छिड़काव शुरू करने के लिए विभाग को डेंगू मरीज का इंतजार, 2008 से बंद है सघन छिड़काव
भागलपुर में डेंगू का प्रकोप इसी माह से शुरू हो जाता है। इसके बावजूद इसके बचाव के लिए नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग ने अभी तैयारी शुरू नहीं की है।
भागलपुर, जेएनएन। हर साल जुलाई से डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक माह पहले तैयार शुरू की जाती है, लेकिन, इस बार स्वास्थ्य विभाग मरीज का इंतजार कर रहा है। इसके बाद दवा का छिड़काव किया जाएगा। जिला मलेरिया विभाग को अभी तक दवा मुहैया नहीं कराई गई है। पटना से दवा आने के बाद ही छिड़काव शुरू होगा।
ज्यादा मौतें शहर में
2016 में डेंगू से कुल 11 लोगों की मौत हुई थी। इनमें सात लोग शहर के हैं। शहर के मुंदीचक, नाथनगर, शाहजंगी, शिव भवन और सुर्खीकल के लोग लोग शामिल हैं। इसके अलावा शहर के लगभग सभी मोहल्लों में लोग डेंगू से पीडि़त हुए थे। इनमें सबसे ज्यादा संख्या सुर्खीकल, तिलकामांझी, भीखनपुर, मिरजानहाट, जवारीपुर, रामसर आदि मोहल्ले शामिल हैं।
आठ कर्मचारी हैं कार्यरत
जिला मलेरिया कार्यालय में 147 पद सृजित है। इसमें महज आठ कर्मचारी ही कार्यरत हैं। इसमें चार कर्मचारी अन्य प्रखंडों में प्रतिनियुक्ति हैं। एक लैब तकनीशियन की प्रतिनियुक्ति शहरी प्राथमिक केंद्र किए जाने पर जिला मलेरिया कार्यालय में एक भी तकनीशियन नहीं है।
हर माह ढाई लाख का बजट
कार्यालय में कार्यरत कर्मचारियों का प्रतिमाह वेतन तकरीबन ढाई लाख है। इसके अलावा कालाजार और डेंगू की रोकथाम करने के लिए प्रतिवर्ष करीब 20 लाख का बजट है, लेकिन प्रतिवर्ष डेंगू और कालाजार से दर्जनों लोग पीडि़त होते हैं।
क्या बरतें सावधानी
फिजीशियन डॉ. एमएन झा ने कहा कि साफ पानी में मच्छी लार्वा को जन्म देते हैं। इसलिए घरों के बर्तनों में पानी जमा नहीं होने दें। गमला, कूलर आदि का पानी प्रत्येक एक सप्ताह में बदलते रहे। घर की सफाई रखें। रात को सोते समय मच्छड़दानी लगाएं।
तीन सप्ताह पूर्व दवा छिड़काव के लिए करीब एक लाख रुपये का बजट मुख्यालय को भेजा गया है। इसमें डीजल, पेट्रोल, दवा और मानदेय शामिल है। अभी तक मुख्यालय का निर्देश नहीं नहीं आया है। -कुंदन भाई पटेल, जिला मलेरिया पदाधिकारी।
वर्ष पीडि़तों की संख्या मौत
2016 174 सात
2017 32 0
2018 19 0
2019 192 0
(नोट : ये आंकड़े जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल के हैं)
मुख्य बातें
- जुलाई से लोग होने लगते हैं डेंगू का शिकार
- 2008 से बंद है सघन छिड़काव
- मुख्यालय के आदेश मिलने पर मच्छर निरोधी दवा का किया जाता है छिड़काव