अगर एक ही पेड़ से मिले पांच आम का स्वाद? हैरान मत हों, अब ये संभव है
अब आपको आम के एक पेड़ से ही पांच तरह के आम के स्वाद मिलेंगे। एेसा हम नहीं कह रहे, ये कर दिखाया है बिहार के कृषि वैज्ञानिकों ने। कैसे हुआ यह, जानिए इस खबर में।
By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 08:27 PM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 03:10 PM (IST)
जमुई [आशीष कुमार चिंटू]। एक पेड़ से आपको अगर पांच प्रजातियों के आम का स्वाद मिले तो ये है ना अच्छी बात। यह कर दिखाया है बिहार के कृषि वैज्ञानिकों ने। वैज्ञानिकों ने आम के एक ऐसे पौधे की नस्ल को इजाद किया है, जिसपर पांच प्रजातियों के आम एकसाथ, एक ही पेड़ में फलेंगे। इस पौधे की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह कम जगह लेता है, ज्यादा फैलता नहीं।
एक पेड़ में पांच प्रजातियों के आम फलने से जहां किसानों की आय में भी वृद्धि होगी, वहीं कम जगह में फैलने की वजह से जमीन भी ज्यादा नहीं लगेगी। इस नए किस्म के पौधे को किसान खूब पसंद कर रहे हैं। आम के एक पेड़ में पांच प्रजातियां यथा मालदह, बंबई, जर्दालु, गुलाबखास एवं हिमसागर का स्वाद मिल सकता है।
इस तकनीक से सिंगारपुर के किसान राम प्रसाद की आय बढ़ी
यह सुनने में कुछ अटपटा जरूर लगे, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से खैरा प्रखंड के सिंगारपुर के किसान राम प्रसाद ने इसे सच कर दिखाया है। उनके उद्यान में ऐसे पौधे प्रदर्शनी के रूप में लगे हैं। ऐसे पौधों की बिक्री से राम प्रसाद की आय में वृद्धि हुई है। उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
केवीके जमुई में वैज्ञानिकों से सीखा गुर
दरअसल, परंपरागत खेती से राम प्रसाद को कोई आय नहीं हो रही थी। घर चलाना भी मुश्किल हो रहा था। अपनी आय में वृद्धि के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए। केवीके जमुई में वैज्ञानिकों की सहायता से एक आम के पौधे में पांच प्रकार के आम प्राप्त करने के गुर सीखे। इसके बाद जमुई शहर में नर्सरी खोल कर उसे व्यावसायिक रूप दे दिया। अब राम प्रसाद को हर वर्ष लाखों की आय हो रही है।
फनी कलम तकनीक का होता है प्रयोग
गुठली से तैयार बीजू पौधे की अलग-अलग डालियों में फनी कलम बांधने की तकनीक से एक पेड़ में पांच आम प्राप्त होता है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. सुधीर कुमार सिंह के अनुसार इस तकनीक में सर्वप्रथम आम की गुठली को तैयार नर्सरी में डालते हैं। अब नर्सरी में बने बेड पर अंकुरित गुठली के पौधों को 20-20 सेमी की दूरी पर लगाते हैं। इससे रूट स्टाक तैयार हो जाता है।
इसके पश्चात जिस प्रजाति का फल लेना हो, उसके मातृ पेड़ की स्वस्थ शाखा की अग्र भाग के छह इंच की सभी पत्तियों को एक इंच छोड़ कर काट देते हैं। एक सप्ताह बाद उन छह इंच के कटे हुए अग्र भाग को बड स्टीक के रूप में काट लेते हैं।
फिर गुठली से तैयार रूट स्टाक के उपरी हिस्से को काटने के बाद 4 से 5 सेंमी तक उपर से बीचोंबीच चीरते हैं एवं बड स्टीक को वी (अंग्रेजी अक्षर) आकार में काट कर चीरा वाले स्थान पर मजबूती से घुसा देते हैं, ताकि चिपक जाए। इसके बाद पॉलिथीन से कसकर बांधकर छोड़ देते हैं। बेड में जरूरत के अनुसार नमी रखी जाती है।
