नक्सलियों ने कहा-'जा तू निकल जा' तब लौटी 'जान', जानें पुरुषोत्तम की पीड़ा
नक्सलियों के चंगुल से छह दिन बाद मुक्त पुरुषोत्तम से मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। हवेली खड़गपुर स्थित घर पर शनिवार को लोगों की भीड़ लगी रही। वह घटना को याद कर सिहर जाता था।
मुंगेर [जेएनएन]। नक्सलियों के चंगुल से छह दिन बाद मुक्त हुए पुरुषोत्तम यादव से मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। मुंगेर के हवेली खड़गपुर स्थित उसके घर पर शनिवार को दिन भर लोगों की भीड़ लगी रही। इस दौरान हर किसी से अपने साथ बीती घटना को याद कर वह सिहर उठता था। उसने कहा कि उनके साथ बीते छह दिनों तक वह खुद को संकट से घिरा हुआ महसूस करता रहा।
आप बीती सुनाते हुए पुरुषोत्तम यादव ने बताया कि नक्सली कभी इस पहाड़ पर तो कभी उस पहाड़ पर उसे घुमाते रहे। जब वह कहता कि अब वह थक गया है तो बिना कुछ बोले इशारों के माध्यम से उसे किसी पत्थर के टीले या जंगल के ऊबड़-खाबड़ कंकड़ीली जमीन पर बैठने का इशारा कर देते थे।
यह पूछे जाने पर कि नक्सली कौन सी भाषा बोल रहे थे तो उसने कहा कि उनकी भाषा उसकी समझ में नहीं आती थी। वे लोग इतना धीरे-धीरे बोलते थे कि उसके कानों तक आवाज ही नहीं पहुंच पाती थी। यदा-कदा पहुंच भी जाती तो वह उसकी भाषा समझ नहीं पाता था। नक्सलियों के साथ जंगलों में घूमने में इस बात का भय लगा रहता था कि न जाने ये लोग आगे ले जाकर मेरे साथ क्या करेंगे।
खाने में वे उसे केवल चूड़ा-मूढ़ी और गुड़़ देते थे। हां, कभी-कभी चावल-दाल देते थे। उस वक्त वे उससे मात्र इतना ही कहते थे कि ले खाना खा ले। रात्रि में सोते वक्त उसे बीच में सुलाते थे और उसके चारों तरफ कुछ नक्सली सोते थे। कुछ लोग पहरा भी देते थे। शुक्रवार को उन लोगों ने उसे पहाड़ पर छोड़ यह कहते हुए वापस लौट गए कि अब तू निकल जा।
पुरुषोत्तम ने बताया कि वह किसी तरह पहाड़ों, जंगलों में भटकता हुआ वापस घर लौटा। इस बीच शनिवार को भी एसडीपीओ पोलस्त कुमार, थानाध्यक्ष बृजेश कुमार सिंह, इंस्पेक्टर बालकृष्ण यादव, पोखरिया गांव पहुंच कर घटना से संबंधित कई बिंदुओं पर जानकारी ली। एसडीपीओ ने बताया कि घटना से संबंधित सभी पहलुओं को इकट्ठा कर अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज कर अनुसंधान आरंभ कर दिया गया है।