अनूठी परंपरा : महाशय ड्योढ़ी में विसर्जन से पहले नाव पर सवार हो सात फेरे लगाती हैं मां दुर्गा Bhagalpur News
महाशय ड्योढी की दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन की अनूठी परंपरा है। विदाई से पूर्व वशिष्ठ विश्वामित्र कण्व भारद्वाज अत्रि वामदेव और शौनक सप्तऋषि का विशेष आह्वान किया जाता है।
भागलपुर [जेएनएन]। महाशय ड्योढी में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन की अनूठी परंपरा है। यहां चंपा नदी की धारा में देवी दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, कार्तिक और गणेश को एक नाव पर सवार किया जाता है। जबकि, दूसरे नाव पर भगवान शिव को रखा जाता है। इसके बाद नाव से नदी की धारा में सात फेरे लगाए जाते हैं। यह परंपरा पिछले चार सौ वर्षो से चली आ रही है। नाथनगर सार्वजनिक पूजा समिति के महामंत्री देवाशीष बनर्जी बताते हैं कि इसके पीछे धार्मिक मान्यता है।
हिंदू धर्म में सात फेरे का काफी महत्व है। दुर्गा की विदाई से पूर्व वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक सप्तऋषि का विशेष आह्वान किया जाता है। नाव के प्रत्येक फेरे में एक ऋषि की वंदना की जाती है। सप्तऋषि की प्रार्थना के बाद प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। इसके पहले नवमी को प्रतिमाओं को मंदिर परिसर की सात बार परिक्रमा कराई जाती है। इस दौरान ढोल, नगाड़े और मंजिरे से साथ देवी का आह्वान किया जाता है। बंगाली टोला के पास चंपा नदी में किया गया विसर्जन मंगलवार की देर शाम महाशय डयोढ़ी की प्रतिमा का श्रद्धालुओं ने परंपरागत तरीके से विसर्जन किया। श्रद्धालुओं ने माता की प्रतिमा को पहले मेढ़ से उतारा। इसके बाद कंधे पर लेकर बंगाली टोला के पास चंपा नदी के घाट पर पहुंचे। यहां धूप-गंध आदि से पूजन के बाद प्रतिमा को नाव पर सवार किया गया। इस दौरान नदी के तट पर महिलओं ने सिंदूर खेला की।