45 दिनों में उस बड स्टीक से मातृ प्रजाति की डाली निकलती है, जिससे उक्त प्रजाति के फल प्राप्त होते हैं। इसी तकनीक से अलग-अलग डालियों में अलग-अलग प्रजातियों के बड स्टीक लगा कर आम के एक पेड़ में चार- पांच प्रजातियों के फल प्राप्त किए जाते हैं।
एक पेड़ में पांच प्रजातियों के आम फलने से जहां किसानों की आय में भी वृद्धि होगी, वहीं कम जगह में फैलने की वजह से जमीन भी ज्यादा नहीं लगेगी। इस नए किस्म के पौधे को किसान खूब पसंद कर रहे हैं। आम के एक पेड़ में पांच प्रजातियां यथा मालदह, बंबई, जर्दालु, गुलाबखास एवं हिमसागर का स्वाद मिल सकता है।
इस तकनीक से सिंगारपुर के किसान राम प्रसाद की आय बढ़ी
यह सुनने में कुछ अटपटा जरूर लगे, लेकिन कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से खैरा प्रखंड के सिंगारपुर के किसान राम प्रसाद ने इसे सच कर दिखाया है। उनके उद्यान में ऐसे पौधे प्रदर्शनी के रूप में लगे हैं। ऐसे पौधों की बिक्री से राम प्रसाद की आय में वृद्धि हुई है। उनके जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
केवीके जमुई में वैज्ञानिकों से सीखा गुर
दरअसल, परंपरागत खेती से राम प्रसाद को कोई आय नहीं हो रही थी। घर चलाना भी मुश्किल हो रहा था। अपनी आय में वृद्धि के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के संपर्क में आए। केवीके जमुई में वैज्ञानिकों की सहायता से एक आम के पौधे में पांच प्रकार के आम प्राप्त करने के गुर सीखे। इसके बाद जमुई शहर में नर्सरी खोल कर उसे व्यावसायिक रूप दे दिया। अब राम प्रसाद को हर वर्ष लाखों की आय हो रही है।
फनी कलम तकनीक का होता है प्रयोग
गुठली से तैयार बीजू पौधे की अलग-अलग डालियों में फनी कलम बांधने की तकनीक से एक पेड़ में पांच आम प्राप्त होता है। कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. सुधीर कुमार सिंह के अनुसार इस तकनीक में सर्वप्रथम आम की गुठली को तैयार नर्सरी में डालते हैं। अब नर्सरी में बने बेड पर अंकुरित गुठली के पौधों को 20-20 सेमी की दूरी पर लगाते हैं। इससे रूट स्टाक तैयार हो जाता है।
इसके पश्चात जिस प्रजाति का फल लेना हो, उसके मातृ पेड़ की स्वस्थ शाखा की अग्र भाग के छह इंच की सभी पत्तियों को एक इंच छोड़ कर काट देते हैं। एक सप्ताह बाद उन छह इंच के कटे हुए अग्र भाग को बड स्टीक के रूप में काट लेते हैं।
फिर गुठली से तैयार रूट स्टाक के उपरी हिस्से को काटने के बाद 4 से 5 सेंमी तक उपर से बीचोंबीच चीरते हैं एवं बड स्टीक को वी (अंग्रेजी अक्षर) आकार में काट कर चीरा वाले स्थान पर मजबूती से घुसा देते हैं, ताकि चिपक जाए। इसके बाद पॉलिथीन से कसकर बांधकर छोड़ देते हैं। बेड में जरूरत के अनुसार नमी रखी जाती है।
45 दिनों में उस बड स्टीक से मातृ प्रजाति की डाली निकलती है, जिससे उक्त प्रजाति के फल प्राप्त होते हैं। इसी तकनीक से अलग-अलग डालियों में अलग-अलग प्रजातियों के बड स्टीक लगा कर आम के एक पेड़ में चार- पांच प्रजातियों के फल प्राप्त किए जाते हैं।
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