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अब जलजमाव वाले क्षेत्रों में भी लगा पाएंगे अरहर का पौधा, वैज्ञानिक कर रहे शोध Bhagalpur News

पीली किसानी से किसानों को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से अरहर को जल जमाव वाली भूमि पर उत्पादन किया जा सके इसके लिए अनुसंधान किया जा रहा है।

By Dilip ShuklaEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 09:42 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 09:42 AM (IST)
अब जलजमाव वाले क्षेत्रों में भी लगा पाएंगे अरहर का पौधा, वैज्ञानिक कर रहे शोध Bhagalpur News
अब जलजमाव वाले क्षेत्रों में भी लगा पाएंगे अरहर का पौधा, वैज्ञानिक कर रहे शोध Bhagalpur News

भागलपुर [ललन तिवारी]। बिहार की निचली धरती पर अब पीली किसानी संभव हो सकेगा। दलहन फसल अरहर जिसका उत्पादन किसान अब तक ऊंचे जमीन पर करते आ रहे थे, अब निचले क्षेत्र यानी जलजमाव वाले क्षेत्रों में भी कर सकेंगे। इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर (बीएयू) में शोध कार्य किया जा रहा है। शोध के पहले फेज में बीएयू को सफलता मिली है। अब जल्द ही जलजमाव वाली जमीन पर अरहर का उत्पादन संभव हो सकेगा। साथ ही नई किस्म से फसल का उत्पादन भी दो गुणा होगा।

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निचली जमीन के लिए नहीं है अरहर की किस्म

बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. ईश्वर सिंह सोलंकी एवं रिसर्च कर रही महिला वैज्ञानिक धर्मशिला ठाकुर ने बताया कि बिहार की निचली धरती के लिए अब तक कोई अरहर की किस्म नहीं है। अरहर का उत्पादन केवल ऊंचे जमीन पर होता है। जिसमें समय ज्यादा और उत्पादन कम होता है। पीली किसानी से किसानों को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से अरहर को जल जमाव वाली भूमि पर उत्पादन किया जा सके इसके लिए अनुसंधान किया जा रहा है।

इस तरह किया गया शोध

रिसर्च कर रही महिला वैज्ञानिक धर्मशिला ठाकुर ने बताया कि जननद्रव्य से लगाया गया अरहर का पौधा एक सप्ताह तक छ सेंटीमीटर पानी में रहने के बाद भी नहीं मुर्झाया। सफल अनुसंधान को आधार बनाते हुए अरहर की नई किस्म विकसित करने पर पहल किया जा रहा है। उक्त जनन द्रव्य से विकसित पौधा को किसी प्रभेद से क्रास कर नया किस्म निकाला जाएगा।

बाढ़ क्षेत्र के लिए होगा वरदान

बिहार के किसानों के लिए अरहर का अब तक कोई ऐसा किस्म नहीं है जो ज्यादा लाभकारी हो सके। आने वाले समय में बाढ़ और निचले जमीन के लिए नई किस्म वरदान साबित होगा। विश्वविद्यालय द्वारा तैयार इस नए किस्म से बाढ़ वाले इलाकों में भी अरहर की खेती हो सकेगी। कई दिनों तक बाढ़ के पानी में फसल के डूबे रहने के बावजूद पौधे पर कोई असर नहीं होगा। साथ ही नई किस्म के फसल का उत्पादन भी बढ़ेगा।

डॉ. अजय कुमार सिंह (कुलपति बीएयू सबौर) ने कहा कि निचली जमीन पर भी अरहर की फसल लगाया जा सके। इसके लिए नई किस्म विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले समय में किसानों के लिए यह काफी लाभकारी होगा।


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