मात्र 15 फीसद किसानों को मिलेगा फसल बीमा योजना का लाभ, जानिए वजह
जिन किसानों का आवेदन स्वीकृत हुआ है। उनके खाते में फेज वाइज बीमा की राशि का भुगतान किया जा रहा है। इस वर्ष 24200 किसानों को ही फसल बीमा का लाभ मिल पाएगा।
भागलपुर [जेएनएन]। जिले में अन्नदाताओं के बीच फसल बीमा योजना का सही तरीके से प्रचार-प्रसार नहीं हो पाया। जिसकी वजह से सरकार की यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। जिले में निबंधित एक लाख 70 हजार किसान होने के बाद भी मात्र 24,668 किसान ही खरीफ फसल के लिए बीमा करा पाए। जबकि सुखाड़ के कारण किसानों के धान फसल की व्यापक क्षति हुई थी। आवेदनों की जांच के उपरांत इस वर्ष 24,200 यानि मात्र 15 फीसद किसानों को ही फसल बीमा का लाभ मिल पाएगा।
जिला सहकारिता पदाधिकारी अनिल गुप्ता ने बताया कि जिन किसानों का आवेदन स्वीकृत हुआ है। उनके खाते में फेज वाइज बीमा की राशि का भुगतान किया जा रहा है। एक सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि सुखाड़ के कारण खरीफ में बर्बाद हुए फसल की बीमा राशि कितने किसानों को अब तक मिल पाई है। यह बताना संभव नहीं है। हालांकि उनका कहना है कि फसल बीमा को लेकर किसानों में जागरूकता बढ़ी है। अब जागरूक किसान इसके लिए ऑन लाइन आवेदन के लिए आगे आ रहे हैं। रबी फसल के लिए इस बार 50 हजार किसानों ने फसल बीमा के लिए आवेदन भरा है।
अभी 31 मार्च तक ऑन लाइन आवेदन का समय है। इसके बाद प्राप्त आवेदनों की जांच की जाएगी। वहीं फसल बीमा के संबंध में किसानों की माने तो इंग्लिश के प्रगतिशील किसान पूर्व मुखिया संजय यादव, कुरपट के चंद्रशेखर मंडल, शाहकुंड के मृगेंद्र प्रसाद सिंह आदि ने कहा कि केसीसी से जुड़े किसानों को पहले फसल बीमा का लाभ दिया जाता था। इसके लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। अगर किसानों के पास केसीसी लोन होता था तो पहले बैंक ही फसल बीमा का लाभ से लोन की राशि में समायोजित कर लेता है। अभी भी अधिकतर किसानों को फसल बीमा योजना क्या होता है इसकी कोई जानकारी नहीं है।
फसल बीमा के दो आधार : मौसम आधारित बीमा योजना में मुख्य रूप से किसानों को मौसम से फसलों की क्षति होने पर बीमा का लाभ दिया जाता है जबकि एमएनएआइएस के तहत किसानों को फसल कटनी के आधार पर फसल बीमा का लाभ दिया जाता है।
यूं होता है आकलन : फसल बीमा के तहत किस जिले के किसानों को इसका लाभ मिलेगा, इसके आकलन का तरीका निर्धारित है। मौसम आधारित फसल बीमा योजना के आकलन के लिए सभी प्रखंडों में स्थापित मौसम केन्द्र के माध्यम से बरसात, सूखा व ओलावृष्टि समेत मौसम की अन्य गतिविधियों का हिसाब लगाया जाता है। इस आधार पर तय किया जाता है कि किस प्रखंड में मौसम के कारण कितना फसलों का नुकसान हुआ है।
इसमें बाढ़ से होने वाली क्षति को शामिल नहीं किया जाता है। बाढ़ से फसल बरबाद होने पर इसके लिए आपदा के माध्यम से किसानों को क्षतिपूर्ति दी जाती है। इसके अलावा एमएनएआइएस के तहत शामिल जिलों के प्रखंडों में फसल की कटाई के हिसाब से उत्पादन की दर का अनुमान लगाया जाता है। जिन प्रखंडों में उत्पादन दर कम होता है, वहां के किसानों को लाभ दिया जाता है।