पोषण युक्त थाली के लिए नींबू, अमरूद, सहजन सहित इन पौधों को अपनी पोषण वाटिका में दें जगह
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानियों ने पोषण की महत्ता से आगनबाड़ी कर्मियों को अवगत कराया। इस दौरान पोषण वाटिका और किचन गार्डन की रूपरेखा बीएयू की ओर से तैयार किया गया था। इसे आज पूरे राज्य में लागू किया गया। लोगों को भी पोषण वाटिका के प्रति जागरूक किया जाएगा।
भागलपुर, जेएनएन। नींबू, अमरूद, सहजन जैसे पौधे के बिना किसी भी पोषण वाटिका को अधूरी मानी जाएगी। ये एंटीऑक्सीडेंट वाले पौधे हैं। इन्हें अपनी पोषण वाटिका में जरूर स्थान दें। ये बातें शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र के इंजार्ज डॉ. विनोद कुमार ने आंगनबाड़ी कर्मियों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण के समापन मौके पर कही।
उन्होंने कहा कि पोषण वाटिका और किचन गार्डन की रूपरेखा बीएयू की ओर से तैयार किया गया था। इसे आज पूरे राज्य में लागू किया गया। कोरोना महामारी के दौरान पोषण वाटिका और किचन गार्डन की महत्ता और बढ़ गई। लेकिन, इसके प्रति और जागरूकता लाने की जरूरत है। आंगबाड़ी कर्मियों को इसके लिए घर-घर जाकर इसकी महत्ता के बारे में बताना होगा, ताकि प्रत्येक घर में छोटी पोषण वाटिका हो। यह आज के समय की जरूरत है। इससे लोगों को पोषण युक्त थाली आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।उन्होंने कहा कि इम्यूनिटी बढाने के लिए यह कारगर हथियार शाबित हो रहा है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करना होगा।
पोषण वाटिका लगाने के बारे में दी जानकारी
उद्यानिकी फसलों की विज्ञानी डॉ. ममता कुमारी ने आंगनबाड़ी कर्मियों को पोषण वाटिका तैयार करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आप अपने घर के अंदर सीढ़ी, आंगन, छज्जी, बालकनी आदि में किचन गार्डन तैयार कर सकते हैं। साथ ही अगर आपको घर के बाहर जगह हो तो वहां पर भी आप इसके बड़ी आसानी से तैयार कर सकते हैं। इसके तैयार हो जाने से आप हर दिन रंगीन थाली का आनंद उठा सकते हैं। इसके लिए लोगों को भी जागरूक करना होगा।
समापन मौके पर पौधे का किया गया वितरण
आंगनबाड़ी कर्मियों को प्रशिक्षण के बाद केविके के विज्ञानियों ने पौधे और सब्जी बीज के किट उपलब्ध कराए। कार्यक्रम का संचालन सक्षम कुमार ने किया। इस मौके पर ई. पंकज कुमार, बाल विकास परियोजना सबौर की सुपरवाइजर जयश्री आदि उपस्थित थी।