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JNU के छात्र महबूब और आफताब आलम PFI का झंडा लेकर पहुंचे थे बिहार, सीमांचल में ऐसे तैयार की गई जमीन

PFI को देश में पांच साल के लिए बैन कर दिया गया है। इस संगठन का इतिहास 15 साल पुराना है लेकिन बिहार में 10 साल पहले सीमांचल में इसकी एंट्री हुई। पहली बार जब अररिया में पोस्टर लगा तो सुरक्षा एजेंसियां चौंक उठी।

By Prakash VatsaEdited By: Shivam BajpaiPublished: Wed, 28 Sep 2022 05:41 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 06:27 PM (IST)
2012 में सीमांचल पहुंचा PFI, जानिए कैसे तैयार की जमीन...

जागरण संवाददाता, पूर्णिया: केंद्र सरकार द्वारा वैन किए गए पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) का गठन यूं तो वर्ष 2007 में ही हो गया था, लेकिन सीमांचल में संगठन सन 2012 में अपनी एंट्री मारी थी। जेएनयू के छात्र रहे महबूब आलम व आफताब आलम ने पीएफआइ को सीमांचल सहित बिहार में पहली एंट्री दिलाई थी। गत दस वर्षों में बिहार के दरभंगा, मधुबनी, बिहारशरीफ व पटना के साथ-साथ सीमांचल के पूर्णिया, अररिया, किशनगंज व कटिहार में संगठन ने अपना मजबूत संजाल फैला लिया था। देशविरोधी गतिविधियों में बढ़ती संलिप्तता के चलते इसे सिमी का क्लोन भी करार दिया जाने लगा था।

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दिसंबर 2011 के अंत में अररिया में दिखा था पहला पोस्टर, चौंक गई थी सुरक्षा एजेंसियां

दरअसल गठन के पांच साल बाद ही दक्षिण भारत में पांव जमाने वाला पीएफआइ ने शनैं-शनै: उत्तर व पूर्वोत्तर भारत की ओर रुख करना शुरु कर दिया था। दिसंबर 2011 के अंतिम सप्ताह में पीएफआइ ने सीमांचल के अररिया शहर में पहली बार जगह-जगह पोस्टर चिपकाया था। पोस्टर देख सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े हो गए थे, लेकिन कोई खास चेहरा एजेंसियों के निशाने पर नहीं आया था। वर्ष 2012 के जनवरी माह से महबूब आलम, आफताब आलम, अफसर पासा, उस्मान गनी, गुलाम सरवर आदि की अगुवाई में पीएफआइ ने सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, अररिया व किशनगंज में पैर जमाना शुरु कर दिया था।

कल्याणकारी कार्यों के सहारे तैयार की थी जमीन

पीएफआइ ने सीमांचल में इंट्री के लिए वेलफेयर के कार्यों को अपना हथियार बनाया था। सर्वप्रथम संगठन द्वारा ग्रामीण इलाकों में हेल्थ कैंप लगाए जाने लगे। बाद में संबंधित एनजीओ के सहारे पूरे सीमांचल में तीन दर्जन से अधिक स्कूल भी संचालित संगठन द्वारा किया जाने लगा। इसी तरह बाढ़ व अन्य आपदा के समय राहत वितरण के जरिए लोगों तक पहुंच बनाने का सफल प्रयास संगठन द्वारा किया गया। इसी तरह खास समुदाय के पर्व-त्योहार में भी गरीबों के बीच वस्त्र सहित अन्य सामानों के वितरण के जरिए लोगों से जुड़ने का अभियान भी चलाया गया।

सीमांचल में पूर्णिया बन चुका था बड़ा केंद्र

सीमांचल में कटिहार, पूर्णिया व अररिया में संगठन की ज्यादा सक्रियता रही। इसमें पूर्णिया सबसे बड़ा केंद्र बन चुका था। यहां संगठन ने अपना महत्वपूर्ण कार्यालय भी बना लिया था। इतना ही नहीं मोटिवेशन कैंप व ट्रेनिंग कैंप का आयोजन भी पूर्णिया में ही किया जाता था। यहां लगातार अपनी शाखा को भी विस्तार देने में जुटा हुआ था। यही कारण था कि देश के अन्य स्थानों के साथ पूर्णिया स्थित पीएफआइ कार्यालय पर भी एनआइए की छापेमारी हुई थी। पीएफआई ने एसडीपीआइ के सहारे सीमांचल में सियासी जमीन भी तैयार करने की कोशिश में जुटी हुई थी। गत विधानसभा चुनाव में कुछ क्षेत्रीय दल से मिलकर लगभग आधा दर्जन विधानसभा क्षेत्र से एसडीपीआइ के उम्मीदवारों को मैदान में भी उतारा था।


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