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इस रिक्शा चालक को PM मोदी ने कहा हैप्पी न्यू ईयर, पत्रों से ऐसे बदल गई जिंदगी

बिहार के खगडि़या का एक रिक्‍शा चालक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फैन बन गया है। प्रधानमंत्री के पत्रों ने उसकी जिंदगी में बदलाव ला दिया है। पूरा मामला जानिए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 06 Feb 2019 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 08:19 PM (IST)
इस रिक्शा चालक को PM मोदी ने कहा हैप्पी न्यू ईयर, पत्रों से ऐसे बदल गई जिंदगी

खगडिय़ा [जेएनएन]। बिहार का एक गरीब रिक्‍शा चालक प्रधानमंत्री (पीएम) नरेंद्र मोदी के पत्रों को लेकर चर्चा में है। पीएम मोदी ने उसे नए साल का शुभकामना संदेश दिया। साथ ही उसकी बीमार पत्‍नी का इलाज भी प्रधानमंत्री की पहल से ही संभव हो सका। हम बात कर रहे हैं खगडि़या के शंभू पासवान की, जिसकी जिंदगी में प्रधानमंत्री के पत्रों ने अहम बदलाव कर दिया है।

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मोदी ने रिक्‍शा चालक को दी नववर्ष की शुभकामना

बीते 31 जनवरी को खगडिय़ा जिले के गोगरी जमालपुर स्थित पासवान टोला निवासी एक रिक्शा चालक शंभू पासवान को पीएम मोदी का पत्र मिला तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। शंभू को अब तक ऐसे चार पत्र मिले हैं। 31 जनवरी को शंभू पासवान की ओर से दिए गए नववर्ष शुभकामना संदेश का प्रधानमंत्री की ओर से दिया गया जवाब उनके घर के पते पर आया था। उसने पत्र को मुहल्ले में हर किसी को दिखाया।

पीएम की पहल पर हो सका बीमार पत्‍नी का इलाज

रिक्शा चालक शंभू पासवान ने प्रधानमंत्री को कुछेक समस्याओं को लेकर भी पत्र लिखे थे। एक बार शंभू पासवान की पत्नी बीमार पड़ी। इलाज के लिए उसे गोगरी रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन अस्पताल में लिखी गई दवा नहीं मिली। शंभू कहते हैं कि अचानक पीएम मोदी का चेहरा मन में कौंधा, एक उम्‍मीद जगी और उन्‍हें पत्र लिख दिया। फिर क्या था, प्रधानमंत्री ने मामले का संज्ञान लिया और अस्पताल की ओर से दवा उपलब्ध कराई गई। साथ ही इलाज की पूरी व्‍यवस्‍था की गई।

2016 में लिखा पहला पत्र, फिर चल पड़ा सिलसिला

शंभू ने नरेंद्र मोदी को पहला पत्र वर्ष 2016 में लिखा था। उसके बाद तो सिलसिला चल पड़ा। जब कोई समस्‍या दिखी तो झट से कागज-कलम उठा लिख दिया पत्र। वे पत्राचार से संबंधित सभी कागजात अपनी रिक्शा की सीट के नीचे ही रखते हैं।

बोले: इमानदारी से किया गया कोई का छोटा नहीं

कहना न होगा कि शंभू शिक्षित हैं। रिक्‍शा चलाना उनकी आय का जरिया है। इसी से पेट पलता है। कहते हैं कि इमानदारी से किया गया कोई काम छोटा नहीं होता। हां, अपनी-अपनी पसंद जरूर होती है। हां, अगर कोई और रोजगार मिला तो वे रिक्‍शा चलाना छोड़ देंगे।

प्रधानमंत्री के पत्रों से चर्चा में है यह रिक्‍शा चालक

बहरहाल, प्रधानमंत्री के पत्रों ने शुभू को चर्चा का विषय बना दिया है। प्रधानमंत्री ने शंभू को लिखे एक पत्र में अपने कार्यकाल की उपलब्धियों की भी चर्चा की है।


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