मुझे नींद ना आए... फोन से चिपके रहते हैं संभल जाइए... बता रहे चिकित्सक Bhagalpur news
अच्छे स्वास्थ्य के लिए सात से आठ घंटें की नींद बहुत जरूरी है। नींद न पूरी होने पर चिड़चिड़ापन आंखों के नीचे कालापन चेहरे पर झुर्रियां आदि भी हो जाती हैं।
भागलपुर [नवनीत मिश्र]। स्मार्ट फोन और अनियमित जीवन शैली ने युवाओं की नींद छीन ली है। इसके चक्कर में पड़कर युवा तनावग्रस्त हो रहे हैं। वे रात में सो नहीं पा रहे। स्वास्थ्य विभाग भी इस नींद नहीं आने की नई बीमारी से चिंतित है। चिंता इसलिए कि अनिद्रा के शिकार युवाओं में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मोटापा जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।
नशे की लत : सिगरेट और गुटका के नियमित सेवन से भी अनिद्रा की समस्या आती है। ज्यादा नशा करने और नशा न मिलने की वजह से भी नींद नहीं आती है। इससे पूरे दिन चिड़चिड़ापन और थकान रहती है।
समय निर्धारित करें : कई बार ये भी देखा जाता है कि सोने या उठने का कोई निर्धारित समय न होना भी पूरा रूटीन खराब कर देता है। जल्दी सोने और उठने की आदत डालें। ऐसा करने से आपको खुद ही अंतर दिखेगा। सुस्ती या थकान भी कम होगी। सही दिनचर्या पूरे दिनभर के काम पर असर डालती है।
संतुलित आहार : खानपान हमारी हर चीज पर असर डालता है। रात का खाना हमेशा हल्का होना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं, यह अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
व्यायाम : सोने से पहले हल्के-फुल्के व्यायाम करें। कुछ योग ऐसे हैं जिनसे अनिद्रा की बीमारी दूर होती है, जैसे शवासन, वज्रासन, भ्रामरी प्राणायाम आदि।
वक्त पर सोएं : सुबह आंख ना खुलने की सबसे बड़ी वजह होती है नींद का पूरा ना होना। इसलिए अच्छी सुबह की शुरुआत रात की तैयारी पर निर्भर करती है। फोन, टेबलेट या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को अपने साथ बिस्तर में ले कर ना जाएं। इससे जल्दी नींद आएंगी। फोन को साइलेंट मोड में रखकर सोएं।
आठ घंटे की नींद है जरूरी : अच्छे स्वास्थ्य के लिए सात से आठ घंटें की नींद बहुत जरूरी है। नींद न पूरी होने पर चिड़चिड़ापन, आंखों के नीचे कालापन, चेहरे पर झुर्रियां आदि भी हो जाती हैं।
चाय या कॉफी : चाय-कॉफी को नींद का दुश्मन समझा जाता है। बहुत ज्यादा सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
नींद न आने के कई कारण हो सकते हैं। नींद न आना एक बीमारी है, जिसे लोग हल्के में लेते हैं लेकिन धीरे-धीरे ये बड़ी परेशानी बन जाती है। ये हर उम्र की समस्या है, बस उनके कारण अलग हैं। युवाओं में आजकल ये बीमारी सबसे ज्यादा हो रही है और इसका कारण मोबाइल, फेसबुक और वाट्सएप है, जो उनकी पूरी लाइफस्टाइल को बदल रहा है। इनका इस्तेमाल एक निश्चित समय तक करें। - डॉ. आलोक कुमार सिंह, चिकित्सक।