ना बांध टूटा ना तटबंध, फिर भी इस जिले के 109 गांव बाढ़ की चपेट में
बिहार में हर साल बाढ़ नियंत्रण के नाम पर करोड़ों रूपये खर्च होते हैं लेकिन हालात जस के तस। खगडि़या में न तो कोई बांध टूटा और न हीं तटबंध, बावजूद 109 गांव बाढ़ की चपेट में आ गये।
खगडि़या [निर्भय]। इस बार खगडिय़ा में ना तो कोई बांध टूटा और ना ही तटबंध दरका, फिर भी 109 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। हर साल बाढ़ नियंत्रण पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी सरकार लोगों को बाढ़ से नहीं बचा पाती है। इस स्थिति को देखते हुए अब जल कार्यकर्ता व नदी विशेषज्ञ बाढ़ नियंत्रण की सरकारी व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाने लगे हैं।
2017 की बाढ़ देखें
प्रशासनिक रिपोर्ट के अनुसार जिले की कुल 129 में से 36 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित मानी गईं। आठ पूर्ण और 28 आंशिक रूप से प्रभावित हुईं। बेलदौर प्रखंड की सभी 16 पंचायतें कमोवेश बाढ़ से प्रभावित हुईं। कुल सात में से छह अंचल बाढ़ की चपेट में आए। जिले की एक लाख 62 हजार जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित हुई। बाढ़ में डूबने से पांच लोगों की जानें भी गईं। बाढ़ से सुरक्षा और राहत के नाम पर बड़ी राशि खर्च की गई।
बांध-तटबंधों की शृंखला, फिर भी आती है बाढ़
खगडिय़ा जिले में लोगों को बाढ़ से सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोसी, बागमती, गंगा और बूढ़ी गंडक नदी पर कुल 147.37 किलोमीटर लंबा तटबंध है। जमींदारी बांध अलग से है। इनकी सुरक्षा को लेकर हर वर्ष लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं, फिर भी बाढ़ आ ही जाती है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है।
जल कार्यकर्ता कृष्ण मोहन सिंह 'मुन्ना का कहना है कि गलत तकनीक के कारण सीपेज के कारण हर वर्ष बड़े पैमाने पर फसलें नष्ट हो जाती हैं। अभी भी दहमा चौर में हजारों एकड़ जमीन में पांच से दस फीट तक पानी है। भारतीय नदी घाटी मंच के संयोजक कुमार कलानंद मणि का कहना है कि खगडिय़ा नदियों की संगम स्थली है। बांधों-तटबंधों के कारण नदियों के बेड में गाद भर गए हैं।
नदियों को बांध देने से और छोटे-छोटे शहरों के अनियंत्रित विकास के कारण बरसात के समय पानी का नैसर्गिक मार्ग अवरुद्ध हो गया है। मोकामा से लेकर किशनगंज तक जलजमाव का बड़ा क्षेत्र बन गया है। खगडिय़ा में स्थिति और नाजुक हो जाती है। बांध-तटबंध निदान नहीं हैं, पानी के प्राकृतिक बहाव को फिर से स्थापित करने की जरूरत है।
फ्लड फाइटिंग फोर्स के अध्यक्ष ई. शैलेश कुमार सिंह कहते हैं कि बांध-तटबंध हर बाढ़ से सुरक्षा के महत्वपूर्ण उपाय तब साबित होंगे जब उनकी तकनीक सही होगी।