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मधुमक्खी पालन : खुद बने आत्मनिर्भर, दूसरों को भी दिया रोजगार, आप भी अपनाएं यह तकनीक

मधुमक्खी पालन शहद उत्‍पादन कर आज लोक आर्थिक उन्‍नति कर रहे हैं। इससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। आप भी जानें कैसे करें का मधुमक्‍खी का पालन।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 12:28 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 12:28 PM (IST)
मधुमक्खी पालन : खुद बने आत्मनिर्भर, दूसरों को भी दिया रोजगार, आप भी अपनाएं यह तकनीक

भागलपुर [मिथिलेश कुमार]। नवगछिया क्षेत्र के बिहपुर प्रखंड के बभनगामा निवासी हिमांशु शेखर चौधरी मधुमक्खी पालन कर खुद तो आत्मनिर्भर बने ही अब दूसरों की जिंदगी में मिठास घोल रहे हैं। लॉकडाउन में बेरोजगार हो रहे लोगों को वर्क टू होम जाकर मधुमक्खी पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। चार वर्ष पूर्व 25 बक्सों से मधुमक्खी का पालन का व्यवसाय शुरू करने वाले हिमांशु के व्यवसाय का कारवां दिन व दिन बढ़ता ही जा रहा है। आज वह चार सौ बक्से में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

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बेगूसराय के किसान से मिली प्रेरणा : हिमांशु का मधुमक्खी पालन की प्रेरणा बेगूसराय के एक किसान से मिली। 2016 में 25 बक्से में व्यवसाय शुरू किया। वह बताते हैं कि सीजन व पौधों के अनुसार एक बक्से में 10 से 12 दिनों में चार से पांच किलो शहद बन जाता है। सीजन साथ दिया तो उनका कारोबार लाखों रुपये में है।

दोगुना आमदनी, तीन सौ लोगों ने शुरू किया कारोबार

हिमांशु बताते हैं कि शहद का उत्पादन में लागत से दोगुना फायदा होता है। कई गांवों उन्होंने तीन सौ के करीब लोगों को इस कारोबार से जोड़ चुके हैं। अब लोग भी शहद के धंधे को अपनाकर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

घर से ही बिक जाता है शहद

हिमांशु ने कहा कि शहद बेचने के लिए अब बाजार नहीं जाना पड़ता है। घर तक खरीदार पहुंचने लगे हैं। मधुमक्खी पालन से शहद का उप्तादन करने को किसानों के साथ आम ग्रामीणों के लिए आíथक रूप से फायदेमंद का धंधा है।

लॉकडाउन के कारण हुई समस्या 

संजय कुमार चौधरी के प्रयास से बिहपुर, नारायणपुर और खरीक के किसानों में शहद उत्पादन के प्रति झुकाव बढ़ता ही जा रहा हैं। लेकिन लॉकडाउन के चलते बीते तीन माह से शहद कि बिक्री ठप हो गई है। बिक्री ठप होने से किसान काफी परेशान हो गए हैं। इसके बावजूद क्षेत्र के लोगों में शहद उत्पादक के प्रति रूझान कम नहीं हुआ है।  


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