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जिले में तेजी से बढ़ रहा है मानसिक रोगियों की संख्या, जाने क्या है कारण

कोरोना के काल खंड में जिले में तनाव के कारण मानसिक रोगी की संख्या लगातार बढ़ी हैा इससे बचाव के लिए सजगता की दरकार हैा इसके लिए मानसिक विभाग चला रहा है अभियान दूरभाष पर भी दी जा रही है सलाह

By Amrendra TiwariEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 01:32 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 01:32 PM (IST)
पूर्णिया जिला में चलाया जा रहा है मानसिक रोगी खोज अभियान

 पूर्णिया, [दीपक शरण] राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत मानसिक रोगी खोज अभियान चल रहा है इस अभियान में फोन पर सलाह दी जा रही है। साथ ही पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर रोगियों को चिन्हित किया जा रहा है। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता भी फील्ड वर्कर के साथ क्षेत्र में भ्रमण कर रोगियों की पहचान कर रहे है। प्रत्येक माह बड़ी संख्या में रोगी की पहचान की जा रही है। इसके लिए रिसोर्स पर्सन को भी प्रशिक्षण दिया गया है।

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चलाया जा रहा है सावधानी से जीवन में खुशहाली अभियान

पंचायत में सेशन आयोजित कर रोगियों को चिह्नित करना, परिवार नियोजन कार्यक्रम की जानकारी के साथ ही एड्स जैसी बीमारी के बारे में अगाह करना इस कार्यक्रम का हिस्सा है। सावधानी से जीवन में खुशहाली थीम के साथ अभियान का चलाया जा रहा है। इसके साथ ही फोन पर लोगों को सलाह भी दी जाएगी। जिला मानसिक विभाग के चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार भारती ने बताया कि कैंप का आयोजन कर मरीजों की पहचान कर काउंसिलिंलग की जाती है। मानसिक रोगी केवल शहरी इलाके में ही नहीं बल्कि ग्रामीण इलाके में भी मिल रहे हैं। शारीरिक रोग की तरह ही मानसिक रोग के प्रति लोग सचेत और सावधान होना होगा। जिले मानसिक विभाग ओपीडी में प्रत्येक माह 100 से अधिक मानसिक रोगी की पहचान हो रही है। विभाग में नए मरीजों के अलावा अगर फोलोअप रोगी संख्या भी जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 400 तक पहुंच जाती है।

पंचायतवार कैंप आयोजित कर लोगों को किया जा रहा जागरूक

विभाग पहले से ही सभी प्रखंडों में पंचायतवार कैंप आयोजित कर लोगों को जागरूक कर रहा है। मानसिक रोग के लिए जीवन में होने वाला तनाव सबसे बड़ा कारण है। कोरोना महामारी के दौरान लॉक डाउन रहने से इस परेशानी में काफी बढ़ोतरी हुई है। मानसिक रोग के लक्षण में नकारात्मक विचारों का बार-बार मन में आना, आदत और एकाग्रता में अचानक परिवर्तन आना, आत्म हत्या का विचार आना, क्रोध, भय, चिंता, अपराध बोध, उदासी या खुशी का एहसास बिना किसी ठोस कारण होना आदि ऐसे लक्षण है। ऐसे लक्षण होने पर मानसिक रोगी से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। जिले में आने वाले मरीजों में साइकोसिस, अवसाद के अधिक मरीज हैं। अप्रैल 2019 से दिसंबर 2019 तक 1152 नए मरीजों को सदर अस्पताल के मानसिक विभाग के ओपीडी में देखा गया है। इतने ही नए मानसिक रोगी की पहचान हुई थी। 2020 में यह संख्या डेढ़ गुणा बढ़ गई है। इसके अलावा इस समय में फोलोअप मरीजों की संख्या 2370 है। इसके अलावा पंचायत स्तर पर प्रत्येक माह 7 से 15 दिनों तक कैंप का आयोजन भी किया जा रहा है।


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