक गाडिय़ां बिना रंगदारी दिए बढ़ नही सकती थी। बसें, मैजिक, ऑटो, टोटो, सवारी गाड़ी, मिनी बस, ट्रैक्टर, ट्रक से गौराचौकी के पास बनी एक झोपड़ी के आगे रुक कर ही आगे बढ़ती। चालक पहले से तय राशि प्रति ट्रिप खुद उतर कर देते थे। झोपड़ी में बप्पी और उसके गुर्गे आराम से बैठे देखे जाते थे। ऑटो, टोटो, मैजिक और सवारी गाड़ी से दस रुपये प्रति ट्रिप जबकि ट्रैक्टर और ट्रक से सौ रुपये की वसूली होती थी। बालू लदे ट्रक और ट्रैक्टर से उसके गुर्गे अधिक राशि भी वसूलते रहते थे। उसको लेकर जब भी चालकों के साथ मारपीट हुई तो उसके करीबी चौकीदार कजरैली थानाध्यक्ष को गुमराह करते थे। इसको लेकर पूर्व में कजरैली थानाध्यक्ष रहे निर्मल कुमार को वरीय अधिकारी का कोपभाजन बनना पड़ा था।

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बप्पी की गिरफ्तारी बाद रंगदारी की वसूली बंद हो जाएगी इसके आसार कम हैं। बप्पी के गुर्गे अब रंगदारी वसूली के अघोषित नाके पर खड़े हो जाएंगे।

पिता शिवा पासवान पर कभी दर्ज थे एक दर्जन से अधिक मामले

बप्पी के पिता शिवा पासवान का अतीत दागदार रहा है। उसके विरुद्ध एक दर्जन से अधिक संगीन मुकदमे दर्ज थे। इलाके में अपने दबदबे के बूते पूर्व में अपनी पत्नी को मुखिया का चुनाव भी वह जिता चुका है। बेटे का प्रभाव जब इलाके में बढ़ा तो शिवा ने खुद के हाथ-पैर समेट लिए। अब वह इलाकाई विवादों की पंचायत तक खुद को सीमित कर रखा है।

एसकेपी के फोन आने की अक्सर लोग करते हैं चर्चा

बप्पी के अपराध को संरक्षण देने को लेकर अक्सर पटना पुलिस मुख्यालय में सक्रिय किसी एसकेपी के फोन आने की चर्चा लोग करते हैं। बप्पी की आपराधिक करतूतों को दबाने में एसकेपी के फोन आने की चर्चा कथित तौर पर पुलिस-अपराधी गठजोड़ का इशारा करता है।


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