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आस्था के आगे बौनी पड़ जाती मजहब की दीवार

महापर्व छठ के मौके पर महजब की दीवार बौनी पड़ जाती है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 03:24 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 03:24 PM (IST)
आस्था के आगे बौनी पड़ जाती मजहब की दीवार
आस्था के आगे बौनी पड़ जाती मजहब की दीवार

कटिहार (नंदन कुमार झा)। मिश्रित संस्कृति वाले कटिहार में महापर्व छठ के मौके पर महजब की दीवार बौनी पड़ जाती है। लोक आस्था के महापर्व को लेकर दोनों समुदाय की परस्पर सहभागिता सौहार्द की डोर को मजबूत करता है। यह परंपरा यहां वर्षों से कायम है। महापर्व को लेकर छठ घाटों पर होने वाली साफ-सफाई से लेकर घाटों की साज सज्जा और अन्य सुविधा को लेकर मुस्लिम समुदाय के युवाओं की भी सराहनीय भूमिका रहती है। आस्था को लेकर हर वर्ग सामूहिक रूप से त्योहार का आनंद लेते हैं। इस परंपरा के चलते त्योहार का रंग और भी निखर जाता है।

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मुख्य रूप से बीएमपी छठ घाट, कारी कोसी छठ घाट, विजय स्पोर्टिंग क्लब, नहर घाट सहित अन्य महत्वपूर्ण घाटों की साफ-सफाई को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग भी जुटे हुए हैं। वहीं व्रतियों के पहुंचने के मार्ग सहित सड़कों की साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। महापर्व को लेकर आस्था का पूरा ध्यान रखा जाता है। सामूहिक रूप से आयोजित होने वाला महापर्व की मिशाल अन्य जगहों पर भी दी जाती है।

श्रद्धालुओं की सुविधा का रखा जाता है ख्याल :

बता दें कि महापर्व के मौके पर छठ घाटों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटती है। इस दौरान विभिन्न क्लब और युवाओं की टोली भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मुश्तैद रहती है। इस दौरान श्रद्धालुओं के पूजन को लेकर अ‌र्घ्य, फूल सहित अन्य व्यवस्था की जाती है। जबकि व्रतियों के लिए भी आवश्यक सुविधा मुहैया कराई जाती है। मुस्लिम समुदाय के लोग त्योहार के पूरे आयोजन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।

खरना के लिए मुस्लिम महिलाएं तैयार करती है चूल्हा :

महापर्व को लेकर खरना की पूजा के लिए मुस्लिम महिलाओं द्वारा चूल्हा तैयार किया जाता है। यहीं से अधिकांश लोग पूजा के लिए चूल्हा ले जाते हैं। व्रत के लिए मुख्य रूप से बैगना की मुस्लिम महिलाएं चूल्हा तैयार करती है। चूल्हा तैयार कर रही मु. कासिम की बेटी सोनी, रेहाना खातून आदि ने बताया कि पूजा के लिए चूल्हा निर्माण के दौरान आस्था का पूरा ख्याल रखा जाता है। महिलाओं ने बताया कि चूल्हा की काफी डिमांड रहती है। इसके लिए पूर्व में चूल्हे की मांग की जाती है। इसके अनुसार चूल्हा तैयार किया जाता है।


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