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मनीषा को मुखाग्नि देने ना तो पति आया और ना ही प्रेमी, आठ साल की मासूम बेटी का अब क्‍या होगा?

बिना मुखाग्नि ही जली मनीषा की चिता। 2013 में मनीषा ने शिव कुमार मिश्रा से प्रेम विवाह किया था। चार साल से संबंध विच्छेद था। मनीषा की जिंदगी में शम्‍स नामक एक युवक आया। उसके बाद से मनीषा और शिव के बीच विवाद होता रहा।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Tue, 07 Dec 2021 09:20 PM (IST)Updated: Tue, 07 Dec 2021 09:20 PM (IST)
मनीषा की हत्‍या के बाद मुखाग्नि नहीं दी गई।

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। आखिर बिना मुखाग्नि की ही मनीषा की चिता पूर्णिया शहर के बायपास श्मशान घाट पर धू-धूकर जल गई। सात फेरों की डोर भी इस चिता को किनारा नहीं दे पाया। पुलिस भी पूरी स्थिति पर भौचक्क थी। श्मशान से सभी लौटे मगर उतरी किसी ने नहीं ली। इस चिता के साथ मनीषा की आठ वर्षीय पुत्री भी बेसहारा हो गई। फिलहाल चाचा के घर उसको पनाह मिली है, लेकिन यह स्थाई पनाह है या नहीं, इसको लेकर पुलिस भी संशय में है।

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दरअसल, मनीषा के दर्दनाक अंत की यह कहानी में कई धाराएं हैं। बेगुसराय की मूल निवासी मनीषा स‍िंह ने 2013 में साथ पढऩे वाले बेगुसराय के ही शिव कुमार मिश्रा से प्रेम विवाह किया था। दोनों की जिंदगी मजे में कट रही थी। इस दौरान मनीषा ने एक बच्ची को भी जन्म दिया, जो अब आठ वर्ष की हो चुकी है। इधर चार वर्ष पूर्व निजी मामलों को लेकर दोनों में दरार पैदा हो गया। समझा यह जा रहा है कि इस विवाद का जड़ उक्त शम्स नामक व्यक्ति ही है, जो अनायास ही मनीषा की जिंदगी में टपक पड़ा था और आखिरकार उसकी हत्या का सूत्रधार भी बन गया। इससे विलग मनीषा व शिव के संबंध इस कदर बिगड़ चुके थे कि गत चार साल से दोनों ने मिलना-जुलना भी पूरी तरह बंद कर दिया था।

शिव पटना में रह रहा है और मनीषा पूर्णिया में बेटी के साथ रह रही थी। स्थिति यह हुई कि मनीषा की हत्या की सूचना के बाद भी शिव ने पूर्णिया आना भी उचित नहीं समझा। यहां तक जब शव की शिनाख्त हुई और उसके अंतिम संस्कार की बात आई तो श्मशान घाट पर अजीब स्थिति पैदा हो गई। शव की शिनाख्त को पहुंचे देवर ने भी मनीषा को मुखाग्नि देने से साफ इंकार कर दिया। पुलिस ने मनीषा के इकलौते भाई से जब संपर्क किया तो वह गजियाबाद में था। वह गजियाबाद में ही मजदूरी करता है। उसने तत्काल पहुंचने में असमर्थता जताई।

इधर पति शिव कुमार मिश्रा ने भी यहां आने से साफ मना कर दिया। ऐसे में बिना मुखाग्नि के ही चिता में आग लगा दी गई। मनीषा की इस दुखद अंतिम यात्रा की कहानी हर किसी को हैरत में डाल दिया। इधर मनीषा की आठ वर्षीय बेटी का भविष्य भी अंधेरे में डूब गई है। उसकी खोज खबर भी अब तक पिता ने नहीं ली है। सदर एसडीपीओ ने बताया कि फिलहाल बच्ची को मनीषा के देवर को सुपुर्द किया गया है।


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