नदी किनारे गांव, कहां खोजें ठांव, बाढ़ का पानी ठहरने से बढ़ी परेशानी
अब बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या 116 से बढ़कर 124 हो गई है। प्रभावित आबादी एक लाख 41 हजार 261 है। ये घर-द्वार छोड़कर कहां जाएं कहां आसरा खोजें यही सोच रहे हैं।
खगडिय़ा [निर्भय]। खगडिय़ा की बड़ी आबादी नदी किनारे रहती है। इस बरसात में कोसी, काली कोसी, कमला, बागमती, बूढ़ी गंडक समेत गंगा उफान पर है। बाढ़ का दायरा प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। अब बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या 116 से बढ़कर 124 हो गई है। प्रभावित आबादी एक लाख 41 हजार 261 है। ऐसे में बाढ़ प्रभावितों का संकट दिनोंदिन गहराते जा रहा है। ये घर-द्वार छोड़कर कहां जाएं, कहां आसरा खोजें, यही सोच रहे हैं।
विकराल होती जा रही है बाढ़ : अभी अलौली के चेराखेरा, उत्तरी बोहरवा, मंझवारी, तीनगच्छा से लेकर चौथम के सरसवा, सोहरवा, ठुठ्ठी मोहनपुर, सदर प्रखंड के उत्तर माडऱ, बेलदौर प्रखंड के कंजरी, गवास, थलहा, बघरा तक का इलाका बाढ़ से प्रभावित है।
एक जगह हो तो बताएं दर्द : जहां-जहां बाढ़ का पानी है, वे गांव-टोले बांध-तटबंध के अंदर हैं। ये इलाके बाढ़ प्रवण क्षेत्र में आते हैं। इसलिए न बांध टूटा, न तटबंध टूटे, लेकिन 124 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। इन गांवों के लोगों को वर्ष दर वर्ष बाढ़ का संकट झेलना पड़ता है। इस वर्ष बाढ़ विकराल है, इसलिए हाहाकार मचा हुआ है। अलौली प्रखंड की चेराखेरा पंचायत स्थित तीनगच्छा के बाढ़ पीडि़त सड़क किनारे रहने को विवश हैं। ग्रामीण सड़क भी चारों ओर से बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। प्लास्टिक का तंबू तानकर पीडि़त बाढ़-बरसात का सामना कर रहे हैं।
जरा, इनकी सुनिए... : तीनगच्छा राहत लेकर पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता रजनीकांत ने बताया कि स्थिति भयावह है। थलहा के नरेश सहनी ने बताया कि डेढ़ माह से बाढ़ से घिरा हूं। दिनोंदिन स्थिति भयावह होती जा रही है। संकट गहराता ही जा रहा है। उत्तरी बोहरवा के बौआ प्रसाद बिंदू कहते हैं- मजदूर हूं। घर बागमती में विलीन हो गया। बाढ़ में मजदूरी भी नहीं मिलती है, किसी तरह दिन खेप (गुजार) रहा हूं।
इस बार बाढ़ का पानी ठहर गया है। अभी बाढ़ का पीक पीरियड है। गंगा भी बढ़ रही है। बाढ़ पीडि़तों को हरसंभव सहायता मुहैया कराई जा रही है। - शत्रुंजय मिश्र, एडीएम, खगडिय़ा।