Munger Durga Visarjan Case : मुंगेर में शांति के बाद आ ही गया तूफान, पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने पुलिस पर लगाया बर्बरता का आरोप
Munger Durga Visarjan Case मुंगेर में बवाल के बाद चुनाव तक तो लोग शांत रहे लेकिन अचानक फिर से बवाल शुरू हो गया। इस बवाल पर अब राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के भी बयान सामने आने लगे है। कुछ लोग पुलिस पर बर्बरता का आरोप लगा रहे हैं।
भागलुपर [संजय सिंह]। Munger Durga Visarjan Case : मुंगेर में प्रतिमा विसर्जन के दौरान सोमवार रात को हुई फायङ्क्षरग में अनुराग पोद्दार की मौत का मुद्दा पहले चरण के चुनाव के बाद भी जिंदा रहेगा। पक्ष और विपक्ष दोनों धड़ों के नेता इस घटना की निंदा कर रहे हैं। पहले माना जा रहा था कि इस घटना का असर मुंगेर और इसके कुछ सीमावर्ती जिलों तक ही रहेगा, लेकिन इसे राजनीति दल बिहार चुनाव में एक अहम मुद्दा बनाने पर तुल गए हैं। गुरुवार को इसे लेकर मुंगेर में बवाल की स्थिति बनी रही। पुलिस संस्थान भीड़ के निशाने पर रहे। इसके बाद इस मामले ने इंटरनेट मीडिया पर भी जमकर सुर्खियां बटोरीं। एक तरह से चुनाव के दौरान की शांति उसके अगले ही दिन तूफान में तब्दील हो गई। चुनाव आयोग ने भी बड़ी कार्रवाई कर लोगों को समझाने की कोशिश की कि उनके दर्द पर नजर रखी जा रही है। मामले को किसी भी स्थिति में ठंडे बस्ते में नहीं डाला गया है।
मतदान पर भी दिखा असर
इसका असर बुधवार को पहले चरण के विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिला। मुंगेर के तीनों विधानसभा क्षेत्रों में औसतन 47 से 48 फीसद मतदान हुआ, जबकि इसके पड़ोसी जिलों बांका, भागलपुर, जमुई व लखीसराय में इससे औसतन सात से दस फीसद अधिक वोट डाले गए। इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है। गुरुवार को चुनाव आयोग की कार्रवाई के बाद मुंगेर चैंबर ऑफ कॉमर्स के घोषित बाजार बंद का असर भी धीरे-धीरे कम होने लगा। पूर्व बिहार के भागलपुर-खगडिय़ा के अलावा कोसी सीमांचल के जिलों में दूसरे और तीसरे चरण में मतदान होने हैं। राजनीतिक दल इस मुद्दे को भुनाने में लगे हुए हैं।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भी एक्शन में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिकार आयोग के चेयरमैन के निजी सचिव धर्मेंद्र भंडारी ने मुंगेर एसपी को पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने अपने पत्र की कॉपी मुंगेर के डीआइजी को भी दी है।