मधुबन में मिला पालकालीन खंडहर इसके अंदर छुपा है सात कुएं का रहस्य
खंडहर दो भागों में बंटा हुआ है। आगे का भाग पिरामुडनुमा छत है। साधनास्थली और अंदर का भाग स्तूप की तरह है।
बांका [दिलीप कुमार सिंह] फुल्लीडुमर प्रखंड में मधुबन गांव में 1200 वर्ष पूर्व का खंडहर मिला है। अंचलाधिकारी के अनुसार यह पालकालीन खंडहर है। खंडहर के आसपास की जमीन से पुराने बर्तन, दीये आदि के अवशेष मिले हैं। खंडहर दो भागों में बंटा हुआ है। आगे का भाग पिरामुडनुमा छत है। साधनास्थली और अंदर का भाग स्तूप की तरह है।
जानकार बताते हैं कि यह खंडहर नाथ संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। इतिहासकार उदय शंकर के अनुसार यह 14वीं-15वीं सदी का मठ है। उक्त क्षेत्र शैव उपासकों का था। मठ के बाईं तरफ सात कुओं से होने से यह संभावना जताई जा सकती है कि यहां तांत्रिक साधना भी होती थी।
बताया जाता है कि आठ सौ साल पूर्व नाथ संप्रदाय काल में इसका निर्माण हुआ था। मठ का जीर्णोद्धार दो से तीन काल खंडों में किया गया है। सबसे अंतिम जीर्णोद्धार खेतौरी राज द्वारा कराया गया है। मठ में प्रयुक्त ईंट एवं मसाले भी इसकी ऐतिहासिकता का प्रमाण दे रहा है। खेतौरी जमींदार इस मठ का उपयोग अपनी कचहरी के रूप में करते थे। सीओ एवं पुरातत्वविद सतीश कुमार ने बताया कि मठ के पास का सात कुआं इसके तांत्रिक साधना स्थली का केंद्र बताता है। सीओ के मुताबिक मधुबन मठ जिला का सबसे पुराना खंडहर है, जिसे संवारने की जरूरत है।
दो भागों में बंटा है मठ
मठ में दो भाग है। पहला भाग तीन तरफ खुला है। साढ़े तीन फीट चौड़ी दीवार है। पुरानी ईंटे सुर्खी चुने से जोड़ी गयी हैं। जबकि जीर्णोद्धार के समय कुछ मोटी ईंटे लगी है। छत की ढलाई पिरामिड के आकार में है। जबकि भीतर का कमरा गर्भ गृह नुमा है। इसमें मात्र एक दरवाजा है, जो पहले भाग से जुड़ा है । कमरे में चारो दीवारों पर सात ताखे हैं। इसपर नक्कासी किया गया है। पत्थर के किवाड़ 30 साल पूर्व तक मठ में लगा था। मठ का खुलान पूरब दिशा में है। मठ के उत्तर दिशा में सात कुएं बने थे। अभी मात्र एक कुआं का अवशेष है। विद्यालय के निर्माण के पूर्व तक सातों कुआं का अवशेष था।