आउटडोर गेम खेलना हुआ बंद, बच्चे होने लगे मधुमेह से पीडि़त
भागलपुर। तेजी से बदल रही जीवनशैली का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ने लगा है। वे आउटडोर गेम (क्रिकेट, फुटबॉल
भागलपुर। तेजी से बदल रही जीवनशैली का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ने लगा है। वे आउटडोर गेम (क्रिकेट, फुटबॉल आदि) को छोड़कर इलेक्ट्रॉनिक्स गजेट्स (मोबाइल कार्टून या टीवी पर वीडियो गेम) के आदि होते जा रहे हैं। इसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। लगातार मोबाइल पर आंखें टिकी रहने से उन्हें चश्मा तो लग ही रहा है, मधुमेह जैसी बीमारी से भी पीड़ित होने लगे हैं।
शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आरके सिन्हा ने बताया कि प्रतिमाह एक से दो मधुमेह पीड़ित बच्चे इलाज कराने जेएलएनएमसीएच या निजी क्लीनिक आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि आधुनिक और आरामदायक जीवनशैली अपनाने के कारण बच्चे भी मधुमेह से पीड़ित होने लगे हैं। हालांकि अगर किसी के माता-पिता मधुमेह से पीड़ित हों तो उन्हें भी यह रोग हो सकता है। पर बच्चों के इस रोग से ग्रसित होने का मुख्य कारण मैदान से दूरी बनना है। उन्होंने बताया कि अधिकांश समय मोबाइल और टीबी से चिपके रहने के कारण शारीरिक श्रम नहीं हो पाता। फास्ट फूड का सेवन और मोटापा बढ़ने की वजह से भी बच्चे मधुमेह से पीड़ित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पेनक्रियाज में इंसुलिन बनने से मधुमेह कंट्रोल होता है। अगर इंसुलिन कम बनने लगे तो बच्चा मधुमेह से पीड़ित होने लगता है। इसके अलावा संक्रमण की वजह से भी पेनक्रियाज डैमेज होने लगता है। इससे भी मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. खलील अहमद ने कहा कि अगर बच्चे पौष्टिक आहार लें और शारीरिक श्रम करें तो वे मधुमेह से बच सकते हैं। मधुमेह कंट्रोल नहीं होने पर बच्चा बेहोश हो सकता है। उसे सांस लेने में कठिनाई होने लगेगी।
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केस स्टडी 01
नारायणपुर का आठ वर्षीय आदित्य मधुमेह से पीड़ित हो गया है। उसका इलाज जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में चल रहा है।