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अंकुरण परियोजना : स्कूलों में क, ख... के साथ सब्जी उगाना भी सीख रहे बच्चे Bhagalpur News

इसका उद्देश्य बच्चों को खाद्य विविधता जागरुकता जैविक खेती साग-सब्जियों के पोषण मूल्य एवं स्वच्छता आदि के प्रति जागरूक करना है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 08:36 AM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 09:52 PM (IST)
अंकुरण परियोजना : स्कूलों में क, ख... के साथ सब्जी उगाना भी सीख रहे बच्चे Bhagalpur News
अंकुरण परियोजना : स्कूलों में क, ख... के साथ सब्जी उगाना भी सीख रहे बच्चे Bhagalpur News

भागलपुर [अमरेन्द्र कुमार तिवारी]। जिले के प्रारंभिक स्कूलों में बच्चे क, ख... के साथ साथ साथ साथ जैविक खेती की बारिकियां भी सीख रहे हैं। और इसका असर भी दिखने लगा है। बच्चे स्कूल में ही साग-सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। इन सब्जियों का उपयोग उसी स्कूल के मध्यान भोजन में किया जा रहा है।

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दरअसल, अंकुरण परियोजना के तहत स्कूलों में पोषण वाटिका स्थापित कर बच्चों को जैविक खेती के बारे में जानकारी दी जा रही है। इसका उद्देश्य बच्चों को खाद्य विविधता जागरुकता, जैविक खेती, साग-सब्जियों के पोषण मूल्य एवं स्वच्छता आदि के प्रति जागरूक करना है। स्कूलों में पोषण वाटिका का निर्माण सहभागिता एवं चेतना सत्र के माध्यम किया जा रहा है।

जिले के 80 स्कूलों में पोषण वाटिका स्थापित

प्रथम चरण में जिले के 96 स्कूलों में पोषण वाटिका स्थापित किया जाना था। लेकिन, अब तक 80 विद्यालयों में यह स्थापित किया जा सका है। इन स्कूलों में प्रखंड के कृषि पदाधिकारी और कृषि समन्वयक बच्चों को कृषि की तकनीकी जानकारी दे रहे हैं। नियमित देखरेख के लिए स्कूल के एक रसोइया को भी प्रतिनियुक्त किया गया है।

हरी सब्जियां मध्याह्न भोजन में हो रहा उपयोग

सन्हौला के आदर्श कलाधर मध्य विद्यालय अरार सन्हौला में बच्चे भिंडी, नेनुआ और बैंगन आदि का उत्पादन स्कूल में बने पोषण वाटिका में कर रहे हैं। इसी तरह अन्य विद्यालयों के बच्चे भी अपने विद्यालयों में जैविक खेती कर रहे हैं। इन सब्जियों का उपयोग वहां के मिड डे मील में हो रहा है।

सभी विद्यालयों में योजना को किया जाएगा लागू

पोषण वाटिका बना कर जिले के सभी स्कूलों में बच्चों को जैविक खेती के बारे में जानकारी दी जाएगी। ताकि बच्चे घर में भी किचन गार्डेन का उपयोग कर जैविक खेती कर सके। जिले में फिलहाल इस योजना का पहला चरण ही लागू हो सका है। लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारी सभी 1827 प्रारंभिक स्कूलों में इसे धरातल पर उतारने के लिए प्रयासरत हैं।

उपकरणों पर खर्च किए गए है चार हजार रुपये

स्कूलों में जैविक खेती के लिए आवश्यक उपकरण कुदाल, खुरपी, हजारा, बाल्टी, मग, सिंचाई पाइप खरीदी गई है। जाफरी द्वारा वाटिका की घेरावंदी भी की गई है। इन उपकरणों पर खर्च के लिए छात्र विकास अनुदान मद से चार हजार रुपये खर्च किए गए है।

कृषि केंद्र से भी लिया जाता है सहयोग

विद्यालयों में अंकुर परियोजना की शुरूआत बिहार राज्य मिड डे मील योजना समिति शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर की गई है। बच्चों को जैविक खेती के बारे में जानकारी देने के लिए कृषि विश्वविद्यालय एवं कृषि विज्ञान केंद्र का भी सहयोग लिया जा रहा है।

सुभाष कुमार गुप्ता (डीपीओ एमडीएम, भागलपुर) ने कहा कि जिन स्कूलों के पास सुरक्षित जगह उपलब्ध है। वहां तत्काल इस योजना को धरातल पर उतारने की दिशा में कवायद चल रही है। आने वाले समय में यह योजना स्कूलों से लेकर घर के किचन गार्डेन को भी समृद्धि बनाएगी। बच्चों के साथ साथ घर-परिवार के लोगों को भी गुणवत्तापूर्ण सब्जियां खाने को मिलेगा। स्वच्छता भी बनी रहेगी।


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