गंगा के आसपास का पानी बना जहर, डरा रहा कैंसर
पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम नामक तत्व पाया गया है।
भागलपुर (नवनीत मिश्र) : गंगा नदी के आसपास के इलाके का पानी जहरीला हो चुका है। पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम नामक तत्व पाया गया है। इस कारण इस इलाके में रहने वाले लोगों के बीच कैंसर का खतरा मंडराने लगा है। अभी तक गंगा नदी के आसपास गावों के पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा अधिक थी। लेकिन तिलकामाझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) द्वारा किए गए शोध में पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम मिला है। गंगा नदी के आसपास भू-जल में पाए जाने वाले तत्वों को लेकर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार झा शिक्षक बिंदेश्वरी सिंह और छात्र उज्जवल कुमार के शोध किया। शोध के दौरान इस बात का खुलासा हुआ कि पानी जहरीला हो गया है। पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा 0.5 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) होना चाहिए। जबकि पानी में यह एक पीपीएम से अधिक पाया गया है। पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा अधिक होने के कारण गंगा किनारे रहने वाले लोगों में लीवर कैंसर होने की संभावना बढ़ गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अलावा केंद्र और राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में रसायन शास्त्र के प्राध्यापक डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा कि शोध के दौरान पाया गया कि गंगा के आसपास के इलाके का पानी पीने लायक नहीं रह गया है। पानी में हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा अधिक है। इससे लोगों में लीवर कैंसर होने की संभावना काफी बढ़ गई है। डॉ. अशोक झा ने बताया कि नवगछिया अनुमंडल के आधा दर्जन गावों में किए गए शोध के दौरान पाया कि हेक्सावेलेट क्रोमियम की मात्रा जितनी होनी चाहिए, उससे दोगुनी है। इन गावों में कैंसर के मरीज भी मिले हैं। किए गए शोध की रिपोर्ट को यूजीसी के अलावा राज्य व केंद्र सरकार को भी भेजी गई है।
नारायणपुर में आर्सेनिक, जगदीशपुर में फ्लोराइड नारायणपुर प्रखंड के पानी में आर्सेनिक तो जगदीशपुर प्रखंड के कई गावों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। इस वजह से चेहरे पर दाग, दात में सड़न, दांत का काला होना, हड्डियों का कमजोर होना आदि बीमारियां हो रही है। इन प्रखंडों के कई गावों में इस तरह के मरीज देखे जा रहे हैं।
सीएसआइआर की टीम का हो चुका है दौरा : सीएसआइआर के वैज्ञानिक दल की टीम नवगछिया अनुमंडल का दौरा कर चुकी है। टीम ने दो दिनों तक गावों में जाकर भ्रमण भी किया था। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक के अनुसार चापाकल में आयरन रिमूवल एटेंचमेंट लगाने का निर्देश दिया गया था। पूर्व जिलाधिकारी ने इसकी पहल भी की थी लेकिन अभी तक यह योजना फाइल में ही है।