कबाड़ बन गया 40 लाख का जैविक खाद प्लांट, अफसरों के पास न प्लानिंग न विजन
गोदाम से हटाकर हनुमान घाट रोड पर प्लांट लगाने के लिए जगह चिह्नित कर ली गई। अब स्मार्ट सिटी के बजाय निगम के फंड से पिट वाले जैविक खाद प्लांट बनाने में रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
भागलपुर [जितेंद्र कुमार]। अफसरों ने स्मार्ट सिटी के नाम पर आई राशि से विकास करने के बजाय बंटाधार ही किया। शहर को स्मार्ट बनाने में न तो कोई टिकाऊ प्लानिंग की जा रही है न ही विजन दिख रहा है। जैसे-तैसे रुपये खर्च कर दिए जा रहे हैं। इसका नमूना 40 लाख रुपये से बने दो आधुनिक जैविक खाद प्लांट हैं जो कबाड़ बन चुके हैं।
मार्च 2017 में जब भागलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के सीईओ यानी नगर आयुक्त अवनीश कुमार थे तब इन दोनों प्लांट को बिठाने की योजना बनाई गई। ताज्जुब यह कि कंपनी को और कहीं जमीन नहीं मिली, नगर निगम के तातारपुर गोदाम में ही इसे आधे-अधूरे मन से स्थापित कर दिया गया। तब यह सोच थी कि लोहापट्टी, मुंदीचक स्थित मिनी मार्केट, गिरधारी लाल हटिया, तिलकामांझी आदि जगहों से सब्जी और फल के सड़े-गले अवशेषों को गोदाम लाया जाएगा। यहां दोनों प्लांटों की सहायता से इनसे जैविक खाद बनाई जाएगी। कम कीमत पर इसे किसानों को बेच दिया जाएगा।
प्लांट स्थापित होने के बाद इससे खाद तैयार करने के लिए निगम कर्मी राकेश को तकरीबन एक माह का प्रशिक्षण भी दिया गया। इन प्लांटों से अभी मुट्ठी भर खाद भी तैयार नहीं हो पाई थी कि जुलाई 2017 में अवनीश कुमार का तबादला हो गया। इसके बाद एसडीओ रोशन कुशवाहा और डीडीसी अमित कुमार करीब तीन महीने तक नगर आयुक्त के प्रभार में रहे। इस बीच कोई खास काम नहीं हुआ। नवंबर 2017 में श्याम बिहारी मीणा नगर आयुक्त बनकर आए। नए नगर आयुक्त का मानना था गोदाम का इस्तेमाल नगर निगम के संसाधनों को रखने के लिए हो न कि खाद तैयार करने के लिए। उन्होंने आते ही गोदाम में स्थापित दोनों जैविक प्लांट हटाने और इन्हें हनुमान घाट रोड स्थित निगम की जमीन पर लगाने का फरमान जारी कर दिया। इस तरह गोदाम में बने दोनों प्लाटों को कबाड़ बनने के लिए छोड़ दिया गया।
बताते चलें कि पिछले दिनों भागलपुर स्मार्ट सिटी कंपनी के चेयरमैन यानी कमिश्नर राजेश कुमार ने स्मार्ट सिटी के नाम पर खरीदे गए संसाधन और इसके रखरखाव में बरती जा रही लापरवाही को गंभीरता से लिया था। उन्होंने इस बाबत डीएम प्रणव कुमार को स्मार्ट सिटी के वित्तीय मामलों की जांच कर रिपोर्ट बनवाने का निर्देश भी दिया था।
स्मार्ट सिटी का काम रोक नगर निगम के फंड से कर रहे खर्च
गोदाम से हटाकर हनुमान घाट रोड पर प्लांट लगाने के लिए जगह चिह्नित कर ली गई लेकिन इस ओर कोई पहल नहीं गई। अलबत्ता अब स्मार्ट सिटी के बजाय नगर निगम के फंड से पिट वाले जैविक खाद प्लांट बनाने में धड़ल्ले से रुपये खर्च किए जा रहे हैं। चूंकि नगर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी दोनों का कर्ताधार्ता निगम प्रशासन ही है इस कारण यह आसान भी हो जा रहा है। वार्ड स्तर पर छोटे-छोटे पीट प्लांट बनवाए जा रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि यह सब एक संस्था के इशारे पर किया जा रहा है। पुलिस लाइन में 2.5 लाख रुपये की लागत से पीट बनाया जा चुका है। खिरनीघाट में पीट बनाने की तैयारी है। पिट वाले प्लांट बनाने में नगर निगम प्रशासन इस कदर जल्दबाजी में है कि उसने अब तक नगर विकास विभाग से इसकी स्वीकृति तक नहीं ली है।
पांच प्लांट का दिया आर्डर दो की आपूर्ति
दिल्ली स्थित एक कंपनी को पांच आधुनिक जैविक खाद प्लांट का आर्डर दिया था। इनमें से दो की आपूर्ति की गई। प्रति प्लांट की लागत 20 लाख रुपये है। भुगतान नहीं होने के चलते कंपनी ने शेष तीन प्लांट की आपूर्ति रोक दी है। एक प्लांट की क्षमता प्रति दिन एक टन खाद तैयार करने की है।
प्लांट से हजारों किसान को मिलता फायदा
शहर व आसपास के किसानों को जैविक तैयार होने के बाद सस्ते दर बेचने की योजना बनाई गई थी। खाद तैयार होने से करीब 50 हजार किसानों को फायदा मिल पाता। खेत की उर्वरा क्षमता भी बढ़ती और रासायनिक खाद से तैयार फसलों से लोगों को मुक्ति मिल जाती।