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अज्ञातवास में यहां आए थे पांडव, पर नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा

प्रखंड मुख्यालय बेलदौर से चार किलोमीटर की दूरी पर है बोबिल पंचायत। बोबिल पंचायत सहरसा व मधेपुरा जिले की सीमा को उत्तर दिशा में छूती है। इस पंचायत में सुप्रसिद्ध बाबा फुलेश्वरनाथ मंदिर अवस्थित है। यहां अज्ञातवास के पांडव ने दौरान पांच वृक्ष लगाए थे

By Amrendra kumar TiwariEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 01:04 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 01:04 PM (IST)
अज्ञातवास में यहां आए थे पांडव, पर नहीं मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
बोबिल पंचायत में सुप्रसिद्ध बाबा फुलेश्वरनाथ मंदिर

खगडिय़ा [ भवेश] । जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर और प्रखंड मुख्यालय बेलदौर से चार किलोमीटर की दूरी पर है बोबिल पंचायत। बोबिल पंचायत सहरसा व मधेपुरा जिले की सीमा को उत्तर दिशा में छूती है। इस पंचायत में सुप्रसिद्ध बाबा फुलेश्वरनाथ मंदिर अवस्थित है। यहां सावन-भादो में बाबा भोलेनाथ को जल अर्पित करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर को लेकर जनश्रुति महाभारतकालीन है। मंदिर परिसर में प्रसिद्ध पांडु वृक्ष(पांच वृक्ष) भी है। जो न बढ़ता है और न घटता है। जनश्रुति के अनुसार ये वृक्ष अज्ञातवास के दौरान पांडव ने लगाए थे। लेकिन, जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैया के कारण इस प्रसिद्ध स्थान को अब तक पर्यटन स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है।

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ग्राम पंचायत बोबिल एक नजर में

मुखिया : संगीता देवी

सरपंच : राजपति देवी

पंसस : युगेश कुमार

पैक्स अध्यक्ष : मोहन साह

आबादी : 17 हजार

मतदाता : 75 सौ

वार्ड : 12

आंगनबाड़ी केंद्र : 12

कृषि योग्य भूमि : 967 हेक्टेयर

गांव 10

पंचायत के गांव के नाम

बोबिल, फुलबडिय़ा, हनुमाननगर, कुम्हरैली, विष्णुपुर, सिकंदरपुर, बेसी बासा, यदु बासा, मोहनी बासा एवं भोर्रहा बासा।

मुख्य रोजगार : कृषि व पशुपालन।

मुख्य समस्या : जलजमाव, बदहाल शिक्षा व्यवस्था।

साक्षरता दर : 70 प्रतिशत।

विद्यालयों की संख्या: 10

सड़क की स्थिति

यूं तो पंचायत के सभी गांव, एक- दो गांवों को अपवाद स्वरूप छोड़ दिया जाए, तो पक्की सड़क से जुड़ चुके हैं। सिकंदरपुर-बोबिल होकर पनसलवा- बोबिल पीडब्ल्यूडी सड़क गुजरती है। जबकि हनुमाननगर- विष्णुपुर- कुम्हरैली होकर माली- फुलबडिय़ा पीएमजीवाई सड़क गुजरती है। माली- फुलबडिय़ा पीएमजीवाई सड़क अर्धनिर्मित है। सभी गांव में बिजली पहुंच चुकी है।

स्वास्थ्य और शिक्षा की स्थिति

कहने को पंचायत में एक उप स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। लेकिन, इसका संचालन कागजों पर ही वर्षों से किया जा रहा है। पंचायतवासी बीमार पडऩे पर ग्रामीण चिकित्सक के भरोसे इलाज करवाते हैं। जबकि भवन निर्माण को लेकर जमीन उपलब्ध है। वहीं पशु अस्पताल चार किलोमीटर दूर बेलदौर में स्थित है। इसका फायदा पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है। स्वच्छ भारत अभियान एवं लोहिया स्वच्छता अभियान की पोल खुलती दिख सकती है। लोग सड़कों किनारे बेरोकटोक खुले में शौच कर रहे हैं। लोग आयरन युक्त पानी पीने को विवश बने हुए हैं। 12 आंगनबाड़ी केंद्रों में से महज तीन आंगनबाड़ी केंद्रों को ही अपना भवन का सपना साकार हो पाया है। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन उच्चतर माध्यमिक की बात तो दूर, हाईस्कूल तक के बच्चों को पढ़ाने को लेकर एक शिक्षक मौजूद हैं।

दयनीय दशा में खेती-किसानी

बोबिल पंचायत के लगभग 80 प्रतिशत लोगों के जीविकोपार्जन का साधन खेती है। पंचायत के किसान मक्का की खेती प्रमुखता से करते हैं। लेकिन, ङ्क्षसचाई का साधन अभी भी पंपसेट ही बना हुआ है। पंचायत के बगल से गुजरी बेलदौर प्रशाखा नहर हाथी का दांत बना हुआ है। नहर में अभी धूल उड़ रही है। वैसे बेलदौर प्रखंड में एक भी राजकीय नलकूप नहीं है। मक्का आधारित उद्योग नहीं रहने से किसानों की लागत पूंजी भी ऊपर नहीं हो पाती है। जिससे अधिकांश किसान पलायन करने को विवश बने हुए हैं।  


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